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मिशन बगदादी ने ट्रंप को जीरो से बनाया हीरो, अगर फेल होते तो कार्टर की तरह चुकाते कीमत

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नई दिल्ली। राजनीति संकटों से घिरे डोनाल्ड ट्रंप को बगदादी के खात्मे ने बहुत बड़ी राहत दी है। ट्रंप को भले अयोग्य और अभद्र समझा जाता रहा हो लेकिन जब वक्त आया तो उन्होंने जोखिम भरा फैसला लेने का साहस दिखाया। अगर बगदादी को मारने का मिशन फेल हो जाता तो पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की तरह ट्रंप का भी राजनीतिक जीवन खत्म हो जाता। ट्रंप के सामने महाभियोग की तलवार लटकी हुई है। सीरिया से अमेरिकी सैनिक को हटाने के लिए उनकी आलोचना हो रही थी। अमेरिका की अधिकांश जनता उनके कामकाज से खुश नहीं थी। ट्रंप के हक में कुछ भी नहीं था। लेकिन उन्होंने किसी भी बात की परवाह नहीं की। बेहद सूझबूझ के साथ दुनिया के सबसे बर्बर आतंकी को ढेर करने की रणनीति बनायी। उसका सफलता पूर्वक संचालन किया। बगदादी और उसके कई समर्थक मारे गये जब कि अमेरिका का कोई सैनिक घायल भी नहीं हुआ। यह ट्रंप और अमेरिकी की बहुत बड़ी जीत है। राष्ट्रपति चुनाव से एक साल पहले इस कामयाबी ने ट्रंप के लड़खड़ाते पोलिटिकल करियर को एक नयी ताकत दी है।

1980 में फेल हो गया था अमेरिकी मिशन

1980 में फेल हो गया था अमेरिकी मिशन

अमेरिका दुनिया का सुपर पावर है। अमेरिकी नागरिक अपने देश की इस इमेज से बहुत प्यार करते हैं। वे दुनिया के सामने अपने देश की ताकत को घटते हुए देखना नहीं चाहते। अगर कोई अमेरिकी राष्ट्रपति इसमें नाकाम होता है तो जनता उसे सबक सिखाने में बिल्कुल देर नहीं करती। 1979 में ईरान स्थिति अमेरिकी दूतावास में आयातुल्ला खुमैनी के समर्थकों ने राजनयिकों समेत कुल 52 अमेरिकियों को बंधक बना लिया था। आयातुल्ला खुमैनी ने 1979 में ईरान के शासक शाह रजा पहलवी की सत्ता को उखाड़ फेंका था। शाह अमेरिका समर्थक थे। शाह के जमाने में ईरान के तेल भंडारों पर अमेरिका का कब्जा था। तख्तापलट होने के बाद शाह रजा पहलवी मिस्र भाग गये थे। उन्हें कैंसर था। उन्होंने कैंसर के इलाज से अमेरिका आने की इजाजत मांगी। उस समय जिमी कार्टर अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्होंने मानवीय आधार पर शाह को अमेरिका आने की इजाजत दे दी। इससे आयातुल्ला खुमैनी समर्थक भड़क गये। ईरान विश्वविद्यालय के हजारों छात्र अमेरिकी दूतावास में घुस गये और 52 अमेरिकियों को बंधक बना लिया। उनकी मांग थी कि शाह को उनके हवाले किया जाय तब वे बंधकों को छोड़ेंगे।

पूर्व राष्ट्रपति कार्टर को भुगतना पड़ा नतीजा

पूर्व राष्ट्रपति कार्टर को भुगतना पड़ा नतीजा

अमेरिका राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने बंधक संकट के समाधान के लिए पहले राजनयिक कोशिश की। करीब छह महीने तक कोई बात नहीं बनी। खुमैनी समर्थक अपनी जिद पर अड़े रहे। अंत में राष्ट्रपति कार्टर ने 16 अप्रैल 1980 को सैन्य कार्रवाई के लिए मंजूरी दे दी ताकि बंधकों को छुड़ाया जा सके। बंधकों की रिहाई के लिए अमेरिकी सेना ने खुफिया ऑपरेशन लॉन्च किया। इस ऑपरेशन का नाम दिया गया था- ऑपरेशन ईगल क्लॉ। इस ऑपरेशन में भी अमेरिका के डेल्टा फोर्स के तेजतर्रार 118 जवान शामिल थे। वे अपने तय डेस्टिनेशन पर पहुंच गये थे। लेकिन उनके बैकअप के लिए आ रही दूसरी टीम के साथ गड़बड़ हो गयी। दूसरी टीम के हेलीकॉप्टर ईरान की सीमा में जैसे ही दाखिल हुए तभी रेगिस्तान में तूफान आ गया। तेज रेतीले तूफान में फंस कर होलीकॉप्टर इधर-उधऱ भटक गये। तब अमेरिका के एक कमांडर ने ऑपरेशन को टालने का सुझाव दिया। ऑपरेशन टाल दिया गया। लेकिन इसी बीच तूफान से डगमगाते एक हेलीकॉप्टर की पंखी उस विमान से टकरा गयी जिसमें ईंधन भरा हुआ था। एक तेज विस्फोट हुआ जिसमें 8 अमेरिकी सैनिक मारे गये। यह ऑपरेशन बिल्कुल नाकाम रहा। इसे पूरे प्रकरण से अमेरिकी की दुनिया भर में बहुत किरकिरी हुई थी। अमेरिकी जनता ने इसका गुस्सा राष्ट्रपति जिमी कार्टर पर निकाला। 1980 के राष्ट्पति चुनाव में जब कार्टर दोबारा खड़े हुए तो जनता ने उन्हें खारिज कर दिया था। बाद में ईरान ने 1981 में अमेरिकी बंधकों को छोड़ दिया था।

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ट्रंप ने लिया था बहुत बड़ा जोखिम

ट्रंप ने लिया था बहुत बड़ा जोखिम

बगदादी के खिलाफ ऑपरेशन का फैसला कोई आसान काम नहीं था। आइएस जैसे क्रूर आतंकियों की मांद में घुस कर बगदादी को मारना था। एक गलती भी भारी पड़ सकती थी। अगर ट्रंप इसमें नाकाम होते तो इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती। लेकिन उन्होंने मजबूत इरादे दिखाये। आमतौर पर ट्रंप को घमंडी माना जाता है लेकिन उन्होंने ऑपरेशन बगदादी के लिए रूस, तुर्की और सीरिया से मदद हासिल कर कूटनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया। तुर्की पर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा रखे थे। मध्यपूर्व संकट को लेकर रूस से भी विवाद था। इसके बाद भी ट्रंप ने उन्हें मदद के लिए रजामंद कर लिया। बगदादी के खात्मे से अमेरिका ने दुनिया भर में ये संदेश दिया है कि वह कहीं भी और कभी भी, बड़े से बड़े टारगेट को भी हिट कर सकता है। लादेन के बाद अब बगदादी मारा गया। इस कामयाबी के बाद अमेरिकी लोगों की ट्रंप के प्रति सोच बदल रही है। ट्रंप को ऑपरेशन बगदादी का क्रेडिट मिलने से विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी परेशान हो गयी है। डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रंप को महाभियोग के प्रस्ताव से घेरने में जुटी थी लेकिन पहले ही धमाका हो गया। अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है। अब इस चुनाव में ट्रंप की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।

बगदादी को मारने में इस शख्स ने की थी अमेरिका की मदद, अब मिलेगा 25 मिलियन डॉलर का ईनामबगदादी को मारने में इस शख्स ने की थी अमेरिका की मदद, अब मिलेगा 25 मिलियन डॉलर का ईनाम

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English summary
Dolad Trump planning and execution mission to kill ISIS Abu Bakr al Baghdadi
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