चीनी सेना के अधिकारी ने बताया किस तरह सुलझाया गया डोकलाम विवाद
नई दिल्ली। भारत के साथ कई दौर की वार्ता के बाद 73 दिन लंबे डोकलाम के गतिरोध को 'सुलझा लिया गया'। यह बात चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में कही। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के आधिकारी लियू फेंग ने डोकलम गतिरोध के प्रस्ताव के बारे में बात करते हुए कहा कि यह एक उदाहरण है कि किस तरह चीनी सेना विभिन्न देशों के साथ संवाद तंत्र के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने की कोशिश कर रही है। हमने कई व्यावहारिक सहयोग भी किए हैं। उन्होंने कहा, 'सेना और अन्य मंत्रालयों में मेरे सहयोगियों ने बहुत बारीकी से काम किया और भारतीय पक्ष के साथ कई बार बातचीत आयोजित की।' उन्होंने कहा, इन सब से चीन-भारत सीमा पार विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए काफी योगदान मिला।
इससे
पहले
चीन
कम्युनिस्ट
सरकार
के
इस
अखबार
में
छपे
आर्टिकल
में
कहा
गया
था
कि
अभी
इस
क्षेत्र
में
चीनी
सेना
ने
कोई
नया
कंस्ट्रक्शन
शुरू
नहीं
किया
है,
लेकिन
जल्द
ही
यहां
काम
शुरू
किया
जाएगा।
अखबार
के
अनुसार,
डोकलाम
में
भारतीय
सेना
का
आकर
खड़ा
होना
हैरान
करने
वाला
है,
क्योंकि
यह
हिस्सा
बीजिंग
के
अधिकार
क्षेत्र
में
आता
है।
चीन
के
अनुसार,
यह
क्षेत्र
को
विकसित
करने
के
लिए
कई
प्रकार
की
डेवलपमेंट
प्रोग्राम
चलाए
गए
हैं
और
डोकलाम
बीजिंग
का
ऐतिहासिक
हिस्सा
है।
इस
लेख
में
कहा
गया
है
कि
भारत
को
हर
बार
उलझने
कोशिश
नहीं
की
जानी
चाहिए
और
सुरक्षा
की
चिंता
है
तो
इसे
सीमा
तक
रखनी
चाहिए।
उनके अनुसार, भारत के इस पागलपन से बाहर आना क्योंकि चीन इस सनकीपन को बिल्कुल मानना वाला नहीं है। भूटान के डोकलाम क्षेत्र को चीन हमेशा से ही अपना अभिन्न हिस्सा मानता आया है। चीन के अनुसार, जहां तक भी तिब्बती लोग रहते हैं वो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। यानि, डोकलाम में तिब्बती है तो चीन इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मानता है। हालांकि, भारत ना सिर्फ इसका विरोध सुरक्षा को देखते हुए करता है, बल्कि भूटान और नई दिल्ली के बीच भी अपने-अपने देशों की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।