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मुगलों को था हीरा-पन्ना से बने चश्मों का शौक, भारतीय 'खजाने' में मिले ढाई अरब के चश्मे की होगी नीलामी

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लंदन, 26 अक्टूबर। रंग-बिरंगा चश्मों का फैशन आज का नहीं बल्कि सालों पुराना है। सैकड़ों साल पहले के राजा-महाराजा और उनकी पत्नियां भी फैशन के लिए हीरे-पन्ना जड़े चश्मे पहना करती थीं। ये अलग-अलग रंग और स्टाइल के हुआ करते थे। मुगल काल में इस्तेमाल हुए कुछ चश्मे इन दिनों सुर्खियों में हैं। बेशकीमती हीरों से सजाए गए इन चश्मों की अब बोली लगाई जा रही है, और इनकी कीमत जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। सोशल मीडिया पर फोटो जमकर वायरल हो रही है।

हीरे और पन्ना के लेंस से बने हैं चश्मे

हीरे और पन्ना के लेंस से बने हैं चश्मे

दरअसल, बुधवार को ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हीरे और पन्ना लेंस से बने मुगल काल के दो चश्मे की नीलामी होने वाली है। इसकी कीमत 35 लाख डॉलर (ढाई अरब से अधिक रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये चश्मे भारत में मुगल काल के एक अज्ञात शाही खजाने में मिले थे, ये 17वीं सदी के बताए जा रहे हैं। चश्मों की नीलामी की जानकारी लंदन सोथबीज ने दी।

चश्मों को दिया गया दिलचस्प नाम

चश्मों को दिया गया दिलचस्प नाम

इन चश्मों को इनकी कीमत के साथ दिलचस्प नाम भी दिया गया है। हीरे के लेंस से बने चश्मे को हलो ऑफ लाइट और पन्ना वाले चश्मे को गेर ऑफ पैराडाइज नाम दिया गया है। चश्मों का मंगलवार (26 अक्टूबर) को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया, जबकि 27 अक्टूबर को इनकी नीलामी जाएगी। मध्य पूर्व और भारत के ले सोथबीज के अध्यक्ष एडवर्ड गिब्स ने जानकारी देते हुए कहा कि यह चश्मे इतिहासकारों और विशेषज्ञों के लिए चमत्कार से कम नहीं हैं।

मुगलों को था रत्नों से प्यार

मुगलों को था रत्नों से प्यार

एडवर्ड गिब्स ने आगे कहा, इन खजानों को दुनिया के सामने लाना और उनके निर्माण के इतिहास का रहस्य किसी को भी हैरान करने वाला है। इस्लामी दुनिया की कला में विशेषज्ञ एलेक्जेंड्रा रॉय ने कहा, 'इस चश्मे के पीछे बहुत सारी कहानियां हैं। 17वीं शताब्दी में पन्ना पुर्तगाली व्यापारी जहाजों के माध्यम से मुगल साम्राज्य में कोलंबिया से आया था। मुगलों को रत्नों से बहुत प्यार था।'

इस तरह बनाए गए थे चश्मे

इस तरह बनाए गए थे चश्मे

एलेक्जेंड्रा रॉय ने आगे कहा, 'भारत में हीरे गोलकुंडा की खदानों और मुगल दरबार से आए थे। दो से तीन सौ कैरेट वाले इन हीरों को पत्थरों से काटा गया था। इन चश्मों को 19वीं शताब्दी के फैशन की तरह फिर से बनाया गया था।' दोनों जोड़ी चश्मों को नीलामी के लिए सोथबीज आर्ट्स ऑफ द इस्लामिक वर्ल्ड एंड इंडिया सेल में पेश किया जा रहा है। इनकी कीमत 1.5 मिलियन से 2.5 मिलियन पाउंड बताई जा रही है।

यह भी पढ़ें: हरियाणा में आक्सी-वन परियोजना, पुरानी मुगल बादशाही नहर इलाके में 9 तरह के वन होंगे, मिलेगी शुद्ध वायु

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English summary
Diamond and emerald glasses made in Mughal era will be auctioned in london
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