क्लाइमेट चेंज पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दिया दोष
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भारत, चीन, रूस और बाकी देश क्लाइमेट चेंज का सामना करने के लिए गरीब देशों की मदद करने में करते हैं आनाकानी।
वॉशिंगटन। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि पेरिस में जो जलवायु समझौता हुआ था उसमें अमेरिका के साथ भेदभाव किया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने न्यूज एजेंसी रायटर्स को बताया है कि वह अगले दो हफ्तों के अंदर इस बात पर फैसला लेंगे कि अमेरिका को इस समझौते में बने रहना है या नहीं। वहीं ट्रंप ने इसके लिए भारत समेत चीन और रूस को भी जिम्मेदार ठहराया है।
शनिवार को पूरे हो रहे हैं ट्रंप के 100 दिन
नवंबर 2008 में राष्ट्रपति चुने गए ट्रंप ने वादा किया था कि वह राष्ट्रपति बनने के 100 दिनों के अंदर ही पेरिस समझौते से अमेरिका का नाम वापस ले लेंगे। पेरिस समझौता ओबामा प्रशासन के पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए था और ट्रंप ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अर्थव्यवस्था को इस समझौते के जरिए संकट में डालने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका के सामने शर्तें बेहतर होंगी तो ही वह अमेरिका को इसमें बरकरार रखने का फैसला करेंगे। हालांकि कई कंपनियों ने राष्ट्रपति से अपील की थी कि वे इस डील में बने रहे क्योंकि यह दूसरे देशों में अमेरिकी बिजनेस हितों को सुरक्षित रखने का जरिया है। ट्रंप शनिवार को अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के 100 दिन पूर कर रहे हैं और इससे पहले वह कई अहम मुद्दों पर मीडिया से बात कर रहे हैं।
फंड के लिए योगदान नहीं करता है भारत
ट्रंप ने जहां दो हफ्तों में अपने एक बड़े फैसले का ऐलान करने को कहा है कि वहीं उन्होंने भारत को भी इसके लिए दोष दिया है। ट्रंप ने कहा है कि चीन, भारत, रूस और दूसरे देश ग्रीन क्लाइमेट फंड के तहत क्लाइमेट चेंज का सामना करने के लिए गरीब देशों की मदद हेतु बहुत ही कम रकम फंड में दे रहे हैं। ट्रंप का कहना था कि यह एक आदर्श स्थिति नहीं है क्योंकि ये देश एक तरह से देखा जाए तो कुछ भी योगदान नहीं कर रहे हैं। वहीं अमेरिका को एक बड़ी रकम अदा करनी पड़ रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने इस फैसले के बारे में कोई इशारा कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ यही कह सकते हैं कि इस संधि में अमेरिका के साथ भेदभाव न किया जाए, अमेरिका बस यही चाहता है। ट्रंप प्रशासन के सूत्रों की ओर से जानकारी दी गई कि अधिकारी मई माह में इस बात पर फैसला कर सकते हैं कि अमेरिका इस डील में रहेगा या नहीं।