अफगानिस्तान की आग की लपटें पाकिस्तान में भड़की, आर्मी चीफ और आईएसआई चीफ में भयंकर कलह
अफगानिस्तान में आग लगाने का श्रेय पाकिस्तान खुद लेता है, लेकिन आतंक की उस लपट में पाकिस्तान अब बुरी तरह से घिर चुका है।
इस्लामाबाद, सितंबर 22: अफगानिस्तान पर शासन करने के नाम पर तालिबान और पाकिस्तान में भयंकर कलह मची हुई है। अंतरिम सरकार की गठन से पहले ही तालिबान के फिर से दो फाड़ हो चुके हैं। तालिान का एक धड़ा काबुल में है तो एक धड़ा कंधार में बैठा हुआ है। लेकिन, दूसरी तरह पाकिस्तान की सेना में अलग से कलह शुरू हो चुका है और ये झगड़ा मचा है, पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा और आईएसआई चीफ फैज हमीद के बीच।
पाकिस्तानी सेना में कलह
अफगानिस्तान में जो गंध मचा हुआ है, इसका पूरा श्रेय पाकिस्तान को जाता है और पाकिस्तान खुद दावा करता है कि तालिबान को उसकी वजह से ही अफगानिस्तान में जीत मिली है। लेकिन, अब खबर आ रही है कि, पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बीच एक बड़ा संघर्ष चल रहा है। बेहद करीबी सूत्रों ने बताया है कि दोनों अधिकारियों के बीच की लड़ाई ऑउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है और स्थिति ये है कि आईएसआई चीफ फैज हमीद को उनके पद से हटाने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन आईएसआई चीफ का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के ऊपर ऐसा मजबूत प्रभाव है, कि उन्हें हटाना पाकिस्तानी सेना के प्रमुख के लिए आसान नहीं हो पा रहा है। लिहाजा दोनों के बीच कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ाई हो रही है।
क्यों हो रही है दोनों में लड़ाई?
इंडिया टूडे ने विश्वस्त सूत्रों के हवाले से लिखा है कि, ''अफगानिस्तान में तालिबान को पालने में आईएसआई का हाथ रहा है और आईएसआई ने तालिबान के नेताओं का इस्तेमाल अफगानिस्तान में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया है। लेकिन, अब जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बन चुकी है, तो पाकिस्तान की सेना अब अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती है। पाकिस्तान की सेना अब चाहती है कि वो अफगानिस्तान के फैसले ले, जिसका विरोध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कर रही है, लिहाजा दोनों अधिकारियों के बीच खुला संघर्ष शुरू हो चुका है''।
तालिबान में आईएसआई की ज्यादा पकड़
2016 में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क का विलय हुआ था। हक्कानी नेटवर्क का निर्माण आईएसआई ने किया था और आईएसआई ने अफगानिस्तान की नई सरकार में हक्कानी नेटवर्क के धड़े को ही ज्यादा मंत्रालय दिलवाए हैं, लिहाजा असली तालिबान काफी ज्यादा नाराज है। तालिबान के ज्यादातर नेता कंधार में हैं, जबकि हक्कानी के नेता काबुल में हैं। तालिबान के सह-संस्थापक की हक्कानी नेताओं ने जमकर पिटाई भी की है और एक ब्रिटिश रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्ला बरादर को हक्कानी ने बंधक बनाकर रखा हुआ है, इसीलिए वो सार्वजनिक तौर पर नहीं दिख रहा है। यानि, तालिबान के काबुल वाले गुट (हक्कानी नेटवर्क) के साथ आईएसआई के साथ काफी मजबूत संबंध हैं। इसके साथ ही आईएसआई ने काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अपने सैकड़ों लड़ाकों और जासूसों को अफगानिस्तान में छोड़ दिया है और एक अफगान जर्नलिस्ट में तो यहां तक दावा किया था कि, अफगानिस्तान के कई विभागों में प्रमुख के तौर पर आईएसआई के जासूसों को तैनात कर दिया गया है। यानि बात साफ है, आईएसआई अपना प्रभाव छोड़ना नहीं चाहता है।
लड़ते-लड़ते खुद मरेंगे!
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा भी वहां अपना एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आईएसआई चीफ फैज हमीद ने ऐसा नहीं होने दिया। सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान की नई सरकार में हस्तक्षेप करने के पाकिस्तान के प्रयास के परिणामस्वरूप तालिबान समूह के भीतर भी दरार आ गई है। आईएसआई के कारण, तालिबान भी कथित तौर पर विदेशों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए प्रत्येक निर्णय पर मुद्दों का पता लगा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि आईएसआई पश्चिमी देशों से अफगानों को मिलने वाले धन या सहायता का एक हिस्सा भी चाहता है। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अफगानिस्तान को अपनी बी टीम माना है और हमेशा भारत के साथ सैन्य रूप से निपटने के दौरान रणनीतिक गहराई के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की है, लिहाजा ये लड़ाई अब काफी बड़ी होने वाली है।
आईएसआई चीफ होंगे 'शहीद'?
पाकिस्तान का इतिहास अपने नेताओं और सैन्य अधिकारियों को मरवाने का रहा है। 2007 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुसर्रफ पर पाकिस्तान की वायुसेना के कुछ अधिकारियों ने ही हमला कर दिया था, लेकिन एक भारतीय खुफिया एजेंसी ने पहले ही मुसर्रफ को हमले की जानकारी दे दी थी, लिहाजा उनकी जान बच गई थी। यानि, पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है और आईएसआई चीफ फैज हमीद और पाकिस्तान की सेना के प्रमुख कमर बाजवा के बीच मची इस लड़ाई में कौन जीतेगा और कौन 'शहीद' होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है। हां, एक बात तय है, कि धीरे-धीरे जब बाकी दुनिया ने अफगानिस्तान से अपना इंटरेस्ट खत्म कर लिया है, उस वक्त एक बात तो तय है, कि अफगानिस्तान में तालिबान और 'मदद वाले पैसे' खाने की कोशिश में लगे पाकिस्तान में कुत्तों की तरफ लड़ाई होने वाली है।
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