मिस्टर प्रेसिडेंट, भारत से सीखें चीन से निपटने का तरीका
अमेरिकी मैगजीन फॉरेन पॉलिसी ने कहा नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत से सीखें चीन के लिए प्रभावशाली नीति कैसी होनी चाहिए।
वाशिंगटन। अमेरिका की एक लीडिंग मैगजीन का मानना है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अगर चीन के खिलाफ एक प्रभावी रणनीति बनानी है तो फिर उन्हें एशिया के एक देश से सबक लेना चाहिए।
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चीन पर अपने रुख से भारत ने किया हैरान
दुनिया जानती है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति को जब कॉल किया तो कैसे उन्होंने चीन को नजरअंदाज करने की अपनी सोच को दुनिया के सामने रख दिया था।
ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति को कॉल करके चीन की 'वन चाइना' पॉलिसी को भी किनारे कर दिया था।
डोनाल्ड ट्रंप यह भूल गए या फिर उन्होंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि एक देश ने कैसे चीन के खिलाफ अपनी एक प्रभावी नीति से सबको हैरान कर दिया है। वह देश है भारत।
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सिर्फ भारत दे रहा चीन को चुनौती
फॉरेन पॉलिसी मैगजीन ने ट्रंप और अमेरिकी विदेश विभाग को सलाह दी है कि वे भारत से एक या दो चीजें सीख सकते हैं।
मैगजीन में लिखा है, 'एक ऐसे समय में जब दुनिया ताइवान और दलाई लामा जैसे नेताओं को चीन के दबाव में किनारे
कर रही है, सिर्फ एक देश ऐसा है जो चीन की 'वन चाइना' पॉलिसी को चुनौती दे रहा है। यह देश पिछले छह वर्ष से ऐसा कर रहा है और यह देश है भारत।' मैगजीन का यह आर्टिकल इस हफ्ते ही पब्लिश हुआ है।
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क्या किया भारत ने 2010 में
इस आर्टिकल में वर्ष 2010 का भी जिक्र है जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने चीन के खिलाफ सख्त एक्शन लिया।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने चीन के साथ सभी द्विपक्षीय मिलिट्री संबंधों को खत्म कर दिया था।
भारत ने यह कदम तब उठाया था जब चीन ने लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल को वीजा देने से इंकार कर दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल जसवाल उस समय कश्मीर में आर्मी यूनिट को कमांड कर रहे थे।
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क्यों भारत ने दिया चीन को जवाब
चीन ने यह कदम पाकिस्तान के साथ दोस्ती के चलते उठाया था। इस फैसले के साथ ही चीन ने कश्मीर पर भारत के हक को मानने से इंकार कर दिया था।
इसके अलावा दोनों देशों के बीच ऐसे बयान आते रहे जिनसे साफ हुआ कि कैसे भारत ने 'वन चाइना' पॉलिसी को मानने से इंकार कर दिया है।
पीएम मोदी भी चीन पर सख्त
दो वर्ष पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभाली तो उन्होंने भी यह स्थिति बरकरार रखी। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया कि भारत तभी 'वन चाइना पॉलिसी' को मानेगा जब चीन 'वन इंडिया' पॉलिसी को मानेगा।
सुषमा का यह बयान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सितंबर 2014 में पहले भारत दौरे से पहले आया था।
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चीन को झुकना पड़ा
मैगजीन ने लिखा है कि दो वर्ष बाद चीन ने वीजा मुद्दे पर जब अपना रुख नरम किया तब भारत ने सैन्य संबंध बहाल किए थे।
मैगजीन के मुताबिक यह बात गौर करने वाली है कि छह वर्ष बाद भारत की वन चाइना पॉलिसी के बाद भी उसे कोई राजनीतिक या आर्थिक नुकसान नहीं हुआ।