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पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा साथ मिलकर टैंक और फाइटर जेट तैयार करें भारत-अमेरिका

अमेरिका ने साल 2016 में भारत को सबसे बड़ा रक्षा साझीदार का दर्जा दिया था। पेंटागन के एक पूर्व अधिकारी कीथ वेबस्‍टर की मानें तो अब समय आ गया है कि दोनों देशों को साथ में मिलकर डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर काम करना चाहिए।

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वॉशिंगटन। अमेरिका ने साल 2016 में भारत को सबसे बड़ा रक्षा साझीदार का दर्जा दिया था। पेंटागन के एक पूर्व अधिकारी कीथ वेबस्‍टर की मानें तो अब समय आ गया है कि दोनों देशों को साथ में मिलकर डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर काम करना चाहिए। ओबामा प्रशासन के इस पूर्व अधिकारी की मानें तो दोनों देशों की सरकार को एक ऐसे प्रोग्राम पर फैसला लेना चाहिए और इसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। वेबस्‍टर ने कहा है कि इन फैसलों को दोनों देशों की सरकारों की ओर से एक तय समय-सीमा के अंदर तैयार किया जाना चाहिए ताकि इनकी तरक्‍की को मापा जा सके। वेबस्‍टर पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में डिफेंस ट्रेड एंड टेक्‍नोलॉजी इनीशिएटिव (डीटीटीआई) का प्रतिनिधितव कर रहे थे।

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नए स्‍तर पर लेकर जाना चाहिए संबंधों को

वेबस्‍टर की मानें तो भारत-अमेरिका को अब अपने रक्षा संबंधों को एक नए स्‍तर पर लेकर जाना चाहिए। वेबस्‍टर की मानें तो दोनों देशों को डीटीटीआई के तहत एक प्रोजेक्‍ट पर काम करने की दिशा में गंभीर होना चाहिए। वेबस्‍टर की मानें तो अमेरिका को यह अच्‍छी तरह जानता है कि कैसे साथ में मिलकर एक संयुक्‍त क्षमता को कैसे तैयार किया जा सकता है। अमेरिका पूर्व में ऐसा कर भी चुका है। वेबस्‍टर ने यह बात उस समय कही जब वह अमेरिकी कांग्रेस की ओर से अमेरिका-भारत फ्रेंडशिप काउंसिल की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। वेबस्‍टर की मानें तो अगर दोनों देश एक साथ आने के लिए प्रतिबद्ध हों तो कई ऐसे मौके हैं जिनका फायदा उठाया जा सकता है। इन मौकों में न सिर्फ उच्‍चतम स्‍तर के टैंकों का निर्माण शामिल है बल्कि भारत खास क्षमता से लैस कई तरह के और साजो-सामान भी तैयार कर सकता है।

मेक इन इंडिया के तहत तैयार हो प्रोग्राम

उन्‍होंने कहा कि सिर्फ खरीदार और विक्रेता के तौर पर खुद को देखने की जगह अब भारत सरकार को मेक इन इंडिया के तहत इस तरह के प्रोग्राम की दिशा में गंभीर होना चाहिए। वेबस्‍टर के मुताबिक भारत और अमेरिका काफी खास हैं। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि संबंधों और रक्षा सहयोग का यह दौर आगे भी ऐसे ही रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कई नीतियों में बदलाव हुआ है। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा साल 2016 की डिफेंस प्रोडक्‍शन पॉलिसी में निजी क्षेत्र की मदद से रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के मकसद से कई कदम भी उठाए गए। अमेरिका ने भारत और दूसरे साथियों को ध्‍यान में रखते हुए अपनी टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर नीति में कुछ बदलाव किया है।

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English summary
Former Pentagon official Keith Webster has said that India and US should commit to joint defence projects and US should try to take advantage of 'Make In India'.
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