इंग्लैंड में चरम पर बेरोजगारी: राहत पैकेज के बावजूद लाखों लोगों ने नौकरियों से धोए हाथ
पिछले कुछ महीनों के दौरान इंग्लैंड में लाखों लोगों ने अपनी नौकरी से हाथ धो लिया है। इंग्लैंड में नौकरी खोने वाले लोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई है।
लंदन: पिछले कुछ महीनों के दौरान इंग्लैंड में लाखों लोगों ने अपनी नौकरी से हाथ धो लिया है। इंग्लैंड में नौकरी खोने वाले लोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। 2016 के बाद ये पहला मौका है जब इंग्लैंड में लाखों लोगों की नौकरी गई है। पिछले तीन महीनों के दौरान इंग्लैंड में बेरोजगारी दर बढ़कर 5.0% हो गया है। बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन लगाने से ब्रिटेन में नौकरी जाने की भयावह स्थिति बन गई है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी बद से बदतर होती जा रही है।
ब्रिटेन में लगाया है फिर से लॉकडाउन
यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा इंग्लैंड ही प्रभावित है। कोरोना वायरस की वजह से ब्रिटेन में अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जो यूरोप में सबसे ज्यादा है। वहीं, ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भी मिला है, ऐसे में 5 जनवरी से ब्रिटेन में दोबारा लॉकडाउन लगाया गया है। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि जो स्थिति इंग्लैंड में इस वक्त है, उस हालात में मार्च तक लॉकडाउन नहीं हटाया जा सकता है। दोबारा लॉकडाउन लगने से इग्लैंड में कंपनियों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है और उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि कर्मचारियों को सैलरी दे सके, लिहाजा कंपनियों में रिकॉर्ड स्तर पर छंटनियां की गई हैं।
हालात संभालने के लिए राहत पैकेज
इंग्लैंड की नेशनल स्टैटिकिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2020 में प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के आंकड़ों में दिसंबर 2019 के मुकाबले 2.7 प्रतिशत की कमी आई है, यानि कोविड संक्रमण शुरू होने के बाद 8 लाख 28 हजार लोगों की नौकरियां इंग्लैंड में गई है। हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने लोगों की नौकरी बचाने के लिए 'जॉब रिटेंशन प्रोग्राम' लाया। जो ब्रिटिश इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा राहत पैकेज था। ब्रिटिश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मई 2020 तक राहत पैकेज के अंतर्गत 8.9 मिलियन कर्मचारियों को कवर किया गया था, जब 31 अक्टूबर तक घटकर 2.4 मिलियन हो गया।
63 बिलियन डॉलर का राहत पैकेज
लोगों की नौकरियां बचाने के लिए ब्रिटेन सरकार ने 46.4 बिलियन पाउंड यानि 63 बिलियन डॉलर की राहत पैकेज की घोषणा की थी। ब्रिटेन सरकार का यह राहत पैकेज 30 अप्रैल को खत्म होने वाला है। राहत पैकेज के तहत उन कंपनियों के खाते में उन कर्मचारियों की सैलरी डायरेक्ट ट्रांसफर की गई, जो लोगों को नौकरियों से निकालने वाले थे। बताया जा रहा है कि इंग्लैंड सरकार की राहत पैकेज की वजह से लाखों लोगों की नौकरियां जरूर बचीं, मगर फिर भी ब्रिटेन में बेरोजगारी दर दिसंबर 2019 के मुकाबले 5 प्रतिशत से बढ़ चुकी है।
ब्रिटेन के वित्तमंत्री ऋषि सुनक 3 मार्च को ब्रिटेन का बजट पेश करने वाले हैं, जिसको लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि एक बार फिर से बड़े राहत पैकेज का एलान ब्रिटेन सरकार कर सकती है। वित्तमंत्री ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में बेरोजगारी दर के नये आंकड़ों पर कहा कि ' कोरोना क्राइसिस उस हद तक चला गया है जिसकी उम्मीद हमने कभी नहीं की थी। और लोगों की नौकरियां जाना इसी कोविड क्राइसिस का नतीजा है'
रोजगार बचाने के लिए राहत स्कीम
ब्रिटेन के वित्तमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि 'फिलहाल ब्रिटेन का नेशनल हेल्थ सर्विस हर ब्रिटिश को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाने की कोशिश कर रहा है। लोगों की जान बचाने के लिए ब्रिटेन सरकार ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है। हमें व्यवसायों और इंग्लैंड के हर परिवार का समर्थन मिला है, और हम उम्मीद करते हैं कि हमें ये आगे भी मिलेगा'। शुक्रवार को जारी किए गये आंकड़ों के मुताबिक पिछले 3 महीने के दरम्यान 88 हजार लोगों की नौकरियां और गई हैं, हालांकि एक लाख नौकरियां जाने का अनुमान लगाया गया था।
बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली ने इस महीने कहा था, कि उनका मानना है कि समाज के अंदर बेरोजगारी की दर काफी ज्यादा थी, जो इन आंकड़ों से स्पष्ट नहीं होता है। इन आंकड़ों में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, जो पिछले कई महीनों से घर में बैठे हैं मगर कोविड संक्रमण की वजह से नई नौकरी नहीं तलाश रहे हैं। आपको बता दें कि ब्रिटेन में 5 जनवरी को फिर से लॉकडाउन लगाया गया है जो मार्च तक जारी रहेगा।