ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग के बीच 5,000 ऊंटों को गोली से मारा गया
सिडनी। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग के कारण इंसान से लेकर जानवर तक हर कोई परेशान है। सितंबर से लगी इस आग के कारण अब तक करीब 50 करोड़ जानवरों और पक्षियों की मौत हो गई है। करीब दो दर्जन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आसपास रहने वाले लोगों को तो दूसरे स्थानों पर विस्थापित कर दिया गया है लेकिन जानवरों की जान पर अब भी खतरा बना हुआ है।
इसी बीच खबर आई है कि यहां 5,000 ऊंटों को हेलिकॉप्टर से गोली के जरिए मारा गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि सूखे से प्रभावित दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में इन ऊंटों को मार डाला गया है।
10 हजार ऊंटों को मारने का आदेश
अधिकारियों ने मंगलवार को इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में इन ऊंटों को मार डाला गया है। इन पांच हजार ऊंटों को पांच दिन के भीतर मारा गया है। जानकारी के मुताबित ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने खुद 10 हजार ऊंटों को जान से मारने का आदेश दिया था। हेलीकॉप्टर से कुछ प्रोफेशनल शूटर द्वारा इन ऊंटों को मारा गया है। अभी पांच हजार और ऊंटों का मारा जाएगा।
लोगों ने की शिकायत
रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लोगों की शिकायत थी कि जंगल में आग लगने के कारण जंगली जानवर पानी के लिए उनके घरों में घुस रहे हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद आदिवासी नेताओं ने 10 हजार ऊंटों को मारने का फैसला लिया था। इसी के साथ नेताओं ने चिंता जताई है कि ये ऊंट एक साल में एक टन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर मीथेन का उत्सर्जन करते हैं, जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग पर असर दिखाई दे रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा
रिपोर्ट्स के मुताबिक ये ऊंट जहां भी पानी का स्रोत देखते हैं वहीं पहुंच जाते हैं। चाहे वह नल हो, पानी की टंकी हो या तालाब हो। ये ऊंट अचानक से लोगों के बीच चले आते हैं। इससे भगदड़ मच जाती है। बच्चों और महिलाओं को चोट लगने का खतरा रहता है। ये छोटे-छोटे टुकड़ों में पूरे रेगिस्तान में घूमते रहते हैं। यहां एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ऊंट ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन का दावा है कि जंगली ऊंट की आबादी हर नौ साल में दोगुनी हो जाती है। यहां वर्ष 2009 से 2013 तक भी 1.60 लाख ऊंटों को मारा गया था।
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