उत्तर कोरिया में पहली बार सामने आया कोरोना संदिग्ध, टॉप क्लास अलर्ट लागू
नई दिल्ली- चीन के पड़ोसी मुल्क उत्तर कोरिया ने देश में कोरोना वायरस के पहले संदिग्ध मरीज के सामने आने की बात मानी है। अगर उस संदिग्ध में कोरोना की पुष्टि हो जाती है तो यह तानाशाह किम जोंग के शासन वाले देश का पहला मामला होगा। गौरतलब है कि चीन से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर लंबी और कई जगह से खुली सीमा होने के बावजूद अब तक यह देश दावा करता रहा था कि उसके यहां कोरोना के एक भी मरीज सामने नहीं आए हैं। हालांकि, जानकारों ने उसके दावों पर कभी भी भरोसा नहीं किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि नॉर्थ कोरिया के दावे के मुताबिक उसके यहां जो पहला संदिग्ध सामने आया है वह भगोड़ा है, जो दक्षिण कोरिया से भारी सुरक्षा के बावजूद सीमा के जरिए देश में दाखिल हुआ है।
इमरजेंसी और टॉप-क्लास अलर्ट का ऐलान
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने कोरोना वायरस का पहला संदिग्ध सामने आने के बाद ही शनिवार को पोलित ब्यूरो की इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर मैक्सिमम इमरजेंसी सिस्टम और टॉप-क्लास अलर्ट लागू करने का ऐलान कर दिया है। यह खबर वहां की न्यूज एजेंसी केसीएनए के हवाले से मिली है। अगर उस मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हो जाती है तो यह पहला मामला होगा, जिसे उत्तर कोरिया कोविड-19 के रूप में कंफर्म करेगा। बता दें कि उत्तर कोरिया में मेडिकल सुविधाएं किसी भी महामारी से निपटने के लिए बहुत ही अपर्याप्त हैं।
दक्षिण कोरिया से संदिग्ध मरीज के आने का दावा
केसीएनए का दावा है कि यह वह भगोड़ा है, जो एक साल पहले दक्षिण कोरिया भाग गया था और पिछले 19 जुलाई को ही दोनों देशों को विभाजित करने वाली बहुत ही सख्त सीमा को गैरकानूनी तरीके से पार करके लौटा है। हालांकि, पड़ोसी मुल्क दक्षिण कोरिया में दुनिया की सबसे सुरक्षित सीमा होकर जहां कि बारूदी सुरंगें बिछी हुई हैं और गार्ड की तैनाती है, किसी के जाने की कोई सूचना नहीं है। गौरतलब है कि प्योंगयांग शुरू से दावा करता रहा है कि उसके यहां कोरोना वायरस के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं, जबकि इस महामारी ने दुनिया भर में 1.60 करोड़ से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं और करीब साढ़े लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
देश में दुष्ट वायरस घुसा- किम जोंग
उत्तर कोरिया में जिस पहले कोरोना संदिग्ध के मिलने की बात कही जा रही है, वह दक्षिण कोरिया की सीमा से सटे कायेसॉन्ग शहर में मिला है और उसे बहुत ही कठोर क्वारंटीन में रखा गया है। वहां की मीडिया ने कहा है कि, 'खतरनाक स्थिति है....जिससे कि जानलेवा तबाही शुरू हो सकती है।' मीडिया के मुताबिक किम ने इसके बारे में कहा है, 'कहा जा सकता है कि देश में दुष्ट वायरस घुस चुका है।' इसके बाद अधिकारियों ने एहतियाती कदम उठाते हुए पूरे कायेसॉन्ग शहर में पांबदी लगा दी है। गौरतलब है कि परमाणु शक्ति संपन्न इस देश ने अपने पड़ोसी मुल्क चीन में वायरस फैलने के साथ ही जनवरी से ही सीमाएं बंद कर दी थीं। उसने कड़ी पाबंदियों को लागू किया था, हजारों लोगों को पकड़-पकड़कर आइसोलेशन में डाल दिया। हालांकि जानकार उसके वायरस से अबतक सुरक्षित रहने के दावे पर यकीन नहीं करते।
चीन से आया वायरस ?
चीन और उत्तर कोरिया के बीच 1,400 किलोमीटर लबीं सीमा है, जहां से एक-दूसरे देश में आवाजाही के कई रास्ते मौजूद हैं। खासकर सर्दियों में नदियां जम जाती हैं तो लोग एक-दूसरे के देशों में आसानी से आवाजाही करने लगते हैं। उत्तर कोरिया से दर्जनों लोग चीन के ब्लैक मार्केट से सामान खरीदने के लिए रोजाना सीमा पार करते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में जब सीमाएं बंद कई कई होंगी, उससे पहले दुनिया के इस अलग-थलग देश में चीन से वायरस जरूर चोर दरवाजे से दाखिल हुआ होगा। सीमा के जरिए भारी आवाजाही और चीन में संक्रमण की संख्या देखते हुए एशियन इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज के विश्लेषक म्योंग-हियुन ने कहा, 'इसपर कोई सवाल ही नहीं है कि उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस चीन से आया है। ' लेकिन, इसके उलट उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया गए भगोड़ों की ओर उंगली उठाना शुरू किया है।
30,000 से ज्यादा उत्तर कोरियाई छोड़ चुके हैं देश
बता दें कि 1950-53 के कोरियाई युद्ध के अंत में दोनों देशों की सीमा बंटने के बाद 30,000 से ज्याद उत्तर कोरियाई नागरिक अपना देश छोड़कर भाग चुके हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों ने चीन से लगे उन सीमाओं से गए हैं, जिनसें कई गुपचुप रास्ते हैं। इस बीच दक्षिण कोरिया का कहना है कि उत्तर कोरिया से भागकर आने वाले लोगों की तादाद कोरोना महामारी के दौरान अप्रैल से जून के बीच घटी है और इन महीनों में सिर्फ 12 नई उत्तर कोरियाई आए हैं, जबकि इसी अवधि में पिछले साल 320 लोग उत्तर कोरिया से घुसे थे।