क्या सऊदी प्रिंस ने कराई जेफ़ बेज़ोस के फ़ोन की हैकिंग?
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर दुनिया के सबसे अमीर शख़्स अमेज़न के बॉस जेफ़ बेज़ोस का फ़ोन हैक करवाने का आरोप लगाया गया है. ये कथित हैकिंग सऊदी अरब के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या से पांच महीने पहले हुई थी. जमाल ख़ाशोज्जी अमरीकी अख़बार वॉशिंग्टन पोस्ट के लिए काम करते थे, जिसके मालिक जेफ़ बेज़ोस हैं. ख़ाशोज्जी सऊदी अरब की सरकार के कट्टर आलोचक थे.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर दुनिया के सबसे अमीर शख़्स अमेज़न के बॉस जेफ़ बेज़ोस का फ़ोन हैक करवाने का आरोप लगाया गया है.
ये कथित हैकिंग सऊदी अरब के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या से पांच महीने पहले हुई थी. जमाल ख़ाशोज्जी अमरीकी अख़बार वॉशिंग्टन पोस्ट के लिए काम करते थे, जिसके मालिक जेफ़ बेज़ोस हैं.
ख़ाशोज्जी सऊदी अरब की सरकार के कट्टर आलोचक थे. अक्टूबर 2018 में इंस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास के भीतर उनकी हत्या कर दी गई थी.
उनकी हत्या का आरोप मोहम्मद बिन सलमान पर लगाया गया था. सऊदी अरब ने इसके लिए अपनी सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया था और कहा कि कुछ आला अधिकारियों के निर्देश पर ये हुआ.
ब्रिटेन के द गार्जियन अख़बार ने बुधवार को ये ख़बर प्रकाशित की कि मोहम्मद बिन सलमान के निजी अकाउंट पर व्हाट्सएप के ज़रिए एक संदिग्ध फाइल आई, जिसके बाद जेफ़ बेज़ोस का फ़ोन हैक कर लिया गया था. ये फाइल सऊदी क्राउन प्रिंस के फोन से आया था.
अब संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इन आरोपों की तत्काल जांच की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि "कथित विरोधियों को निशाना बनाने के लिए निरंतर, प्रत्यक्ष और व्यक्तिगत प्रयासों" के लिए भी मोहम्मद बिन सलमान की जांच होनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिका हाई कमिश्नर के विशेष दूत एनयेस कालामार और डेविड काये का कहना है कि क्राउन प्रिंस पर लगे आरोप की पूरी जांच कराए जाने की ज़रूरत है.
वहीं, सऊदी अरब में अमरीकी दूतावास ने इस कहानी को "बेतुका" बताया है.
ये पूरा मामला क्या है और कब इसकी शुरुआत हुई?
1 मई 2018 - 'संदिग्ध फाइल'
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1 मई 2018 को क्राउन प्रिंस के व्हाट्सऐप अकाउंट से एक संदिग्ध फाइल जेफ़ बेज़ोस के फ़ोन पर भेजी गई थी. ये एक सामान्य बातचीत के हिस्से की तरह थी.
अज्ञात सूत्रों के हवाले से ख़बर के अनुसार इसके कुछ ही घंटों के अंदर जेफ़ बेज़ोस के फोन से बड़े पैमाने पर डाटा हैक हो गया.
2 अक्टूबर 2018, ख़ाशोज्जी की हत्या
जमाल ख़ाशोज्जी तुर्की के इंस्ताबुल में सऊदी दूतावास में गए थे. वो अपनी मंगेतर से शादी के लिए दस्तावेज़ लेने गए थे. लेकिन, वो कभी दूतावास से बाहर नहीं लौटे.
ख़ाशोज्जी की हत्या का आरोप तुर्की ने सउदी अरब पर लगाया. लेकिन करीब दो सप्ताह बाद सऊदी अरब ने माना कि दूतावास में ख़ाशोज्जी की मौत हो गई है.
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16 नवंबर 2018, क्राउन प्रिंस पर आरोप
वॉशिंग्टन पोस्ट में रिपोर्ट छपी कि अमरीकी जांच एजेंसी सीआईए का मानना है कि मोहम्मद बिन सलमान ने जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश दिया था.
लेकिन, सऊदी अरब का कहना था कि इसमें हत्या का क्राउन प्रिंस से कोई नाता नहीं हैं.
7 फरवरी, 2019 - बेज़ोस बनाम सऊदी टैबलॉयड
जेफ़ बेज़ोस ने अमरीका में मौजूद पत्रिका (टैबलॉयड) नेशनल एंक्वॉयरर पर "जबरन वसूली और ब्लैकमेल" का आरोप लगाया था क्योंकि टैबलॉयड ने बेज़ोस और उनकी पूर्व प्रेमिका फॉक्स टीवी की पूर्व होस्ट लॉरेन सांचेज़ के प्राइवेट मैसेज प्रकाशित कर दिए थे.
जनवरी 2019 में जेफ़ बेज़ोस और उनकी पत्नी मैकेन्ज़ी का तलाक हो गया था. इसके बाद नेशनल एंक्वॉयरर ने लॉरेन सांचेज़ के साथ जेफ़ बेज़ोस की नज़दीकी के बारे में ख़बर की थी.
30 मार्च, 2019 - सऊदी से संबंध
बेज़ोस के नियुक्त किए गए जांचकर्ता गेविन डे बेकर ने उनका फोन हैक होने का संबंध सऊदी अरब से होने की बात कही थी.
डे बेकर ने डेली बीस्ट वेबसाइट पर लिखा था, "हमारे जांचकर्ताओं और कई विशेषज्ञों ने पूरे विश्वास के साथ निष्कर्ष निकाला है कि सऊदी की बेज़ोस के फोन तक पहुंच थी, और उनकी निजी जानकारी हासिल की गई."
19 जून, 2019 - 'पूर्व नियोजित हत्या'
विशेष हत्याओं पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत एनयेस कालामार ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया है कि ख़ाशोज्जी की हत्या पूर्व नियोजित थी और इसमें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
23 दिसंबर, 2019 - मौत की सज़ा
सऊदी अरब ने ख़ाशोज्जी की हत्या के मामले में पांच लोगों को मौत और तीन लोगों को जेल की सजा सुनाई थी.
लेकिन, अमरीका के विशेष दूत का कहना था, "जिन लोगों ने फांसी का आदेश दिया, वो न केवल बचकर निकल गए बल्कि जांच और मुकदमे भी उन्हें छू नहीं पाते."
21 जनवरी, 2020 - दावा
द गार्जियन में हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक़ जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या से छह महीने पहले जेफ़ बेज़ोस को मोहम्मद बिन सलमान के अकाउंट से व्हाट्सऐप के ज़रिए एक मैसेज भेजा गया था.
अख़बार का कहना है कि अब तक उन्हें ये नहीं पता चला है कि जेफ़ बेज़ोस के फ़ोन से कौन-कौन सी जानकारी चुराई गई हैं और उसका इस्तेमाल किस तरह से किया गया है.
अमरीका में मौजूद सऊदी दूतावास ने इन आरोपों को 'बेतुका' बताया है.
ख़ाशोज्जी की हत्या से पहले अमेज़न के संस्थापक जेफ़ बेज़ोस के मोहम्मद बिन सलमान से दोस्ताना रिश्ते थे और सऊदी अरब में कारोबारी हित भी थे.
इन रिश्तों में खटास तब आई जब बेज़ोस ने सऊदी अरब की कड़ी आलोचना और हत्या पर रिपोर्टिंग के लिए अपने अख़बार का पक्ष लिया.
ख़ाशोज्जी के दोस्त ओस्लो आधारित अरब लेखक और एक्टिविस्ट ईयाद अल-बग़दादी कहते हैं कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी की हैकिंग सऊदी अरब में सरकार के आलोचकों के लिए एक "संदेश" है.
अल-बग़दादी ने वॉशिंग्टन पोस्ट में लिखा है, "अगर पृथ्वी पर सबसे अमीर आदमी को निशाना बनाया जा सकता है और संभवत: ब्लैकमेल किया जा सकता है, तो कौन सुरक्षित है?"