
सौरमंडल के इन ग्रहों पर हो रही हीरों की बारिश, जानें रहस्य और क्या हम इंसान इसे हासिल कर पाएंगे?
नई दिल्ली, 04 जुलाई। हमारी पृथ्वी अजूबों से भरी हुई हैं वहीं हमारा सौरमंडल किसी तिलिस्मी दुनिया से कम नहीं है। यहां आए दिन नए चमत्कार होते रहते हैं। ऐसा ही चमत्कार हमारे सौरमंडल के दो ग्रहों में देखने को मिला है। अभी जब हम भारतीय तपती गर्मी के बाद मानसून के सीजन में झमाझम बारिश के चलते राहत महसूस कर रहे हैं वहीं ऐसे दो ग्रह हैं जहां बारिश में पानी नहीं बल्कि बेशकीमती हीरे बरस रहे हैं ।

दो ग्रह है जहां पर ऐसा ही चमत्कार हो रहा है
सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन बिलकुल ये सत्य है। दरअसल, हमारे सौरमंडल यानी सोलार सिस्टम में दो ग्रह है जहां पर ऐसा ही चमत्कार हो रहा है। ये ग्रह हैं नेप्टयून और यूरेनस। जहां पानी नहीं, बहुमूल्य रत्न हीरे की बारिश होती है।

इस कारण हो रही हीरो की बारिश
बता दें पृथ्वी पर बारिश पानी (हाइड्रोजन और ऑक्सीजन) की बूंदों से बनी होती है, वहीं कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जहां ये बूंदें ज्यादा भारी और मोटी होती हैं, और पानी के बजाय ये कार्बन से बनी होती हैं। इन ग्रहों पर तापमान और दबाव की स्थिति इतनी चरम पर है कि कार्बन और हाइड्रोजन के के बॉन्ड टूट जाते हैं और जिस कारण से हीरे की बारिश होती है। सालों से ये बारिश हो रही है और ये प्लैनेट्स की बर्फीली सतह पर इकट्टठा हो रहे हैं।

ऐसे बन जाते हैं हीरे
सौरमंडल के आठ ग्रह है जिसमें वैज्ञानिक बृहस्पति, मंगल और शनि जैसे बड़े ग्रहों पर ही ध्यान केन्द्रित करते रहते हैं लेकिन सौर मंडल के कोने में स्थित इस ने यूरेनस और नेपच्यून पर ध्यान नहीं देते। लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्लैनेस की ये नीली दुनिया में इन दो ग्रहों में ऐसी स्थितियां हैं जो कार्बन परमाणुओं को इतनी अधिक चरम सीमा तक कठोर कर सकती हैं कि वे हीरे का निर्माण कर सकें।

ये फिक्शन नहीं इसके पीछे विज्ञान है
हीरे की बारिश सुनकर साइंस फिक्शन सीन आंखों के सामने आ जाता है लेकिन ये फिक्शन नहीं रियल साइंस है। नासा पॉडकास्ट में एक खगोल भौतिकीविद् नाओमी रोवे-गर्नी ने कहा कि मीथेन के कारण ये दो ग्रह नीले हैं। इन ग्रहों पर ऐसा हाइड्रोजन हीलियम और मीथेन जैसे गैसें है। यहां के वातावरण में काफी ज्यादा दबाव के कारण हाइड्रोजन बॉन्ड को तोड़कर अलग कर देता और ग्रह के अंदर, जब यह वास्तव में गर्म और वास्तव में घना हो जाता है, तो ये हीरे बनते हैं और बारिश बनकर गिरते हैं।

इंसान इन हीरो को हासिल कर सकता है
दुर्भाग्य से हम इंसान कोई भी जुगाड़ लगाकर भी इन हीरों को इकट्ठा नहीं कर सकते क्योंकि इन ग्रहों की चरम स्थितियों और दबाव अत्यधिक हैं, और हम एक इंसान वहां कभी नहीं पहुंच पाएंगे। नेपच्यून पर जमी हुई मीथेन गैस पाई जाती है जो बादल बनकर उड़ते हैं। नेपच्यून की दूरी सूर्य से सबसे अधिक है इसलिए यहां का तापमान -200 डिग्री सेल्सियस के नजदीक रहता है। यहा हवा की स्पीड 2500 किमी/घंटा है और वायुमंडल में संघनित कार्बन होने के चलते यहां हीरों की बारिश देखने को मिलती हैं।