भारतीय रुपये का पूरी दुनिया में बजेगा डंका, दर्जन भर देशों के साथ होगा कारोबार, रूस के लिए सोने पे सुहागा
भारत अपनी मुद्रा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उतर चुका है और भारत सरकार की कोशिश आने वाले सालों में ज्यादातर देशों के साथ भारतीय करेंसी में व्यापार करने की है, ताकि डॉलर का रुपये पर कम से कम असर पड़े।
Indin Russia Rupee Trade: दिसंबर 2022 में भारतीय रुपये में कारोबार करने वाला रूस दुनिया का पहले देश बन गया है। भारतीय बैंकों में स्पेशल 'वोस्ट्रो' अकाउंट्स पहले से ही खोले जा रहे हैं और भारत सरकार ने मॉस्को के बैंक्स और मॉस्को के वित्तीय संस्थानों को भी भारतीय बैंकों में रुपये में कारोबार करने के लिए खाता खोलने की अनुमति दे चुकी है। लिहाजा, भारत और रूस आखिरकार उस मैकेनिज्म पर पहुंच चुके हैं, जहां से दोनों ही देश स्थानीय करेंसी में कारोबार कर सकते हैं। लेकिन, रूस, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से प्रतिबंध झेल रहा है, उसे भारतीय रुपये में कारोबार करने काफी मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है।
रूस के लिए क्यों है मुनाफे का सौदा
रूस के लिए भारतीय रुपए में व्यापार करना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया भर में डॉलर और यूरो में जो रूस की संपत्ति थी, वो जब्त कर ली गई है और ऐसे देश, जो यूक्रेन के साथ हैं, और जिन्हें रूस अमित्र देश मानता है, उन देशों में रूस की प्रॉपर्टी और मुद्रा को जब्त किया जा सकता है और हालिया दिनों में रूस में हुई ब्रीफिंग में इस बात की जानकारी भी दी गई है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद अमेरिका समेत यूरोपीय संघ और यूरोपीय देश ने रूस के खिलाफ भारी प्रतबंध लगाए हैं, जिसकी वजह से रूस की अरबों डॉलर और अरबों यूरो की संपत्ति उन देशों में फ्रीज हो गई है। इतना ही नहीं, यूरोपीय आयोग ने रूसी संपत्ति को बेचकर उनका इस्तेमाल यूक्रेन के पुननिर्माण में करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। लिहाजा, आने वाले दिनों में अमेरिका और यूरोपीय देशों में जो रूसी संपत्ति है, उनसे मॉस्को को हाथ धोना पड़ सकता है।
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रूसी संपत्ति को सीज करने की कोशिश
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय संघ दो प्रकार की रूसी संपत्तियों पर नज़र गड़ाए हुए है। पहली संपत्ति 19 अरब यूरो मूल्य के रूसी धनी व्यापारियों की संपत्ति है, जो पुतिन के करीबी हैं। वहीं, अनुमानित 165 अरब यूरो की यूरो क्षेत्र के केंद्रीय बैंकों में जमा रूसी संपत्ति है, जिसे भी यूरोपीय संघ जब्त कर सकता है और उनका इस्तेमाल यूक्रेन के पुनर्निमाण में कर सकता है। रूसी ब्रीफिंग की रिपोर्ट में कहा गया है, कि यह गेम थोड़ा जोखिम भरा फैसला है, क्योंकि भारतीय रुपया रूसी रूबल के मुकाबले 25 फीसदी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 फीसदी टूट गया है।
रूस-भारत व्यापार में वृद्धि
भारत और रूस के बीच व्यापार कारोबार पिछले साल जनवरी से अगस्त के बीच 130 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि के साथ 17 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। एक साल पहले इसी अवधि के दौरान यह 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर पर था। भारत के साथ रूसी व्यापार में आए उछाल की वजह रूस से भारत को मिलने वाला डिस्काउंट पर तेल है, जिसका भारत ने जबरदस्त फायदा उठाया है। वहीं, इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़कर, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश बन गया है। वहीं, पश्चिमी देशों की तरफ से व्यापक प्रतिबंध लगने के बाद, रूस ने भारत से कई सामानों की आपूर्ति के लिए मदद मांगी है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्री, डॉ एस जयशंकर ने भी कहा है, कि भारत, रूसी ट्रेनों, कारों और विमानों के लिए आवश्यक स्पेयर पार्ट्स की डिलीवरी लेने के लिए तैयार है।
कैसे होगा भारत-रूस में ट्रेड?
भारत और रूस के बीच जो व्यापार का नया मैकेनिज्म तैयार हुआ है, उसके तहत रूस, भारत से जो सामान खरीदेगा, उसका भुगतान रूस भारतीय रुपये में करेगा। इन उत्पादों में कैमिकल्स, मशीनरी और वाहन, भोजन, कृषि संबंधी कच्चा माल, धातु, कपड़ा और जूते, कीमती धातु और पत्थर शामिल हैं। इसके अलावा, रूस भारत से जितना सामान खरीदेगा, दोनों देशों के बीच का व्यापार उतना ही आसान होता जाएगा। भारत रूस से जो तेल खरीदता है, अब उसका भुगतान रूसी करेंसी, रूबल में करेगा, लिहाजा दोनों देशों के बीच का व्यापार अगर संतुलित होने लगे, तो फिर ये व्यापार काफी आकर्षक बन जाएगा। यानि, रूस के लिए रूबल के जरिए भारतीय रुपये खरीदना आसान हो जाएगा, वहीं भारत के लिए भी रूसी रूबल खरीदना आसान हो जाएगा।
समझौते के तहत रूस को किन उत्पादों का निर्यात?
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय निर्यातक रुपये के व्यापार सैटलमेंट मैकेनिज्म के तहत रूस को चाय, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग सामान समेत अन्य सामान भेज रहे हैं। रिपोर्ट में एक निर्यातक के हवाले से कहा गया है, कि रुपये के व्यापार तंत्र के कार्यान्वयन से संबंधित शुरुआती मुद्दों को दूर करने की दिशा में सरकार के प्रयासों के बीच, इस तरह के लेन-देन में धीरे-धीरे तेजी आने की उम्मीद है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी कार्यालय अजय सहाय के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, कि "हम भारत और रूस के बीच अधिक व्यापार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए रुपये के व्यापार तंत्र की तरफ देख रहे हैं"। उन्होंने कहा कि, समय के साथ हम भारत-रूस व्यापार में विविधता लाने की भी कोशिश करेंगे।
वोस्त्रो रूपया अकाउंट
पिछले साल दिसंबर महीने तक 9 भारतीय बैंकों को रूस के साथ ट्रेड सेटलमेंट के लिए 17 वोस्तो अकाउंट खोलने की मंजूरी मिली थी। इन भारतीय बैंकों में, यूको बैंक, इंडियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), इंडसइंड बैंक, आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। दो और वोस्ट्रो अकाउंट रूस के दो सबसे बड़े बैंकों सर्बैंक और वीटीबी बैंक में खोले गए। सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि श्रीलंका और मॉरीशस सहित छोटे देशों के साथ भी भारतीय रुपये में विदेशी व्यापार समझौता जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। भारत के केंद्रीय बैंक - भारतीय रिजर्व बैंक ने मॉरीशस और श्रीलंका के साथ व्यापार से संबंधित लेनदेन के लिए चार बैंकों, एसबीआई, बैंक ऑफ सीलोन, इंडियन बैंक और एचडीएफसी बैंक के साथ आठ स्पेशल वोस्ट्रो रुपये अकाउंट खोलने की अनुमति दी है। इसके अलावा भारत अपनी मुद्रा में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को व्यवस्थित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, क्यूबा, सूडान और लक्जमबर्ग सहित अन्य देशों के साथ भी संपर्क में है।
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