शी जिनपिंग की उल्टी गिनती शुरू, तीसरी बार नहीं बन पाएंगे चीन के राष्ट्रपति?
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शी जिनपिंग को लेकर चीन की जनता में और खुद चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी में नाराजगी है। खासकर शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन की दुनियाभर में काफी बदनामी हुई है।
बीजिंग, मई 12: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से दुनिया को जल्द ही मुक्ति मिलने की संभावना है। शी जिनपिंग को लेकर रिपोर्ट आ रही है कि उनका लगातार तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनना काफी मुश्किल होने वाला है। चीन से आई रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग के शासन से चीन के लोग खुश नहीं है साथ ही चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के अंदर भी शी जिनपिंग को लेकर भारी गुस्सा है लेकिन डर की वजह से ज्यादातर नेता मुंह बंद किए हैं लेकिन, माना जा रहा है कि तीसरी बार राष्ट्रपति पद पर बैठना शी जिनपिंग के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है।
शी जिनपिंग से नाराजगी!
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शी जिनपिंग को लेकर चीन की जनता में और खुद चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी में नाराजगी है। खासकर शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन की दुनियाभर में काफी बदनामी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते जी-7 की बैठक में चीन की ताइवान को धमकाने, साइबर घुसपैठ, भारत के साथ झड़प, कोरोना वायरस, बीआरई प्रोजेक्ट में नुकसान को लेकर शी जिनपिंग की कड़ी आचोलना की गई है। वहीं, निक्केई एशियाई कॉलमनिस्ट विलियन पेसेक ने लिखा है कि 'इसी हफ्ते हांगकांग के एक्टिविस्ट जोशुआ वोंग को शी जिनपिंग की आलोचना करने के लिए 10 महीने जेल में डाल दी गई।' रिपोर्ट्स में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस वक्त चीन की दुनियाभर में जो छवि बना दी है वो काफी खराब है और इससे लोगों में नाराजगी है।
दुनिया में खराब हुई चीन की छवि
दरअसल, चीन के लोग भी मान रहे हैं कि शी जिनपिंग ने पूरी दुनिया में चीन को बदनाम कर दिया है। वहीं, अमेरिका से जारी ट्रेड वार के बीच चीन के पास एक शॉफ्ट पावर बनने का मौका था लेकिन शी जिनपिंग ने ऐसा नहीं होने दिया। और फिर 2018 के बाद चीन की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी खराब होती चली गई। वहीं, कोरोना वायरस को फैलाने का आरोप भी चीन पर ही लगता है और इसकी वजह से दुनियाभर में शी जिनपिंग की काफी आलोचना की जाती है। खासकर दुनिया के दूसरे मुल्कों में रहने वाले चीनियों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। वहीं, भारत को पूरी दुनिया में एक शांतिप्रिय देश माना जाता है और भारत के साथ झड़प ने शी जिनपिंग की छवि को और खराब की है।
गुगल फेसबुक से डरे जिनपिंग
अमेरिका ने चीन को घेरने के लिए क्वाड का सहारा लिया है। क्वाड में अमेरिका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत हैं। वहीं, क्वाड को लेकर शी जिनपिंग सिर्फ धमकी दे रहे हैं। पेसेक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि आम लोग राष्ट्रपति के बारे में क्या सोचते हैं, इससे शी जिनपिंग को कोई मतलब नहीं है। चीन में प्रेस की स्वतंत्रता जैसी कोई बात नहीं है। गुगल और फेसबुक को अभी भी चीनी बाजार से दूर रखा गया है। माना जा रहा है शी जिनपिंग गुगल और फेसबुक से चीन के लोगों को इसलिए दूर रखते हैं, ताकि उन्हें दुनिया की बाकी बातों से दूर रखा जाए। चीन के लोग वही पढ़ और सुन पाते हैं जो सरकार चाहती है। जिसकी वजह से शी जिनपिंग के राजनीतिक भविष्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। और शी जिनपिंग के लिए एक और कार्यकाल हासिल करना मुश्किल माना जा रहा है।
दुनिया को धमकी
शी जिनपिंग के शासनकाल में चीन की छवि एक ऐसे देश की बन गई है जो सिर्फ धमकियां देता है। पिछले एक हफ्ते में ही चीन ने बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी है। शी जिनपिंग ने पहले ऑस्ट्रेलिया के साथ होने वाले मंत्रिस्तरीय वार्ता को रद्द कर दिया और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि स्कॉट मॉरिसन की मानसिकता शीत युद्ध जैसी है। वहीं पेसेक ने लिखा है कि मॉरिसन के सवालों को लेकर चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी में शी जिनपिंग को लेकर नाराजगी है। वहीं ग्लोबल टाइम्स ने तो अपने संपादकीय में ऑस्ट्रेलिया को बैलिस्टिक मिसाइल से ही उड़ाने की धमकी दे दी। वहीं, कम्यूनिस्ट पार्टी का मानना है कि शी जिनपिंग की वजह से एशिया के ज्यादातर देश चीन के करीब नहीं आना चाहता है। वहीं, जब से साउथ कोरिया ने अमेरिका द्वारा निर्मित टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस का स्वागत किया है, तबसे शी जिनपिंग साउथ कोरिया से भी नाराज हैं और दोनों देशों में तनाव का माहौल है। लिहाजा पेसेक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पार्टी और जनता की नाराजगी शी जिनपिंग पर भारी पड़ सकती है और लगातार तीसरी बार उनका राष्ट्रपति बनना काफी मुश्किल नजर आ रहा है।
ऑस्ट्रेलिया पर आग बबूला हुआ ड्रैगन, बैलिस्टिक मिसाइल से उड़ाने की दी धमकी