Beast Car: ट्रंप के 10 दिन पहले आ गई उनकी कार, अंदर से देखिए उसकी खूबियां
अहमदाबाद। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत आ रहे हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप का यह पहला भारत दौरा। उनका पहला पड़ाव गुजरात का अहमदाबाद है और यहां पर वह मोटेरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप की कार प्रेसीडेंशियल लिमोजिन जिसे 'बीस्ट' कहते हैं, भारत आ चुकी है। साल 2018 में इस कार को सीक्रेट सर्विस फ्लीट में शामिल किया गया था। इस कार को किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का सबसे शाही व्हीकल माना जाता है। इस नई कार को बीस्ट 2.0 नाम दिया गया है और साल 2009 के मॉडल की जगह इसे शामिल किया गया था।
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कहते हैं कैडियलिक वन भी
बीस्ट का मतलब होता है जंगली या पागल जानवर या फिर सबसे क्रूर इंसान। एक्सपर्ट कहते हैं कि यह किसी बैटल टैंक से कम नहीं हैं। एक ऐसी कार जिसे ट्रांसपोर्ट करने के लिए दुनिया के सबसे हैवी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का प्रयोग किया जाता है। एयरफोर्स वन और मरीन वन की तरह ही इस कार को कैडियलिक वन भी कहा जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति की आधिकारिक कार को शेवरलेट कंपनी ने तैयार किया है बीस्ट अमेरिकी राष्ट्रपति की आधिकारिक कार है। बीस्ट से पहले कई कारों को अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी ऑफिशियल कार के तौर पर प्रयोग कर चुके हैं। राष्ट्रपति ट्रंप की यह कार जनरल मोटर्स की है।
साल 1930 में मिली थी मंजूरी
वर्ष 1930 से अमेरिका की फेडरल सरकार ने राष्ट्रपति के लिए एक आधिकारिक कार के प्रयोग की मंजूरी दी। सिर्फ उन कारों का ही प्रयोग होता है जो एडवांस्ड कम्यूनिकेश्न इक्विपमेंट्स, आर्मर प्लेटिंग और एडवांस डिफेंस इक्विपमेंट्स से लैस हों। बीस्ट राष्ट्रपति की वह कार है जिसे हाल ही में सुरक्षा के लिहाज से कस्टमाइज किया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप की इस कार की कीमत करीब 12 करोड़ रुपए है। इस कार में करीब पांच लीटर फ्यूल की कैपेसिटी है। कार सिर्फ 15 सेकेंड में ही 60 मील की रफ्तार ले लेती है। गाड़ी में राष्ट्रपति के साथ सात लोगों की जगह है।
इसके बिना नहीं चल सकते हैं ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप को बीस्ट के अलावा किसी और दूसरी कार में सफर करने की जरा भी इजाजत नहीं है। वह जब कभी भी किसी दूसरे देश के दौरे पर जाते हैं तो सिर्फ इसी कार से ही सफर कर सकते हैं। साधारण लोगों के लिए इसका नाम बीस्ट है मगर सीक्रेट सर्विस एजेंट्स इसे 'स्टेजकोच' के तौर पर संबोधित करते हैं। बीस्ट को अमेरिका से दूसरे देशों में ट्रांसपोर्ट करने के लिए सीक्रेट सर्विस एजेंट्स सी-17 ग्लोबमास्टर का प्रयोग करते हैं। सी-17 को दुनिया का सबसे भारी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट माना जाता है। इस कार को ड्राइव करने के लिए ड्राइवर सीक्रेट सर्विस एजेंट ही होता है। कार को ड्राइव करने से पहले उसे कई तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
मिलिट्री सैटेलाइट से कनेक्ट बीस्ट
बीस्ट का निकनेम रोडरनर है और इस रोलिंग कम्यूनिकेशन ऑफिस भी कहा जाता है। यह कार सीधे मिलिट्री सैटेलाइट से कनेक्ट होती है। बीस्ट में आठ इंच मोटी आर्मर प्लेटिंग लगी हुई है और इसके दरवाजों को वजन बोइंग 757 एयरक्राफ्ट के दरवाजों के जितना ही है। पांच इंच की मोटी बुलेटप्रूफ लेयर इसकी विंडो पर है। यानी किसी भी तरह से कोई बुलेट शॉट ट्रंप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इसमें हथियार कौन से हैं, इस बारे में तो कोई जानकारी नहीं है मगर ड्राइवर के पास एक शॉटगन हमेशा रहती है। इस गाड़ी के फ्यूल टैंक आर्मर प्लेट से फिट किया गया है और साथ ही इसमें स्पेशल तरीके से डिजाइन फोम भी लगाई गई है। इसकी वजह से कार पर डायरेक्ट अटैक होने के बाद भी फ्यूल टैंक पर कोई असर नहीं होगा और इसकी वजह से यह ब्लास्ट नहीं हो सकता।
रॉकेट और ग्रेनेड अटैक भी फेल
नाइट विजन और पंप एक्शन शॉट गन बीस्ट में खास तौर पर डिजाइन किए गए नाइट विजन कैमरा और पंप एक्शन शॉटगन हमेशा रहती है। इसके अलावा इसमें ऑक्सीजन सप्लाई के लिए भी पूरे इंतजाम रहते हैं।इस कार के टायर इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि अगर यह ब्लास्ट भी हो जाएं तो भी कार सुरक्षित तरीके से निकल सकती है।इस गाड़ी की चेसिस रिइंफोर्स्ड स्टील प्लेट से लैस है। यानी अगर कार पर रॉकेट या फिर ग्रेनेड से अटैक किया भी गया तो भी उसका कोई असर इस पर नहीं होगा।