UAE के लिए गले की हड्डी बना यमन युद्ध? जानिए क्यों 4 साल बाद हूती विद्रोहियों ने किया यूएई पर हमला
हूती विद्रोहियों का उदय साल 1980 के दशक में यमन में हुआ था और यमन के उत्तरी हिस्से में ये शिया आदिवासी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। इस संगठन के जन्म का मुख्य उद्येश्य सुन्नी इस्लाम का विरोध करना है।
अबूधाबी, जनवरी 18: संयुक्त अरब अमीरात पर हूती विद्रोहियों द्वारा किए गये संदिग्ध ड्रोन हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें 2 भारतीय और एक पाकिस्तानी शामिल थे। हूती विद्रोहियों ने सऊदी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हमला किया था। लेकिन, करीब 4 साल बाद हूती विद्रोहियों ने यूएई पर ड्रोन हमला किया था, जिसके बाद सवाल ये है, कि क्या हूती विद्रोहियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। क्योंकि, हूती विद्रोहियों ने आखिरी बार यूएई को साल 2018 में निशाना बनाया था और हूती विद्रोहियों के निशाने पर मुख्यत: सऊदी अरब ही रहता है, लेकिन इस हमले के बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या ईरान को लेकर मिडिल ईस्ट में और भी ज्यादा तनाव भड़कने वाला है? (सभी तस्वीर-फाइल)
क्या है यमन का गृहयुद्ध?
संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब की अगुवाई वाले उस गठबंधन सेना में शामिल है, जो यमन की सरकार का समर्थन करता है और हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देता है। हूती विद्रोहियों को सीधे तौर पर ईरान का समर्थन हासिल है, लेकिन गठबंधन सेना में संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका बेहद कम रही है और यूएई की सेना चौथी लाइन में शामिल रही है। दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात और यमन के बीच का फासला काफी है और दोनों देशों की सीमा भी नहीं मिलती है. वहीं पिछले कुछ सालों में यूएई की सरकार ने यमन युद्ध में अपनी सेना की तादात को काफी कम भी कर दिया है और यमन में अपनी सक्रिय भागीदारी पर भी विचार कर रहा है और हूती विद्रोही भी यूएई को निशाना बनाने से बचते रहे हैं, ऐसे में सवाल ये है, कि आखिर इतने सालों के बाद हूती विद्रोहियों ने यूएई को आखिर क्यों निशाना बनाया है।
हूती विद्रोहियों पर कम आक्रामक यूएई
इसके साथ ही संयुक्त अरब अमीरात समर्थित 'सेपरेटिस्ट साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल' (एसटीसी) और ज्वाइंट फोर्स, जिसकी अगुवाई यमन के पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह का भतीजा करते हैं, ये दोनों बल भी हूदी विद्रोहियों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने से बचते रहे हैं। इसके साथ ही एसटीसी ने सीधे तौर पर यमन की सरकार से लड़ाई लड़ने के बजाए यूएई की सैन्य मदद से यमन की अस्थाई राजधानी 'अदन' पर कब्जा कर लिया। लेकिन, अब पिछले कुछ हफ्तों से यूएई समर्थित बलों ने हूती विद्रोहियों की तरफ बंदूक तानी है, जिसके अब विनाशकारी परिणाम सामने आ रहे हैं।
यमन में कई फ्रंट पर लड़ाई
इसके साथ ही, दक्षिणी यमन में 'जायंट ब्रिगेड्स' का निर्माण किया गया, वो ज्वांइंट ब्रिगेट्स के साथ मिलकर लाल सागर के पास हूती विद्रोहियों के खिलाफ बहुंत बड़ा ऑपरेशन चलाया। पिछले साल दिसंबर महीने में इन बलों ने हूती विद्रोहियों को शबवा तक धकेल दिया और फिर सिर्फ 2 हफ्ते के अंदर ही उन्हें राज्यपाल आवास से खदेड़ दिया। इसके साथ ही 'जायंट ब्रिगेड्स' बम अब आधिकारिक यमन के सरकारी सैनिकों के साथ साथ अब पड़ोसी अल-बेदा और मारिब प्रांतों में भी प्रवेश करना शुरू कर दिया है, जो हूती विद्रोही बाहुल्य श्रेत्र है।
साल के अंत में हूती विद्रोहियों को झटका
साल 2021 बहुत हद तक हूती विद्रोहियों के लिए काफी कामयाब माना जा रहा था और हूती विद्रोहियों ने देश के कई इलाकों में यमन सरकार के सैनिकों को धूल चटा दी और उत्तरी यमन का सबसे महत्वपूर्ण शहर मारिब, जो अभी तक यमन सरकार के कब्जे में है, उस शहर पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगा है, लिहाजा 'जायंट ब्रिगेड्स' और संयुक्त अरब अमीरात की सेना ने मारिब और शबवा में लड़ाई को सीधे तौर पर अपने हाथ में ले लिया है और यही वजह है, कि हूती विद्रोहियों ने एक बार फिर से यूएई को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। 2 जनवरी को लाल सागर में संयुक्त अरब अमीरात के जहाज पर हूती विद्रोहियों द्वारा हमला करना बताता है कि, आने वाले वक्त में संयुक्त अरब अमीरात काफी खतरे की स्थिति में आने वाला है और यूएई के लिए ये एक तरह से चेतावनी है, कि या तो वो अपने सैनिकों को रोके, नहीं तो हूतियों के लिए संयुक्त अरब अमीरात दूर नहीं है।
2018 में हुआ था आखिरी हमला
ये कोई संयोग नहीं है, क्योंकि हूती विद्रोहियों ने यूएई पर आखिरी हमला साल 2018 में तब किया था, जब यूएई की सेना काफी तेजी के साथ यमन के लाल सागर में हूती विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी और बंदरगाह वाले शहर होदेइदाह पर यूएई के सैनिकों ने करीब करीब कब्जा भी कर ही लिया था, लेकिन इसी बीच यूनाइटेड नेशंस के आह्वान पर यूएई की सरकार ने अपने सैनिकों को आगे बढ़ने से रोक दिया। तब से, संयुक्त अरब अमीरात ने यमन में अपनी रणनीति बदल दी है और यमन का युद्ध एक दलदल बन चुका है। लेकिन, यमन युद्ध उससे भी ज्यादा एक पीआर युद्ध आपदा बन चुकी है, जिसमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को यमन में अलग-थलग करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों के कदम थे।
यूएई पर हुए हमले के मायने
संयुक्त अरब अमीरात पर हुए हूती विद्रोहियों द्वारा किया गया ये हमला एक तरह का हुती विद्रोहियों द्वारा खेला गया जुआ है, जो यह बताने की कोशिश है, कि संयुक्त अरब अमीरात यमन के चक्कर में अपने देश की शांति को बर्बाद नहीं करना चाहेगा और आर्थिक नुकसान नहीं उठाना चाहेगा। हालांकि, 2018 के मुकाबले 2022 में स्थिति काफी बदल चुकी है और अब जमीन पर यूएई की काफी कम सेना मौजूद है और यएई पूरी तरह से अपने सहयोगियों पर ही निर्भर है, लिहाजा अब यूएई सरकार को तय करना है कि, वो एक बार फिर से यमन युद्ध में अपने सैनिकों को भेजेगा या फिर यमन युद्ध से यूएई खुद को पूरी तरह से अलग कर लेगा।
कौन हैं हूती विद्रोही
आपको बता दें कि, हूती विद्रोहियों का उदय साल 1980 के दशक में यमन में हुआ था और यमन के उत्तरी हिस्से में ये शिया आदिवासी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। इस संगठन के जन्म का मुख्य उद्येश्य यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा का विरोध करना है और साल 20111 से पहले जब यमन में सुन्नी नेता अली अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी, उस वक्त हूती विद्रोहियों के खिलाफ काफी आक्रामक ऑपरेशंस चलाए गये, लिहाजा शिया मुसलमानों में सुन्नियों के तानाशाह नेता के खिलाफ गुस्सा भड़क गया। हूती विद्रोहियों को मुख्य तौर पर ईरान का समर्थन हासिल है, जबकि सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ स्पेशल फोर्स का गठन किया हुआ है और ईरान के साथ सऊदी-यूएई के विवाद की सबसे बड़ी वजह यही है।