अमरीका के डर से ईरान को अलविदा कहने वाली कंपनियां
भारत इस कोशिश में भी लगा था कि ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद उसे ईरान के साथ कारोबार करने की छूट मिल जाए.ईरान के कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े ख़रीदार देश भारत ने कहा कि वो ईरान पर प्रतिबंध को आधिकारिक तौर पर सही नहीं मानता है लेकिन वो इस कोशिश में भी रहा कि अमरीका की संभावित प्रतिक्रिया के असर से भारत की बड़ी कंपनियां और देश का वित्तीय ढांचा सुरक्षित रहे.
परमाणु क़रार से अमरीका की रुख़सती और दोबारा प्रतिबंधों की शुरुआत के साथ ऐसा लगता है कि ईरान की परेशानियां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं.
अब परमाणु क़रार के बाद ईरान आई कई विदेशी कंपनियां ईरान को अलविदा कह रही हैं.
इनमें कुछ कंपनियां तो ऐसी हैं जिन्होंने इस मुल्क़ में अपना कारोबार अभी ही शुरू किया था. कुछ अभी समझौते पर दस्तख़त करने वाले थे और इनमें से कुछ की ईरान आने की शुरुआती प्रक्रिया ही चल रही थी.
अब ये सब कंपनियां पछता रही हैं कि क्यों उन्होंने ईरान के साथ कारोबार करने का फ़ैसला लिया.
ईरान के साथ अपना कारोबार बंद करने वाली ये कंपनियां अलग-अलग सेक्टर से जुड़ी हुई हैं. इनमें भारत की कंपनियां भी शामिल हैं.
तेल और ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां
नायारा एनर्जी (भारत): इसी साल जून में इस कंपनी ने घोषणा की थी कि सितंबर-अक्टूबर तक ईरान से अपने कच्चे तेल के आयात में 50 फ़ीसदी कटौती करेगी.
इस बीच भारत इस कोशिश में भी लगा था कि ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद उसे ईरान के साथ कारोबार करने की छूट मिल जाए.
ईरान के कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े ख़रीदार देश भारत ने कहा कि वो ईरान पर प्रतिबंध को आधिकारिक तौर पर सही नहीं मानता है लेकिन वो इस कोशिश में भी रहा कि अमरीका की संभावित प्रतिक्रिया के असर से भारत की बड़ी कंपनियां और देश का वित्तीय ढांचा सुरक्षित रहे.
चेन्नई पेट्रोलियम (भारत): इस कंपनी ने अक्टूबर से ईरान के कच्चे तेल की रिफाइनिंग को बंद करने का ऐलान किया था, यह कहते हुए कि वह ईरान पर दोबारा प्रतिबंध के बाद वो अपने बीमा कवरेज को ख़तरे में नहीं डाल सकता है.
इंडिया यूनाइटेड बीमा कंपनी ने चेन्नई पेट्रोलियम को चेतावनी दी थी कि उसकी वार्षिक बीमा की अंतिम तारीख़ अक्टूबर है और वह ईरान के कच्चे तेल के शोध से संबंधित किसी भी प्रकार के नुक़सान की भरपाई नहीं करेगा.
इस कंपनी ने 2018-19 के लिए ईरान से दो मिलियन टन कच्चे तेल की ख़रीदारी का समझौता किया था.
करकूस (ब्रिटेन): इस ब्रिटिश कंपनी ने ईरान के साथ अगस्त में 600 मेगावॉट के सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का समझौता किया था लेकिन उसने दोबारा अमरीकी प्रतिबंध लगने के बाद काम बंद कर दिया है.
ये एक 570 मिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट था. अगर ये सौर ऊर्जा केंद्र पूरा हो जाता तो ये विश्व का छठा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक प्लांट होता.
पहले दौर के प्रतिबंध हटने के बाद ईरान और ब्रिटेन के बीच ये सबसे बड़ा समझौता था.
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सागा एनर्जी कंपनी (नॉर्वे): इस कंपनी ने ईरान के साथ साल 2017 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत सेंट्रल कुविर के इलाके में 2.5 मिलियन यूरो की लागत से दो गीगावॉट क्षमता का सौर ऊर्जा प्लांट बनाया जाना था.
लेकिन इस साल अगस्त में कहा गया कि अब इसके निवेश में कठिनाई आ रही है.
टोपरास (तुर्की): ये तुर्की की सबसे बड़ी तेल आयातक कंपनी है. इसने बीते मई महीने से ईरान से अपने कच्चे तेल का आयात घटा दिया है.
रॉयल डच शेल (नीदरलैंड): इसने जून से ईरान से कच्चा तेल ख़रीदना बंद कर दिया है.
परटामीना (इंडोनेशिया): ये कंपनी ईरान के ख़ूज़िस्तान प्रांत में मंसूरी ऑयल फ़ील्ड में कारोबार करती थी. लेकिन साल 2018 के जून में इंडोनेशिया सरकार ने घोषणा की कि अमरीका से अपने अच्छे रिश्तों को बनाए रखने के लिए वो कारोबार बंद कर रही है.
हेलेनिक पेट्रोलियम (ग्रीस): कंपनी अपने कुल कच्चे तेल की ख़रीद का 20 फ़ीसदी ईरान से लेती थी. इसने जून में घोषणा की कि दोबारा प्रतिबंध के कारण ईरान से तेल की ख़रीद बंद की जा रही है.
टोटल (फ़्रांस): इस कंपनी ने ईरान के साथ 48 लाख डॉलर का एक समझौता किया था जिसमें ईरान के दक्षिणी पार्स गैस फ़ील्ड को विकसित करना था.
एंजी (फ़्रांस): बिजली और गैस क्षेत्र से जुड़ी एंजी ने इसी साल मई के महीने में ऐलान किया कि नवंबर 2018 तक ईरान के साथ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना कारोबार बंद कर देगी.
लोक ऑयल (रूस): ईरान के साथ परमाणु क़रार से अमरीका के बाहर निकलने के छह सप्ताह बाद इस कंपनी ने देश के मंसूरी और आब-ए-तैमूर तेल क्षेत्र के विकास का काम बंद कर दिया है.
अनी (इटली): इस इतालवी कंपनी ने इसी साल मई में ऐलान किया कि अब वो ईरान के साथ अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं करेगी. कंपनी ने जून 2017 में तेल और गैस के क्षेत्र में रिसर्च प्रोजेक्ट पर समझौता किया था.
बीमा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां
एएक्सए (फ़्रांस): फ़्रांसीसी बीमा कंपनी एएक्सए ने इस साल अगस्त में ईरान के साथ समुद्री यातायात के क्षेत्र में अपना कारोबार बंद कर दिया. साल 2015 में परमाणु करार के बाद एएक्सए ने कारोबार शुरू किया था.
लॉयड्ज़ लंदन (ब्रिटेन): अगस्त में इस कंपनी ने अपना कारोबार ईरान में बंद करने का ऐलान किया. ये अमरीकी कंपनी डीएक्सजी ग्रुप से जुड़ी हुई है.
एलायंस (जर्मनी): जर्मनी की ये एक बड़ी बीमा कंपनी ईरान में अपना कारोबार घटा रही है.
नौपरिवहन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां
सीएमए, सीएमजी (फ़्रांस): कंपनी ने जुलाई में ईरान में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की.
टोर्मज़ ईएस (डेनमार्क): तेल निकालने वाली इस कंपनी ने मई में घोषणा की थी कि अब से आगे वो ईरान का कोई नया प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा.
मेर्सक नौपरिवहन कंपनी (डेनमार्क): विश्व की सबसे बड़ी नौपरिहवन कंपनी ने मई में ही कह दिया था कि अमरीकी प्रतिबंध के फिर से लागू होने के मद्देनज़र ईरान में अपना कारोबार 4 नवंबर 2018 से कम करेगी.
हवाई यातायात से जुड़ी कंपनियां
एयर फ़्रांस: कंपनी ने अगस्त में कहा था कि आर्थिक कारणों से वो ईरान में सितंबर तक अपनी सेवाएं बंद कर देगी. कंपनी ने अमरीकी प्रतिबंधों का कोई हवाला नहीं दिया.
ब्रिटिश एयरवेज़ (ब्रिटेन): इस कंपनी ने 23 अगस्त 2018 को बीबीसी फ़ारसी को बताया कि वो ईरान में अपनी उड़ान सेवा बंद कर रही है और इसकी कोई आर्थिक वजह नहीं है. इसके महीने भर बाद ही सर्विस बंद हो गई.
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हवाई जहाज़ बनाने वाली कंपनियां
एयर बस (फ़्रांस): हवाई जहाज़ बनाने वाली इस फ़्रांसीसी कंपनी ने 6 अगस्त 2018 को ईरान के साथ अपना वो समझौता रद्द कर दिया जिसके तहत 100 हवाई जहाज़ ईरान ख़रीदने वाला था. अब तक ईरान को सौ में से केवल तीन ही हवाई जहाज़ों की डिलिवरी हुई थी.
बोइंग (अमरीका): बोइंग ने ईरान के साथ 20 मिलियन डॉलर की लागत का हवाई जहाज़ बेचने का समझौता किया था लेकिन अमरीका के वार्ता से बाहर हो जाने के बाद इसने समझौता रद्द कर दिया. अब तक एक भी जहाज़ ईरान को नहीं दिया गया था.
ऑटोमोबाइल क्षेत्र की कंपनियां
वॉल्वो (स्वीडन): इस कंपनी ने सितंबर में कहा कि दोबारा अमरीकी प्रतिबंध के मद्देनज़र उसने ईरान में अपना कारोबार रोक कर दिया है. प्रतिबंध से पहले वॉल्वो की उनके मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के बाज़ार के लिए ईरान के सबसे बड़े केंद्र का काम करने की योजना थी.
डोयेर (जर्मनी): ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली इस कंपनी ने ईरान के साथ अगस्त में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की. कंपनी के एक मैनेजर ने कहा कि साल 2018 में ईरान के साथ दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे लेकिन अब वो कारोबार बंद करने पर मजबूर है.
अस्कानया (स्वीडन): इस हेवी ऑटोमोबाइल कंपनी ने साल 2017 के शुरू में ईरान के साथ समझौते की घोषणा की थी जिसके तहत वो ईरान को 1350 बस सप्लाई करेगा. लेकिन अमरीकी प्रतिबंध के बाद अब वो इस समझौते को निरस्त करने वाला है.
डेमलर (जर्मनी): इस कंपनी ने अगस्त में ही कह दिया था कि प्रतिबंध के कारण अगली सूचना तक वो ईरान में अपना बिज़नेस बंद कर रहा है.
ऑटोनियुम (स्वीट्जरलैंड): इस कंपनी ने साल 2017 के अंत में ईरान के आएक़ ऑटोमोबाइल कंपनी तूस से स्पेयर पार्ट्स बनाने का समझौता किया था जिस पर 2019 से काम शुरू होना था. अगस्त 2018 में इस कंपनी ने घोषणा की कि वो ईरान में अपना कारोबार स्थगित कर रहा है.
रेनॉ (फ़्रांस): पहले इस कंपनी ने कहा था कि वह ईरान से कारोबार बंद नहीं करेगी लेकिन फिर इस साल जून में ऐलान किया कि ईरान पर दोबारा प्रतिबंध के चलते वो अपना काम स्थगित कर रही है.
रेनॉ का अमरीका में कारोबार नहीं है, लेकिन अमरीका में कारोबार करने वाली निस्सान ऑटोमोबाइल रेनॉ की ही मिल्कियत है.
ईरान से रेनॉ के समझौते के अनुसार हर साव डेढ़ लाख गाड़ियां वो ईरान में बनाने वाली थी.
ह्यून्डई (दक्षिण कोरिया) और माज़्डा (जापान): इन दोनों कंपनियों ने जून में ईरान से कारोबार का करार तोड़ने की घोषणा की.
पुजो सित्रोइन (फ़्रांस): फ़्रांसीसी ऑटोमोबाइल कंपनी ने जून में कहा था कि प्रतिबंध के कारण वो ईरान में अपना कारोबार स्थगित कर रही है.
बैंक और वित्तीय कंपनियां
कुनलुन बैंक (चीन): चीन की नेशनल ऑयल कंपनी के मातहत ये बैंक ईरान और चीन के बीच लेने-देन का सबसे बड़ा स्रोत था.
इसने अक्टूबर में कहा कि अब नवंबर से वो ईरान से चीनी मुद्रा युआन में पेमेंट नही लेगी.
मेगा अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य बैंक (ताईवान): इस बैंक ने अक्टूबर में कहा कि वह नवंबर से अपना कारोबार ईरान में स्थगित कर रहा है.
मित्सुबिशी फ़ाइनैशियल ग्रुप (जापान): इस बैंक ने 17 जुलाई 2018 को घोषणा की कि दोबारा प्रतिबंध के कारण वो ईरान में अपना कारोबार स्थगित कर रहा है.
ईरान-जापान के तेल बिज़नेस का ज़्यादातर लेनदेन इसी बैंक से होता था.
मित्सुबिशी के साथ ही जापान के ही मीजुहो बैंक ने भी अपना कारोबार ईरान में स्थगित करने की घोषणा की है.
इंज़ेनिको ग्रुप (फ़्रांस): पेमेंट सेवा मुहैया कराने वाली इस कंपनी ने अगस्त में घोषणा की कि दोबारा प्रतिबंध के कारण वो ईरान में अपना कारोबार चार नवंबर से बंद कर देगी. साल 2018 में इस कंपनी को ईरान से 16 मिलियन यूरो के बराबर नेट मुनाफ़े की उम्मीद थी.
उबर बैंक (ऑस्ट्रिया): उबर बैंक ने इस साल जून में कहा था कि वो ईरान में निवेश से संबंधित तमाम परियोजनाओं को स्थगित करने जा रहा है और केवल उन्हीं परियोजनाओं पर काम करेगा जिस पर अमरीका के ईरान वार्ता से बाहर निकलने के आठ महीने पहले हस्ताक्षर किए गए थे.
इस बैंक ने अपने ग्राहकों को भी ईरान से वित्तीय रिश्ते ख़त्म करने की सलाह दी है.
यूको और एफ़आईईओ (भारत): दोनों भारतीय बैंकों ने जून में अपने ग्राहकों से कहा कि ईरान के साथ अपने वित्तीय लेन-देन 6 अगस्त 2018 तक निपटा लें. ये दोनों बैंक ईरान से निर्यात करने वालों को वित्तीय सहायता देते हैं.
केबीसी बैंक (बेल्जियम): इस बैंक ने चार नवंबर से ईरान के साथ कारोबार बंद करने का ऐलान किया है.
डी ज़ेड बैंक (जर्मनी): इस जर्मन बैंक ने ऐलान किया है कि इस साल की पहली जुलाई से वो अपना कारोबार ईरान में बंद कर रहा है.
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उद्योग और इंजीनियरिंग सेक्टर की कंपनियां
ह्युंदई इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन (दक्षिण कोरिया): कंपनी ने अपने 250 मिलियन डॉलर की लागत पर ईरान में पेट्रोकेमिकल संयंत्र बनाने के समझौते को रद्द कर दिया.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ (भारत): भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ दुनिया की एक बड़ी ऑयल रिफ़ाइनरी है. इस कंपनी ने अक्तूबर में घोषणा की कि दोबारा अमरीकी प्रतिबंध के कारण नवंबर से ईरान से कच्चे तेल का आयात स्थगित कर देगा.
बीएएसएफ़ (जर्मनी): कंपनी ने सितंबर में कहा कि वह ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध की सम्मान करती है लेकिन ईरान के साथ अपने कारोबार को जारी रखने की कोशिश की जाएगी पर अब कंपनी ने अपने कारोबार को इस देश में बहुत हद तक सीमित कर दिया है.
एसके इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी (दक्षिण कोरिया): इस कंपनी ने अपने 1.88 बिलियन डॉलर बजट के उस समझौते को ईरान में स्थगित कर दिया है जिसके तहत ईरान की तबरेज़ ऑयल रिफ़ाइनरी को विकसित करना था.
बिलफ़िंगर (जर्मनी): इस इंजीनियरिंग कंपनी ने जून में कहा कि अब कोई नया समझौत ईरान के साथ नहीं किया जाएगा. इस कंपनी ने साल 2016 में ईरान के साथ उसकी एक ऑयल रिफ़ाइनरी के कंट्रोल सिस्टम से संबंधित एक समझौता किया था.
डाइलिम इंडस्ट्रीज़ (दक्षिण कोरिया): इस कंपनी ने साल 2017 में ईरान के साथ दो बिलियन डॉलर और 80 मिलियन डॉलर का एक समझौता किया था जिसमें ईरान के असफ़हान ऑयल रिफ़ाइनरी को विकसित करने की परियोजनाएं शामिल थीं. मगर ईरान पर दोबारा प्रतिबंध के बाद अपने समझौते को रद्द कर दिया है.
ओएमवी (ऑस्ट्रिया): इस कंपनी ने जून में कहा कि ईरान में भूकंप से संबंधित रिसर्च परियोजनाओं को वो बंद कर रही है.
डानीली (इटली): लौह अयस्क का कारोबार करने वाली इस कंपनी ने मई में ऐलान किया कि अमरीका के ईरान पर दोबारा प्रतिबंध के बाद ईरान के साथ अपने 1.5 बिलियन यूरो के समझौते को रद्द रहा है.
रोड निर्माण से संबंधित कंपनियां
डोएचे बॉन (जर्मनी): रेलवे लाइन बनाने वाली इस कंपनी ने अगस्त में कहा कि सितंबर से ईरान में वो अपना कारोबार बंद कर देगी.
अस्टाडलर रेल (स्विट्ज़रलैंड): अगस्त में इस कंपनी ने ईरान में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की. समझौते के मुताबिक़ 1.4 मिलियन डॉलर के 960 वैगन ईरान के भूमिगत रेलवे के लिए सप्लाई किए जाने वाले थे.
ग्रोपो वंतोरा (इटली): इस कंपनी ने जून में कहा कि ईरान में रेलवे लाइन बिछाने का काम वो बंद कर रही है. इसने साल 2017 में ईरान के साथ दो मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किए थे.
ज़ीमिंस (जर्मनी): इस कंपनी ने मई के महीने में ईरान में अपना कारोबार बंद करने का ऐलान किया.
कम्यूनिकेशन सेक्टर से जुड़ी कंपनियां
डोएचे टेलिकॉम (जर्मनी): इसने अगस्त में ईरान में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की. इस समय तक ईरान में उसकी आमदनी तीन लाख यूरो तक पहुंच गई थी.
एमटीएन ग्रुप (दक्षिण अफ़्रीका): कंपनी ने जून में घोषणा की कि वो ईरान में इंटरनेट डेवलप करने की 750 मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट को बंद कर देगी.
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