पृथ्वी के करीब आ रहा है 'छोटा चांद', NASA के वैज्ञानिक भी हैरान, आखिर ये है क्या?
नई दिल्ली। अंतरिक्ष में हर सेकंड नए-नए बदलाव होते रहते हैं, हालांकि इससे हमारे वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के बारे में और अधिक जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिलती है। हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि पृथ्वी की कक्षा में एक और छोटा चांद शामिल हो सकता है। नासा के मुताबिक यह नया एस्टेरोइड धरती की परिक्रमा करेगा जो वास्तव में अंतरिक्ष का पुराना कबाड़ हो सकता है। अब यह वापस हमारे ही ग्रह की तरफ आ रहा है। फिलहाल यह धरती से 27,000 मील की दूरी पर अंतरिक्ष में तैर रहा है।
नासा के वैज्ञानिक ने जताई ये आशंका
नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के निदेशक डॉ पॉल चोडास के मुताबिक यह छोटा चांद सिर्फ क्षुद्रग्रह नहीं है जो पृथ्वी की कक्षा में घूमता रहेगा बल्कि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह 1960 के दशक में मानव द्वारा अंतरिक्ष में ही छोड़े गए किसी उपग्रह का कबाड़ हो सकता है जो हमारे ग्रह पर वापस आ रहा है। नासा के मुताबिक यह क्षुद्रग्रह 2020 एसओ नाम की वस्तु एक पुराना बूस्टर रॉकेट है।
पृथ्वी की तरफ आ रहा है क्षुद्रग्रह
डॉ पॉल चोडास ने कहा कि पृथ्वी की कक्षा से दूर खोजा गया नया ऑबजेक्ट एक पुराना रॉकेट बुस्टर हो सकता है। इस संदेह की वजह यह है कि ऑबजेक्ट सूर्य के बारे में एक कक्षा का अनुसरण कर रहा है जो पृथ्वी के समान लगभग गोलाकार है और अपने सबसे दूर बिंदु पर सूर्य से थोड़ा दूर है। यह चंद्रयान अभियान के लिए के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले रॉकेट की तरह ही है, जिसे कई वर्षों बाद सूर्य की कक्षा में पाया गया।
क्या होता है क्षुद्रग्रह?
चोडास ने आगे कहा कि यह ऐसे रॉकेट एक बार चंद्रमा से गुजरते हैं और फिर सूर्य की ऑर्बिट की तरफ चला जाता है। हालांकि इस बात की संभावना नहीं के बराबर है कि इस तरह की कक्षा में कोई क्षुद्रग्रह विकसित हो सकता है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। बता दें कि क्षुद्रग्रह या ऐस्टरौएड वह खगोलीय पिंड होते हैं जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते है। यह आपने आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते हैं।
1966 में फेल हुए मिशन का कबाड़ भी होने की आशंका
जब वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की तरफ आ रहे क्षुद्रग्रह की रफ्तार और पुराने चंद्रयान मिशन के लॉन्च का विश्लेषण किया किया तो पाया कि यह सान 1966 में यह पृथ्वी के करीबी क्षेत्र में था। नासा के वैज्ञानिकों को संकेत मिले हैं कि 20 सितंबर 1966 को सर्वेयर 2 के प्रक्षेपण के साथ इस रॉकेट बुस्टर का संबंध हो सकता है। क्योंकि उस दौरान इस रॉकेट को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन मिशन फेल हो गया था। जानकारी के मुताबिक वह अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस स्थिति में माना जाएगा मिनी मून
नासा ने बताया कि उस मिशन में इस्तेमाल किए गए रॉकेट बुस्टर के तौर पर सेंटूर रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था, जो हादसे का शिकार होने के बाद सूर्य की कक्षा में चला गया। उसके बाद उसे आज तक नहीं देखा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह ऑब्जेक्ट पृथ्वी की कक्षा में इस साल नवंबर के अंत तक प्रवेश कर सकता है। अगर यह क्षुद्रग्रह हुआ तो इसे मिनी मून माना जायेगा, लेकिन नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के निदेशक डॉ पॉल चोडास के मुताबिक यह बूस्टर रॉकेट हो सकता है।
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