14 साल की लड़की का दोगुनी उम्र का दूल्हा तो छोड़ दिया घर, अपने दम पर एक दिन बनी पीएम
एक लड़की थी। उम्र आठ साल। पिता बढ़ई थे। मां किराना दुकान चलाती थीं। मां जब सौदा-सुलफ लेने बाजार जाती तब आठ साल की ये बच्ची दुकान संभालती। गरीबी थी। परिवार बड़ा था। सब मिल जुल कर जिंदगी की गाड़ी खींचने में लगे थे। लड़की पढ़ना चाहती थी। दुकान भी देखती और पढ़ाई भी करती। 14 साल की हुई तो हाईस्कूल में पहुंच गयी। रुढ़वादी परिवार था। मां ने लड़की को हुक्म सुना दिया, पढ़ाई छोड़ो और शादी करो। उसकी बडी बहन की शादी भी इसी उम्र में हो गयी थी। दूल्हा भी खोज लिया गया। दूल्हे की उम्र लड़की से दोगुनी थी। लड़की ने विद्रोह कर दिया। उसने माता-पिता के फैसले के विरोध में घर छोड़ दिया। ट्रेन का टिकट कटाया और पहुंच गयी अपनी बड़ी बहन के पास। कुछ दिनों के बाद बड़ी बहन से भी लड़की का झगड़ा हो गया। बड़ी बहन उसे माता-पिता की तरह बंदिशों में बंधना चाहती थी। उसने बड़ी बहन का भी घर छोड़ दिया। अपने दम पर पढ़ाई करने लगी। पढ़ने के लिए पार्ट टाइम जॉब किया। माता- पिता को झुकना पड़ा। लड़की घर लौटी। वह पढ़ने के साथ- साथ राजनीति में भी दिलचस्पी रखने लगी। पिता से फिर तकरार हुई। लेकिन लड़की जिद पर अड़ी रही। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की। मर्जी से शादी की। राजनीति में नाम कमाया। और एक दिन अपने देश का प्रधानमंत्री भी बनी। यह कहानी है इजरायल की पहली महिला प्रधानमंत्री गोल्डा मायर की।
गोल्डा मायर
गोल्डा मायर का जन्म (1898) यूक्रेन की राजधानी कीव के एक यहूदी परिवार में हुआ था। 1905 के आसपास यहूदियों के खिलाफ रूस (तब यूक्रेन रूस का हिस्सा था) में हमले हो रहे थे। गोल्डा मायर के घर को भी उजाड़ दिया गया। गोल्डा का परिवार कीव से अमेरिका आ गया। रोजी-रोटी के लिए बहुत भटकना पड़ा। पिता मोशे माबोविच ने कारपेंटर के रूप में काम शुरू किया तो मां ब्लूमा माबोविच को राशन की दुकान चलानी पड़ी। अमेरिका में ही गोल्डा की पढ़ाई हुई। पढ़ने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। मां 14 साल की उम्र में ही उनकी शादी करना चाहती थीं। शादी के नाम पर गोल्डा भड़क गयीं। उस पर तुर्रा ये कि लड़के उम्र उनसे बहुत अधिक थी। एक रात उन्होंने अपना समान बांधा। रात में जब माता-पिता सो गये तो खिड़की से रस्सी के सहारे नीचे उतर गयीं। एक सहेली ने उनको भागने में मदद की। गोल्डा भाग कर अपनी बहन के पास चली गयीं। वहां उन्होंने पढ़ने-लिखने के साथ-साथ यहूदियों पर हो रहे अत्याचार को भी समझा। तभी से उनके मन में यहूदियों के लिए संघर्ष करने की बात घर कर गयी। बाद में पिता के आग्रह पर घर आ गयीं। लेकिन यहूदियों की सभा में आने-जाने को लेकर पिता से फिर झगड़ा हो गया। तब गोल्डा के इरादे और फौलादी हो गये। उनका स्वभाव पुरूषों की तरह दबंग और नीडर हो गया। वे बहुत अच्छा और जोशिला भाषण करने लगीं। इन सब के बीच पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने टीचिंग सर्टिफिकेट की परीक्षा पास कर ली। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पसंद के युवक मौरिस मायर्सन से शादी कर ली। शादी के बाद गोल्डा ने अपने पति के सरनेम मायर्सन को अपना लिया। बाद में उन्होंने मायर्सन को मायर कर लिया। इस तरह वे अपना नाम गोल्डा मायर लिखने लगीं।
बगावती तेवर, खुद बनायी राह
गोल्डा मायर यहूदी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने लगीं। मध्य पूर्व एशिया के फिलिस्तीन के य़ेरुशलम को यहूदी अपना मूल निवास स्थान मानते हैं। 19 वीं शताब्दी के अंत में और बीसवी शताब्दी के शुरू में यूरोप के कई देशों में यहूदियों के खिलाफ खून खराबे का भयानक दौर चला था। हजारों यहूदियों को मार दिया गया था। कई घर लूट लिये गये थे। यहूदी भाग-भाग कर येरुशलम आने लगे। फिलिस्तीन को बांट कर एक अलग यहूदी राष्ट्र की मांग शुरू हो गयी। इस बीच 1921 में गोल्डा मायर अपने पति के साथ फिलिस्तीन आ गयीं। वे यहूदी संगठन से जुड़ कर काम करने लगीं। फिर वे अपने पति के साथ येरुशलम आ गयीं। यहां वे यहूदियों के ट्रेड यूनियन की राजनीति में सक्रिय हुईं। अलग यहूदी देश बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान गोल्डा मायर यहूदी आंदोलन की सबसे मजबूत नेता के रूप में उभरीं। 1948 में इजरायल जब एक स्वतंत्र देश बना तो इसके घोषणा पत्र पर दस्तखत करने वाले नेताओं में वे भी थीं। डेविड बेन गुरियन इजरायल के पहले प्रधानमंत्री बने। गोल्डा मायर को मंत्री बनाया गया। वे 1956 में इजरायल की विदेश मंत्री बनीं। प्रधानमंत्री गुरियन अक्सर कहा करते थे, मेरे मंत्रिमंडल एक ही मर्द है और वह हैं गोल्डा मायर।
गोल्डा मायर एक असल मर्दानी
गोल्डा मायर राजनीति में कोई छुई-मुई औरत नहीं थीं। नीडर और दबंग गोल्डा खुद को किसी मर्द की तरह पेश करती थीं। वह पुरुषों की तरह बड़े डायल वाली घड़ी पहनतीं। बेतक्लुफ हो कर सिगरेट पींती। एक खत्म होता नहीं कि दूसरा सुलगा लेतीं। निक्सन जैसे मजबूत अमेरिकी राष्ट्रपति तक को उन्होंने अपने तेवर दिखाये थे। कई पदों पर रहने के बाद 1965 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था। 1969 में इजरायल के प्रधानमंत्री लेवाई एशकॉल की मौत हो गयी तो इजरायल को एक मजबूत नेता की जरूरत महसूस हुई। 1967 में अरब देशों के खिलाफ युद्ध जीत कर इजरायल ने दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी थी। ऐसे माहौल में गोल्डा मायर जैसी दबंग नेता ही देश संभाल सकती थीं। गोल्डा मायर को संन्यास तोड़ने के लिए मनाया गया। 1969 में वे इजरायल की पहली और दुनिया की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं।