Paris climate deal: पेरिस जलवायु मुद्दे पर ट्रंप का बड़ा बयान, कहा-संधि निष्पक्ष होने पर अमेरिका फिर हो सकता है शामिल
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वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु संधि पर एक बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि अगर बिना भेदभाव के बेहतर सौदा दिखता है तो अमेरिका इस संधि को दोबारा अपना सकता है। ट्रंप ने ये बात नार्वे के प्रधानमंत्री एर्ना सोल्बर्ग के साथ संवाददाता सम्मेलन में कही। ट्रंप ने कहा कि उस समय संधि में अमेरिका के साथ बेईमानी हुई थी इसलिए हमें डील से बाहर आना पड़ा था। जलवायु संधि करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन पेरिस समझौता एक बुरा समझौता था। आपको बता दें कि साल 2017 के जुलाई में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2015 में हुए पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट से अमेरिका के बाहर निकलने का ऐलान किया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया था भारत पर आरोप
ट्रंप ने इसके साथ ही भारत को सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला देश भी करार दिया था। तब ट्रंप ने कहा था कि पेरिस क्लाइमेट डील अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है और यह अमेरिकी नौकरियों के लिए बड़ा संकट भी है। ट्रंप ने इस डील से अमेरिका के बाहर निकलने पर चीन और भारत को दोषी ठहराया था।
चीन और भारत पर मढ़ा था आरोप
अमेरिका ने ये भी कहा था कि भारत को हर वर्ष 2015 के पेरिस एग्रीमेंट के तहत बिलियन डॉलर की रकम मिलती है और साथ ही चीन को भी बड़ा फायदा होता है। चीन और भारत जैसे देश अमेरिका की ओर से मिलने वाली बिलियन डॉलर्स की मदद से कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट्स को दोगुना कर लेते हैं।
पीएम मोदी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी
ट्रंप के इस बयान पर पीएम मोदी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी , उन्होंन कहा था कि 'पेरिस समझौता हो या न हो, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण बचाने की है। जो चीजें भावी पीढ़ी की हैं, उन्हें छीनने का हमें कोई अधिकार नहीं है।' इकोनॉमिक फोरम में अपने संबोधन में मोदी ने तब 5,000 साल पहले लिखे गए अथर्ववेद का जिक्र किया था, जो प्रकृति तथा उसके संरक्षण को समर्पित है। उन्होंने कहा कि हमारा यही मानना है कि प्रकृति का शोषण एक अपराध है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जताया था दुख
वहीं ट्रंप के इस फैसले पर तब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जिनके कार्यकाल में अमेरिका इस समझौते का हिस्सा बना था, गहर दुख प्रकट किया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी नेतृत्व की अनुपस्थिति के बावजूद मुझे पूरा भरोसा है कि अमेरिकी राज्य, शहर और बिजनेस इस रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ग्रह को बचाने का काम करेंगे।
पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता क्या है
दुनियाभर के 191 देशों के बीच साल 2015 में एक समझौता हुआ था, इसके तहत सभी देशों को मिलकर दुनिया का तापमान 2 डिग्री तक कम करना होगा। इसके लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में कदम उठाने पर सहमति बनी थी। भारत के नागरिक प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 2.5 टन से कम करते हैं जबकि अमेरिका और चीन इस मामले में कई गुना आगे हैं। अमेरिका में प्रति व्यक्ति 20 टन कार्बन उत्सर्जन करता है। परंतु जनसंख्या के लिहाज से हम ज्यादा हैं इसलिए हम पर धरती को प्रदूषित करने का आरोप ज्यादा लगता है।