कोरोना वायरस: ‘ऑक्सीजन, बेड और मोदी’, विदेशी मीडिया में छाए
भारत में एक दिन में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले पाए जाने के बाद विदेशी मीडिया ने इसका अलग-अलग तरह से आकलन किया है.
भारत में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति पर विदेशी मीडिया में काफ़ी कुछ लिखा जा रहा है.
कई नामी अख़बार और मीडिया संस्थान विभिन्न तरीक़ों से भारत की स्थिति का आकलन कर रहे हैं.
गुरुवार को भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस के 3.14 लाख से अधिक मामले सामने आए, जिसके बाद ब्रिटेन के अख़बार द गार्डियन ने इससे संबंधित ख़बर शीर्षक दिया है 'भारत में कोविड की लहर होती भयावह, 315,000 नए दैनिक मामलों का विश्व रिकॉर्ड.'
अख़बार लिखता है कि 'अस्पताल में व्यवस्था चरमराने की कगार पर हैं और भारत में बीते 24 घंटों में 314,835 मामले पाए गए हैं, जो कोरोना महामारी शुरू होने के बाद किसी भी देश में सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.'
'अस्पताल लड़ने में असमर्थ'
गार्डियन अख़बार लिखता है कि भारत में सोशल मीडिया पर मदद मांग रहे लोगों की बाढ़ आई हुई है, कोई अपने प्रियजनों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ढूँढ रहा है, तो कोई अस्पताल के बेड का बंदोबस्त कर रहा है.
इसमें आगे लिखा है, "अस्पतालों ने चेतावनी दी है कि वे इतनी मांग से निपट पाने में असमर्थ हैं, कई अस्पतालों ने तो कुछ घंटे की ऑक्सीजन बचे होने की घोषणा कर दी है."
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अख़बार लिखता है कि साउथ कैरोलाइना की मेडिकल यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों की डिविज़न में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर कृतिका कुप्पली ट्विटर पर लिखती हैं, "भारत में कोविड-19 सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ढहने की कगार पर है."
https://twitter.com/KrutikaKuppalli/status/1384877529966780420
अख़बार ने बुधवार को नासिक में ऑक्सीजन न मिल पाने से 22 लोगों की मौत, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कोविड से संक्रमित होने की ख़बर को भी अपने यहाँ जगह दी है.
साथ ही उसने बताया है कि अब से पहले 2 जनवरी को अमेरिका में एक दिन में सबसे अधिक 300,310 मामले पाए गए थे, जो एक रिकॉर्ड था.
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गार्डियन ने विशेषज्ञों के हवाले से इस संक्रमण की वजहें बताते हुए लिखा है, "वायरस ग़ायब हो गया है. यह ग़लत तरीक़े से समझते हुए सुरक्षा उपायों में बहुत जल्दी ढील दे दी गई. शादियों और बड़े त्योहारों को आयोजित करने की अनुमति थी और मोदी स्थानीय चुनावों में भीड़ भरी चुनावी रैलियाँ कर रहे थे."
'पीएम मोदी कर रहे आलोचना का सामना'
प्रसिद्ध विदेशी मीडिया संस्थान अल जज़ीरा ने अपनी बेवसाइट पर ख़बर प्रकाशित की है, जिसमें बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए 'डबल म्यूटेंट' और 'सुपर-स्प्रेडर' भीड़ को ज़िम्मेदार बताया है.
उसने अपनी ख़बर को शीर्षक दिया है 'भारत में दुनिया के सबसे अधिक दैनिक कोविड मामले, रिकॉर्ड मौतें.'
अल जज़ीरा लिखता है, "बहुत सारे अस्पतालों ने बेड और दवा कम पड़ने की शिकायत की है, जबकि ऑक्सीजन की कमी ख़तरनाक स्तर तक पहुँच गई है."
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इसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से आगे लिखा गया है, "सर्दियों के दौरान जब वायरस नियंत्रित दिख रहा था, तब भारत निश्चिंत हो गया था और शादियों और त्योहारों जैसे बड़े कार्यक्रमों की अनुमति दे दी गई थी."
"स्थानीय चुनावों में भीड़ भरी रैलियों को संबोधित करने और हिंदू त्योहार, जिसमें लाखों लोग इकट्ठा होते हैं उसकी अनुमति देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद आलोचना का सामना कर रहे हैं."
इसके अलावा अल जज़ीरा ने नासिक में 22 मरीज़ों की मौत, दिल्ली हाई कोर्ट के सरकार को ऑक्सीजन इंतजाम करने के निर्देशों के बारे में भी लिखा है.
'दौड़ती एंबुलेंस और श्मशान घाट के आगे लगी भीड़'
समाचार एजेंसी एपी ने भी अपनी रिपोर्ट में रिकॉर्ड दैनिक मामलों, ऑक्सीजन और बेड, नासिक में 22 लोगों की मौत और दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों को अपनी रिपोर्ट में जगह दी है.
उसने शीर्षक लिखा है, 'बेड, ऑक्सीजन की कमी, भारत में 3.14 लाख वायरस के मामले.'
इस रिपोर्ट में आगे लिखा है, "लॉकडाउन, कड़े प्रतिबंधों के कारण नई दिल्ली और दूसरे शहरों में कई लोगों को डर, दुख और यातना का सामना करना पड़ रहा है."
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"पूरे देश में एंबुलेंसों का बेड की खोज में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागने का दृश्य आम है. ग़मगीन परिजनों की लाइन श्मशान घाटों के बाहर लगी हुई हैं."
'परिजनों को बचाने की जद्दोजहद'
वहीं, पाकिस्तानी अख़बार डॉन ने भी भारत में रिकॉर्ड मामले मिलने को अपनी वेबसाइट पर जगह दी है और शीर्षक लिखा है 'परिस्थितियाँ बेहद गंभीर हैं.'
अख़बार ने लिखा है, "सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश को लेकर टीवी पर प्रसारित दृश्यों में दिख रहा है कि ख़ाली सिलेंडरों को भरवाने के लिए भीड़ इकट्ठा है, वे अस्पतालों में किसी भी तरह अपने परिजनों को बचाना चाहते हैं."
रिपोर्ट में आगे लिखा है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले साल महामारी की शुरुआत में ही लॉकडाउन की घोषणा की थी, लेकिन कड़े प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था के असर को लेकर भी सावधान किया था."
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"बीते हफ़्तों में स्थानीय चुनावों में भीड़ भरी राजनीतिक रैली करने और धार्मिक त्योहार कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है."
"इस सप्ताह मोदी ने राज्य सरकारों से निवेदन किया है कि लॉकडाउन आख़िरी क़दम होगा. उन्होंने लोगों से घरों में रहने को कहा है और कहा है कि सरकार ऑक्सीजन और वैक्सीन सप्लाई बढ़ाने को लेकर काम कर रही है."
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