प्रभावशाली परिवार के शिंजो आबे ने फैक्ट्री वर्कर के तौर पर की थी शुरुआत
टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आब इस समय भारत आए हुए हैं। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जापान के एक प्रभावशाली नेता के तौर पर सामने आए हैं। आबे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
उनके दादा कैना आबे और पिता सिंतारो आबे जापान के काफी लोकप्रिय राजनेताओं में थे। वहीं उनकी मां जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबोशुके किशी की बेटी थीं। किशी वर्ष 1957 से वर्ष 1960 तक जापान के प्रधानमंत्री थे।
आबे को नॉर्थ कोरिया के लिए उनके सख्त रवैये के लिए जाना जाता है। नॉर्थ कोरिया की ओर जापान नागरिकों के लगातार बढ़ते अपहरण की वजह से दोनों देशों में तनाव की नई स्थिति पैदा हो गई थी। भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाहें जापान और शिंजो आबे पर लगी हुई हैं।
आइए आपको शिंजो आबे की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं।
भारत में 'मोदीनॉमिक्स' जापान में आबेनॉमिक्स
आबे ने जापान की राजनीति के साथ ही वहां की अर्थव्यवस्था को भी एक नया रंग दिया। आबे की आर्थिक नीतियों ने एक नए शब्द 'आबेनॉमिक्स' को जन्म दिया। इसकी तर्ज पर ही भारत में पीएम मोदी की आर्थिक नीतियों को 'मोदीनॉमिक्स' नाम दिया गया।
क्या है आबे का 'लव फॉर कंट्री'
आबे ने मार्च 2007 में राइट विंग राजनेताओं के साथ मिलकर एक बिल का प्रस्ताव रखा था। इस बिल के तहत जापान के युवाओं में अपने देश और गृहनगर के लिए प्यार को बढ़ाने के लिए कई तरह की बातें थीं। इस बिल को काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था लेकिन इसके बावजूद बिल को 'लव फॉर कंट्री,' के नाम से पास कर दिया गया।
इतिहास से जुड़ा है आबे का परिवार
21 सितंबर 1954 को टोक्यो में जन्मे आबे सिंतारो आबे और योको किशी की संतान हैं। जहां उनके दादा कैना आबे और पिता सिंतारो आबे जापान के मशहूर राजनेता रहे तो उनके नाना नोबोशुके किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री थे।
जापान के सबसे युवा पीएम बने
आबे पहली बार वर्ष 2006 से वर्ष 2007 तक जापान के पीएम बने। उस समय उनकी उम्र 52 वर्ष थी। आबे न सिर्फ युद्ध के बाद देश के सबसे युवा पीएम बने बल्कि वह पहले ऐसे पीएम भी बन गए जिनका जन्म सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद हुआ था।
पूरी की अमेरिका में ग्रेजुएशन की पढ़ाई
आबे ने जहां ओसाका में रहकर अपने स्कूली स्तर की पढ़ाई पूरी की तो वहीं ओसाका की साइकेई यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह जापान के घनिष्ठ मित्र देश अमेरिका चले गए। अमेरिका की सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
स्टील कंपनी से शुरू हुआ था करियर
अप्रैल 1979 में आबे ने कोबे स्टील प्लांट में काम करना शुरू किया। लेकिन दो वर्ष तक वहां पर रुकने के बाद उन्होंने वर्ष 1982 में कंपनी छोड़ दी।
जापान की राजनीति में आगाज
आबे ने नौकरी छोड़ने के साथ ही देश की राजनीति में प्रवेश कर लिया। आबे ने राजनेता बनने से पहले सरकार से जुड़े कई पदों पर अपनी जिम्मेदारियां निभाई।
पिता की मृत्यु के बाद आया नया मोड़
वर्ष 1993 में आबे के पिता की मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत के बाद आबे ने चुनाव लड़ा और वह यामागुशी से चुने गए। आबे का बाकी चार उम्मीदवारों की तुलना में सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
बढ़ रही थी आबे की लोकप्रियता
वर्ष 2001 में नॉर्थ कोरियन नागरिकों ने जापान के नागरिकों का अपहरण कर लिया था। आबे जापान की सरकार की ओर से मुख्य मध्यस्थ के तौर पर भेजे गए थे। आबे ने वर्ष 2002 में नॉर्थ कोरिया के उस समय के प्रधानमंत्री और तानाशाह किम जोंग उन इल से मुलाकात की। उनके प्रयासों से संकट सुलझा और उनके चाहने वालों की संख्या बढ़ गई थी।