6 दशक में पहली बार व्हाइट हाउस में हुआ तिब्बती नेता का स्वागत, जाते-जाते चीन को भड़का रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप
वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन जाने से पहले चीन को नाराज करने वाले कदम उठा रहा है। ताजा घटनाक्रम तिब्बत की निर्वासित सरकार के मुखिया ने व्हाइट हाउस का दौरा किया है। छह दशकों में पहला मौका है जब तिब्बत की निर्वासित सरकार को अमेरिकी सरकार ने स्वागत किया है। चीन हमेशा से अमेरिका पर तिब्बत को अस्थिर करने के आरोप लगाता आया है और ऐसे में ट्रंप प्रशासन का यह कदम उसे भड़का सकता है।
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अमेरिका ने किया तिब्बत की आजादी का समर्थन
लोबसांग सांगे जो सेंट्रल तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष हैं, उन्होंने हाल ही में व्हाइट हाउस में तिब्बती मसलों के स्पेशल कोऑर्डिनेटर रॉबर्ट देस्त्रो से मुलाकात की है। रॉबर्ट को हाल ही में इस पद पर नियुक्त किया गया है। शुक्रवार को सीटीए की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर इस बात की पुष्टि की गई है। सीटीए की तरफ से कहा गया है, 'इस असाधारण मुलाकात के बाद संभावना बढ़ी है कि अमेरिकी अधिकारियों के साथ सीटीए को भी भागीदार बनाया जाएगा और आने वाले वर्षों में इसका चलन बढ़ेगा।' सीटीए का हेडक्वार्टर भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है। तिब्बत इस समय अमेरिका और चीन के बीच विवाद की नई वजह है। साल 2020 में अमेरिका और चीन के बीच संबंध सबसे ज्यादा बिगड़े। इसी वर्ष जुलाई में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने चीन पर आरोप लगाया था कि चीन, तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। अमेरिका ने इसके साथ ही तिब्बत की स्वायत्ता का समर्थन किया था।
तिब्बत बना तनाव की बड़ी वजह
चीनी अधिकारियों की तरफ से तब से ही अमेरिका पर तिब्बत को चीन के खिलाफ प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था। चीन ने देस्त्रो के साथ भी किसी तरह की वार्ता से इनकार कर दिया था। सन् 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था। चीन इसे आजादी करार देता है जिसकी वजह से इस क्षेत्र को इसके संघर्षपूर्ण इतिहास से छुटकारा मिला। लेकिन आलोचक जिनकी अगुवाई धर्मगुरु दलाई लामा कर रहे हैं, उनका कहना है कि चीन ने तिब्बत में 'सांस्कृतिक नरसंहार' को अंजाम दिया है। इस वर्ष अगस्त में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन को एक ऐसे किले का निर्माण तिब्बत में करना होगा जिसके बाद राष्ट्रीय अखंडता की सुरक्षा की जा सकेगी।