ईरान ने उकसाया...हूतियों ने धमकाया...क्या संयुक्त अरब अमीरात फिर से युद्ध के मैदान में रखेगा कदम?
अबू धाबी के खिलाफ हमला वास्तव में ईरान द्वारा शुरू किया गया हो सकता है, जबकि हूतियों ने इसकी जिम्मेदारी ली है। उन्हें लगता है कि यह संभावना नहीं है कि हूती विद्रोही 1200 किलोमीटर से अबू धाबी पर निशाना लगा दें...
अबूधाबी, जनवरी 24: पिछले सोमवार को ईरान समर्थिक हूती विद्रोहियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी के तेल भंडार पर किए गये ड्रोन हमले में तेल के कई टैंकर उड़ गये और दो भारतीय और एक पाकिस्तानी शख्स की मौत हो गई। अबूधाबी पर हुआ हमला पूरी दुनिया के लिए एक आश्चर्य है, ऐसा इसलिए, क्योंकि, यमन में खूनी लड़ाई में शामिल लगभग सभी अमीराती सैनिकों को जुलाई 2019 में ही वापस बुला लिया गया था और संयुक्त अरब अमीरात ने खुद को खूनी संघर्षों से मुक्त एक पूरी तरह से सुरक्षित पर्यटक और व्यापार केंद्र के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश की थी। लेकिन, क्या अबूधाबी पर हुए हमले के बाद स्थिति पूरी तरह से बदल गई है?
अबूधाबी पर क्यों किया गया हमला?
हालांकि, यूएई ने यमन से अपने सैनिकों को भले ही बुला लिया, लेकिन हालिया समय में संयुक्त अरब अमीरात की वायुसेना ने फिर से हूती बाहुल्य क्षेत्रों पर हमला करना शुरू कर दिया है और अदन सरकार को यूएई ने एक बार फिर से घातक हथियारों की खेप भेजनी शुरू कर दी है, जिसका निशाना सीधे तौर पर हूती विद्रोही बनने वाले हैं और हूती विद्रोही इसी बात से बुरी तरह से चिढ़े हुए हैं। अबू धाबी पर हुए हमले की अंतरराष्ट्रीय निंदा की गई है, लेकिन इस हमले के बाद इस क्षेत्र में संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खिलाड़ियों की नीतियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यूएई ने कसम खाई है, कि वह 2018 के बाद से अपनी धरती पर हुए सबसे महत्वपूर्ण हूथी हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा।
हूती विद्रोहियों पर पलटवार
शुक्रवार को यमन के सादा सिटी रिमांड जेल पर सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने भीषण सैन्य हमला किया है और हूती विद्रोहियों को खौफनाक जवाब देने की कोशिश की है, जिसमें MSF संगठन (डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) के अनुसार कम से कम 82 लोग मारे गए और 266 घायल हुए हैं। अगले दिन, सऊदी-अमीराती गठबंधन के लड़ाकों ने यमन के चौथे सबसे बड़े शहर अल हुदैदाह में एक दूरसंचार इमारत पर भी हमला किया, जिसमें 20 लोग मारे गए। लेकिन, सवाल ये है कि, संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ हूती विद्रोहियों का हमला क्या अमीराती सरकार के लिए एक कड़ी चेतावनी है, कि उसे 'अंसार अल्लाह' से लड़ने वाले स्थानीय मिलिशिया के समर्थन पर पुनर्विचार करना चाहिए। आपतो बता दें कि, 'अंसार अल्लाह' हूती आंदोलन का आधिकारिक नाम है, और सऊदी के नेतृत्व वाली गठबंधन लड़ाई में स्थानीय मिलिशिया ग्रुप 'अंसार अल्लाह' के खिलाफ खड़े रहते हैं।
यूएई पर क्यों गुस्साए हूती विद्रोही?
सवाल ये है, कि आखिर हूती विद्रोहियों को यूएई पर क्यों गुस्सा आया और हूती विद्रोहियों ने यूएई पर हमला क्यों किया, तो इसका उत्तर यह है, कि जनवरी की शुरुआत में जायंट्स ब्रिगेड, एक सुव्यवस्थित मिलिशिया, जो संयुक्त अरब अमीरात के हथियारों से लैस और समर्थित है, उसने शबवा के गवर्नर से हौति विद्रोहियों को बाहर निकालने के लिए एक सफल सैन्य अभियान शुरू किया और फिर मारिब चले गए। लेकिन, हूती विद्रोहियों में गुस्सा इस बात को लेकर है, कि जिस संयुक्त अरब अमीरात ने यमन से अपने सैनिकों को बुला लिया है और यमन में दखलअंदाजी बंद कर चुका हो और जो 'अंसार अल्लाह' के खिलाफ लड़ने वालों का समर्थन नहीं करने का वादा किया हो, उसने जायंट्स ब्रिगेट को समर्थन करना और उसे फौजी मदद पहुंचाना क्यों शुरू कर दिया है।
क्या पर्दे के पीछे खड़ा है ईरान?
कुछ सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अबू धाबी के खिलाफ हमला वास्तव में ईरान द्वारा शुरू किया गया हो सकता है, जबकि हौतियों ने अभी इसकी जिम्मेदारी ली है। उन्हें लगता है कि यह संभावना नहीं है कि हूती विद्रोही 1200 किलोमीटर से अधिक की दूरी से इतना खतरनाक और सटीक हमला संयुक्त अरब अमीरात पर कर दें। विश्लेषकों का मानना है कि, खाड़ी देशों को संदेश भेजने के लिए ईरान, यमन युद्ध का इस्तेमाल कर रहा है और ईरान संदेश देना चाहता है, कि वो या को ईरान के हितों को गंभीरता से लें, या फिर अपनी सुरक्षा और स्थिरता को जोखिम में डाल लें। जियो पॉलिटिक्स के विश्लेषक माइकल होरोविट्ज का मानना है कि, संयुक्त राज्य अमेरिका, ईरान पर प्रतिबंधों को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए अमीरात पर दबाव बना रहा था, जबकि वियना में परमाणु वार्ता जारी है, और ऐसी रिपोर्ट है कि, "अबू धाबी के खिलाफ हमले ने भी एक के तरह में काम किया है ईरान ने यूएई को कड़ी चेतावनी दी है।"
यूएई को ब्लैकमेल करने की कोशिश?
अलजजीरा से बात करते हुए माइकल होरोविट्ज ने संयुक्त अरब अमीरात के समुद्री यातायात पर किए गये कई हमलों का जिक्र किया और कहा कि, ''पिछली बार जब संयुक्त अरब अमीरात पर इस तरह के हमले किए गये थे, तो शांति के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने पर्दे के पीछे से ईरान के साथ समझौता कर लिया था और उसने क्षेत्रीय तनाव को कम करने की कोशिश की थी।'' उन्होंने कहा कि, ''यूएई सरकार टकराव की तरफ जाना नहीं चाहता है और वो शांति के साथ अपने देश का विकास करना चाहता है''। ऐसे में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि, यूएई शांति चाहता है और ईरान शांति की कीमत पर यूएई को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि अमेरिका जब ईरान पर फैसला ले, तो यूएई कम से कम ईरान के खिलाफ ना हो। दूसरी तरफ अबू धाबी के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले का एक और परिणाम यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हूथी विद्रोहियों को "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन" के रूप में फिर से नामित करने के बारे में विचार कर रहे हैं।
फिर आतंकवादी कहलाएंगे हूती विद्रोही?
पिछले साल अमेरिकी विदेश विभाग ने हूती विद्रोहियों को विदेशी आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल करने के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लिए लिए गये फैसले को पलट दिया था, क्योंकि इससे यमन को बेहद जरूरी मानवीय सहायता की आपूर्ति बंद हो जाती। निस्संदेह, अबू धाबी पर हुए हमले ने संयुक्त अरब अमीरात को दुविधा के घेरे में ले लिया है। क्या उसे यमन में युद्ध में अपनी सैन्य भागीदारी को बलपूर्वक जवाब देना चाहिए और अपनी सैन्य भागीदारी को बढ़ाना चाहिए, और हूती विद्रोहियों को कमजोर करना चाहिए या आगे के टकराव से बचने के लिए अपनी भागीदारी को और कम कर देना चाहिए?
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अब क्या करेगा संयुक्त अरब अमीरात?
यदि संयुक्त अरब अमीरात युद्ध में अपनी भागीदारी बढ़ाने का विकल्प चुनता है, तो उसे भविष्य में मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी वायु रक्षा को बढ़ावा देने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने होंगे। इसे युद्ध में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भी मजबूर किया जाएगा और संभवतः एक बार फिर यमन में सेना भेजने की आवश्यकता होगी। यह निश्चित रूप से सऊदी अरब को खुश करेगा और रियाद के साथ संयुक्त अरब अमीरात के गठबंधन को मजबूत करेगा लेकिन ईरान के साथ संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों में जो नजदीकी आई थी, वो फिर से खत्म हो जाएगी।
यूएई के युद्ध में जाने या नहीं जाने से असर
विश्लेषकों का कहना है कि, यदि संयुक्त अरब अमीरात एक बार फिर से यमन युद्ध में जाने का फैसला करता है, तो इसमें कोई शक नहीं, कि आने वाले दिनों में यूएई में मिसाइल और ड्रोन हमले होंगे और इस स्थिति में संयुक्त अरब अमीरात ने हालिया समय में देश को व्यापार क्षेत्र में बढ़ाने की जो कोशिश की है, उसे गहरा धक्का लगेगा। इसके साथ ही देश के पर्यटन उद्योग को भी गहरा झटका लगेगा और यूएई की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी। वहीं, अगर संयुक्त अरब अमीरा 'शांति' का विकल्प चुनता है और जिसकी ज्यादा संभावना नजर आ रही है, तो इसका अर्थ यह होगा, कि संयुक्त अरब अमीरात अपनी सैन्य प्रतिष्ठा खो देगा। लेकिन यह सुनिश्चित करेगा कि यह पर्यटन और व्यापार केंद्र की भूमिका निभाना जारी रखेगा। इसका मतलब यह है कि अब यूएई ईरान के साथ संबंध बनाने के लिए अधिक दबाव महसूस कर रहा है। लेकिन, यूएई के लिए नकारात्मक पक्ष यह है कि वज संभवत: अपने प्रमुख सहयोगी सऊदी अरब को नाराज करे देगा।