फ़ेक न्यूज़: पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ने की ख़बरें कितनी सच
भारत में ख़बरें हैं कि पाकिस्तान में पुलिस और सेना के बीच लड़ाई छिड़ चुकी है और सड़कों पर टैंक उतर आए हैं.
भारत में कई न्यूज़ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पर बड़े स्तर पर इस तरह की ख़बरें चल रही हैं कि पाकिस्तान के शहर कराची में गृह युद्ध छिड़ गया है.
ये रिपोर्ट्स तब से आनी शुरू हुईं, जब पाकिस्तान के स्थानीय मीडिया में ख़बर आई कि सेना ने सिंध प्रांत के आईजी पुलिस का अपहरण कर लिया है. उन पर विपक्ष के नेता को गिरफ़्तार करने के लिए दबाव बनाया गया है.
ये ख़बर तुरंत भारतीय मीडिया में छा गई और इसके बाद पाकिस्तानी सेना और पुलिस को लेकर कई तरह की ख़बरें दिखाई जाने लगीं.
भारत में ख़बरें चलीं कि पाकिस्तान में पुलिस और सेना के बीच झड़प, जिसमें कराची के कई पुलिस अधिकारी मारे गए. साथ ही कराची की सड़कों पर टैंक भी देखे गए हैं.
ट्विटर पर एक फ़ेक वीडियो भी वायरल हो रहा था, जिसमें सेना और पुलिस के कथित टकराव का दावा किया गया.
लेकिन, हक़ीक़त में इनमें से कोई भी दावा सही नहीं है.
पाकिस्तान में हुई राजनीतिक गिरफ़्तारी को लेकर स्थानीय पुलिस और विपक्ष के नेताओं में नाराज़गी ज़रूर थी, लेकिन कहीं भी हिंसा नहीं हुई.
क्या था मामला
भारत और पाकिस्तान के संबंध हमेशा से ख़राब रहे हैं. दोनों एक-दूसरे को दुश्मन देश मानते हैं और एक-दूसरे के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करते रहे हैं. 1947 में आज़ादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बार युद्ध हो चुके हैं.
पिछले साल फ़ेसबुक ने पाकिस्तानी सेना से जुड़े एक नेटवर्क और भारत समर्थित फ़ेक वेबसाइट्स और थिंक-टैंक के एक ग्लोबल नेटवर्क को ब्लॉक किया था. इन नेटवर्क के ज़रिए यूरोप में होने वाले फ़ैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही थी.
लेकिन, इस बार फ़ेक न्यूज़ चलाने वालों में कई वेरिफ़ाइड अकाउंट्स और प्रतिष्ठित न्यूज़ वेबसाइट्स भी शामिल हैं. ये अपने लाखों फ़ॉलोअर्स के बीच फ़ेक न्यूज़ पहुँचा रहे हैं.
इस मामले की शुरुआत तब से हुई जब पाकिस्तान के कराची में विपक्षों दलों के एक गठबंधन ने इमरान सरकार के ख़िलाफ़ रैली की. 18 अक्तूबर को हुई इस रैली के अगले दिन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन (रि.) मोहम्मद सफ़दर को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार का अनादर करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया.
इसके बाद आरोप लगाए गए कि मोहम्मद सफ़दर की गिरफ़्तारी के लिए पाकिस्तानी सेना ने सिंध प्रांत की पुलिस पर दबाव बनाया था. आईजी पुलिस को अग़वा करके उनसे गिरफ़्तार करवाने के लिए ज़बरदस्ती दस्तख़त करवाए गए.
इसके बाद विरोधस्वरूप कई पुलिस अधिकारियों ने एक साथ छुट्टी की अर्ज़ी डाल दी. विवाद बढ़ता देख पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने मामले की जाँच के आदेश दे दिए.
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ऐसी जगहों पर लड़ाई, जो मौजूद ही नहीं
जाँच के आदेश के बाद पाकिस्तान में मामला शांत होने लगा था. लेकिन, मंगलावर को एक अज्ञात ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया कि पाकिस्तान में सेना और पुलिस के बीच झड़प शुरू हो गई है. कराची की सड़कों पर टैंक उतर आए हैं और कम से कम पाँच जानें चली गई हैं.
ये स्पष्ट नहीं है कि ये शुरुआती ट्वीट किसने किया है. बीबीसी को कई कोशिशों के बावजूद भी ये पता नहीं चल पाया है कि @drapr007 नाम का ट्विटर अकाउंट कौन चलाता है.
एक घंटे बाद इस अकाउंट से फिर ट्वीट किया गया. इस बार लिखा था, "#Breaking: कराची के गुलशन-ए-बाग़ इलाक़े में पाकिस्तानी सेना और सिंध पुलिस के बीच भारी गोलीबारी..."
लेकिन, हक़ीक़त ये है कि कराची में गुलशन-ए-बाग़ नाम का कोई इलाक़ा ही नहीं है.
कराची के बारे में जानने वालों को ये ज़रूर पता होगा कि ऐसा कोई इलाक़ा वहाँ नहीं है. हालाँकि, ज़्यादातर उन लोगों को ये सच लग सकता है जिन्हें कराची की ठीक से जानकारी नहीं है.
इसके अलावा कराची की गलियों में कोई लड़ाई नहीं हुई और न ही वहाँ टैंक देखे गए हैं.
इसके बाद पाकिस्तान में गृह युद्ध की ख़बरें फैलने लगीं. कराची में गैस लीक के कारण हुए एक धमाके ने इन अफ़वाहों में और तेज़ी ला दी.
इस ख़बर को कई वेरिफ़ाइड अकाउंट्स और सीएनएन18, ज़ी न्यूज़ और इंडिया टुडे जैसे बड़े मीडिया हाउस ने भी उठाया.
वेरिफ़ाइड अकाउंट वाले एक यूज़र प्रशांत पटेल ने भी कई ट्वीट्स किए, जिसमें उन्होंने कराची में गृह युद्ध की स्थिति होने, पुलिसकर्मियों और सैन्यकर्मियों की मौत होने का दावा किया. साथ ही ये भी दावा किया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रेडियो पर देशभक्ति गीत बजाने के आदेश दिए हैं और कराची के बंदरगाह पर अमरीकी नौसेना पहुँचने वाली है.
प्रशांत पटेल ने अपने बायो में लिखा है कि वो भारतीय सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं.
बीबीसी की रिएलिटी चेक टीम ने ऐसे कुछ अकाउंट्स और वेबसाइट्स को गहराई देखा. इनमें से कुछ अकाउंट सिंध पुलिस के अकाउंट के नाम पर बनाए गए हैं, जो कराची के बारे में झूठी ख़बरें फैला रहे थे. इन अकाउंट्स के भारत से संबंध मिले हैं.
इंटरनेशनल हेराल्ड नाम से एक अकाउंट पर पुलिस और सेना के बीच झड़प का वीडियो शेयर किया गया था.
इस अंधेरे और धुंधले वीडियो में कुछ नौजवान लड़के एक इमारत की तरफ बढ़ रहे हैं. एक तरफ़ आग लगी हुई है. वो पत्थर फेंक रहे हैं और ज़ोर-ज़ोर से नारे लगा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि वो पाकिस्तान के सेना प्रमुख के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे हैं.
बीबीसी ये बताने में असमर्थ है कि क्या इस वीडियो से छेड़छाड़ की गई है या उसे पाकिस्तान में बनाया गया है.
BREAKING : Civil war in Pakistan. Reported clashes between Karachi Police & Pak Army pic.twitter.com/tQsUWPx5pa
— The International Herald (@TheIntlHerald) October 20, 2020
इंटरनेशनल हेराल्ड को 2018 में एक ऐसी कंपनी के तहत रजिस्टर किया गया था, जिसका संचालन बंद हो चुका है. इसका साल 2015 से एक ट्विटर अकाउंट है, जो किसी को फ़ॉलो नहीं करता है. बीजेपी के दो नेता इसके फ़ॉलोअर्स हैं.
ग़लत सूचना फैलाने की मिलजुली कोशिश
मुख्यधारा के पाकिस्तानी मीडिया में भारतीय मीडिया के इस दावे का तुरंत फ़ैक्ट चैक किया गया.
पाकिस्तान में ट्विटर यूज़र्स ने भी भारत में चल रही फ़ेक न्यूज़ की आलोचना की और उन पर चुटकियां लीं और "CivilwarKarachi", "fakenews" और "Indianmedia" जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे.
जाने-माने गायक और एक्टर फ़ख़्र-ए-आलम ने ट्वीट किया, "कराची में गृह युद्ध से हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि मेरे फूड पांडा डिलिवरी बॉय को मेरी निहारी और बिरयानी के साथ अपनी एके47, आरपीजी, 9एमएम लेकर छुपते हुए आना पड़ा. ये मामला बहुत गंभीर हो रहा है."
लेखिका बीना शाह ने कहा, "मैं कराची में रहती हूँ, जहाँ मैंने ग्रॉसरी ख़रीदी, बेकरी गई, कुछ कपड़े ख़रीदे और फिर घर लौट आई. अगर यहाँ गृह युद्ध हो रहा है, तो वो मैं नहीं देख पाई."
कुछ लोग इसे भारतीय मीडिया का ग़लत सूचना फैलाने का एकजुट प्रयास मान रहे हैं.
If the ' news reports' originating in India re troops-police firefights etc in Karachi are an example of the 5th generation warfare we are constantly being warned of, we have nothing to worry about except whatever the consequences of laughing our heads off.
— Abbas Nasir (@abbasnasir59) October 21, 2020
"मीडिया का एक सेक्शन ज़िम्मेदार"
भारतीय पत्रिका 'द कारवां' के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने बीबीसी से कहा, "दोनों देशों में मीडिया का एक ऐसा सेक्शन है, जो ख़ासतौर पर ऐसे खेल खेलने का काम करता है, उसे पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं है."
"ये इतना पक्षपाती है कि इसका कोई मतलब नहीं है."
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि पाकिस्तान में सेना और पुलिस के बीच टकराव दिखाना पाकिस्तान के पतन के भारतीय नैरेटिव में ठीक बैठता है.
उनका कहना है, "ग़लत जानकारी देने वाले ट्विटर हैंडल्स की स्टडी करने पर पता चलेगा कि उनमें से ज़्यादातर सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं."
डिज़िटल स्ट्रैटेजी पर पीएम इमरान ख़ान के सलाहकार अर्सलान ख़ालिद कहते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारतीय मीडिया ने मिल-जुलकर पाकिस्तान के बारे में ग़लत सूचनाएँ फैलाई हैं.
अर्सलान ख़ालिद ट्विटर पर अपने दिशानिर्देशों के प्रति प्रतिबद्धताओं को लेकर भी सवाल उठाते हैं.
कई कोशिशों के बावजूद भी बीबीसी को फ़ेक न्यूज़ पर नीतियों के संबंध में ट्विटर से कोई जवाब नहीं मिल पाया है.
(बीबीसी रिएलिटी चेक और बीबीसी मॉनिटरिंग ने इस रिपोर्ट में योगदान दिया है.)