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ग़ुलामों के वंशज जिनसे लोग शादी नहीं करना चाहते

नाइजीरिया में ग़ुलामी की प्रथा को पिछली शताब्द की शुरूआत में ही ख़त्म कर दिया गया था. पर ग़ुलामों के वंशज आज भी अपने पूर्वजों का दर्द झेल रहे हैं.

By अडाओबी ट्रिसिया नौबबानी
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ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
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ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

एक बुरी ख़बर ने रोमियो और जूलियट की याद ताज़ा कर दी. दरअसल नाइजीरिया में एक जोड़े ने इस महीने की शुरुआत में खुदकुशी कर ली, वो भी इसलिए क्योंकि उनके माता-पिता उनकी शादी के लिए राज़ी नहीं थे.

वजह? उनमें से एक ग़ुलामों का वंशज था.

वो अपने पीछे एक नोट छोड़ गए, जिसमें लिखा था, "वो कह रहे हैं कि सिर्फ एक पुरानी मान्यता की वजह से हम शादी नहीं कर सकते."

दक्षिण-पूर्वी राज्य एनब्रा के ओकीजा के रहने वाले इस प्रेमी जोड़े की उम्र क़रीब तीस साल थी.

नाइजीरिया में 1900 की शुरुआत में ग़ुलामी को आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया था, इससे पहले तक ब्रिटेन नाइजीरिया का औपनिवेशिक शासक था.

लेकिन मुक्त होने के बाद भी तब के ग़ुलामों की विरासत ने आज तक उनके वंशजों का पीछा नहीं छोड़ा है और इग्बो जातीय समूह की स्थानीय संस्कृति में उन्हें आज भी इग्बो से शादी करने की मनाही है, जिन्हें "फ्री बॉर्न" के रूप में देखा जाता है यानी जिनका जन्म ग़ुलाम के तौर पर नहीं हुआ.

इस जोड़े ने लिखा, "ईश्वर ने सभी को समान रूप से बनाया है तो इंसान क्यों पूर्वजों की बात कहकर भेदभाव करता है."

ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
Reuters
ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

कई इग्बो जोड़े इस तरह के भेदभाव का सामना करते हैं.

तीन साल पहले 35 साल की फेवर (जो अपना सरनेम नहीं बताना चाहतीं) उस शख़्स के साथ शादी करने की तैयारी कर रही थीं, जिससे उन्होंने पांच साल डेट की थी. लेकिन फिर उनके मंगेतर के इग्बो परिवार को पता चला कि वो एक ग़ुलाम की वंशज हैं.

फेवर, जो ख़ुद भी इग्बो हैं, कहती हैं, "उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वो मेरे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते."

पहले तो उनके मंगेतर ने घर वालों की बात नहीं मानी, लेकिन मां-बाप और भाई-बहनों के दबाव के आगे वो हार मान गए और उन्होंने अपनी सगाई तोड़ दी.

वो कहती हैं, "मुझे बुरा लगा. मैं बहुत परेशान हुई. बहुत दुखी हुई."

संपन्न होने पर भी 'हीन' भावना से देखा जाता है

ग़ुलामों के वंशजों के सामने सिर्फ शादी की समस्या नहीं होती है.

उन्हें पारंपरिक लीडरशिप पोज़िशन नहीं मिल सकती और विशिष्ट समूहों में शामिल करने पर प्रतिबंध है. इसके साथ ही वो किसी राजनीतिक पद के लिए दावेदारी नहीं कर सकते और उन्हें संसद में भी अपने समुदायों का प्रतिनिधत्व करने से रोका जाता है.

ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
Adaobi Tricia Nwaubani
ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

हालांकि उन्हें शिक्षा प्राप्त करने और आर्थिक उन्नति करने से नहीं रोका जाता है.

इस तरह के बहिष्कार की वजह से कई लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया.

ग़ुलामों के कुछ वंशज आज अपने समुदायों में सबसे संपन्न लोगों में से एक हैं, लेकिन इतना कुछ हासिल करने के बाद भी उन्हें हीन भावना से ही देखा जाता है.

2017 में 44 साल की ओगे मडुवागु ने एक पहल (इफेटासियोस) की शुरुआत की और अपने समाज के माथे पर लगे पारंपरिक और सांस्कृतिक कलंक को मिटाने की बात ठानी.

पिछले तीन साल से वो दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया के पांच राज्यों में यात्रा करके ग़ुलामों के वंशजों के लिए बराबर अधिकारों की वकालत कर रही हैं.

ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
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ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

वो कहती हैं, "जिस तरह की पीड़ा काले लोगों को अमरीका में झेलनी पड़ती है, वैसी ही यहां ग़ुलामों के वंशजों को झेलनी पड़ती है."

ओगे मडुवागु ख़ुद किसी ग़ुलाम की वंशज नहीं हैं, लेकिन इमो राज्य में पले-बढ़े होने की वजह से उन्होंने अपनी आंखों से इस भेदभाव को देखा है.

उनके एक क़रीबी दोस्त को एक ग़ुलाम के वंशज से शादी करने से रोक दिया गया था, इस घटना के बाद उन्होंने ठाना कि वो बदलाव लाएंगी.

अपनी यात्राओं के दौरान मडुवागु प्रभावशाली पारंपरिक लोगों और ग़ुलामों के वंशजों से मिलती हैं और उनके बीच मध्यस्थता करती हैं.

वो कहती हैं, "कुछ लोगों ने बैठकर ऐसे नियम बनाए थे और अब हम बैठकर नए नियम बना सकते हैं."

इग्बो समुदाय में ग़ुलामों के वंशजों को दो मुख्य श्रेणियों में बांट कर देखा जाता है: ओहु और ओसु.

ओहु के पूर्वज इंसानों के ग़ुलाम थे, जबकि ओसु के पूर्वजों के स्वामी देवता थे - जिनकी समुदाय के लोग पूजा करते थे.

बर्कली स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अफ्रीकी अध्ययन के एक प्रोफेसर ऊगो नोकजी ने कहा, "ओसु ग़ुलामी से भी बदतर है," उनका सोचना है कि मिशनरी ने ओसु को ग़लत तरीक़े से ग़ुलाम के रूप में वर्गीकृत किया था.

"ग़ुलाम ग़ुलामी से ऊपर उठ सकते हैं और ख़ुद स्लेव-मास्टर बन सकते हैं, लेकिन जो ओसु अब तक जन्मे ही नहीं है वो कभी इससे ऊपर नहीं उठ सकते."

ओहु को बाहरी के तौर पर देखा जाता है. जिनके लिए कहा जाता है कि पता नहीं उनके पुर्वजों को ग़ुलामी करवाने के लिए कहा से लाया गया था. लेकिन ओहु अब टैबू तोड़ रहे हैं और पुरानी मान्यताओं को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

लेकिन ओसु अपनी पुरानी मान्यताओं को छोड़ने के लिए तैयार नहीं. उन्हें ना सिर्फ सामाजिक रूढ़ियों का डर है, बल्कि वो भगवान से भी डरते हैं, जिनके लिए उनका मानना है कि वो उनके स्वामी हैं.

फेवर के मंगेतर से उनके पिता ने कहा था कि वो ओसु हैं इसलिए अगर वो उनसे शादी करेंगे तो उनकी जल्दी मौत हो जाएगी.

वो कहती हैं, "उन्होंने उसके अंदर डर भर दिया. वो मुझसे कहने लगा कि क्या मैं चाहती हूं कि वो मर जाए."

ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
Oge Maduagwu
ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

'ज़मीनी स्तर पर संवाद की ज़रूरत'

इस तरह के डर की वजह से नाइजीरिया के संविधान में पहले से मौजूद भेदभाव के ख़िलाफ़ क़ानूनों को लागू करना मुश्किल बना हुआ है. साथ ही 1956 में इग्बो सांसदों ने ख़ास तौर पर ओहु या ओसु के ख़िलाफ़ भेदभाव को ख़त्म करने के लिए एक क़ानून बनाया था.

भेदभाव ख़त्म करने की वकालत करने वाले इमो राज्य के एक कैथोलिक आर्कबिशप एंथनी ओबिन्ना कहते हैं, "कुछ विशेष रीति-रिवाज़ों को ख़त्म करने के लिए क़ानूनी तरीक़े पर्याप्त नहीं हैं. आपको ज़मीन पर जाकर लोगों से संवाद करना होगा."

मडुवागु लोगों को समझाती हैं कि बदलाव कितना ज़रूरी है. वो लोगों से कहती हैं कि "आज हम उनके घरों में किराएदार के तौर पर रहते हैं, उनके यहां काम करते हैं, उनसे पैसे उधार लेते हैं."

ओसु के साथ पुराने समय में ऐसे संबंधों के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.

ऐसा कोई आधिकारिक डेटा नहीं है जो बताता हो कि दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया में ग़ुलामों के कितने वंशज रहते हैं.

लोग अपने बारे में जानकारी छिपाते हैं, हालांकि छोटे समुदायों में ऐसा करना मुमकिन नहीं है, जहां हर शख़्स एक दूसरे के बारे में जानता है.

कुछ समुदायों में सिर्फ ओहु या ओसु हैं, जबकि कुछ में दोनों हैं.

हाल के सालों में ओहु और ओसु के बीच बढ़ते तनाव की वजह से कई समुदायों में संघर्ष और विवाद हुए हैं.

ग़ुलामों के कुछ वंशजों ने अपने ख़ुद के नेतृत्व और कुलीन समूहों के साथ समानांतर समाज शुरू किया है.

लगभग 13 साल पहले, इमो राज्य में एक समूह बनाया गया जिसका नाम था नैनीजी, यानी "उसी गर्भ से."

नैनीजी की कई कोशिशों में एक कोशिश ये भी शामिल है कि वो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपने हज़ारों सदस्यों के बच्चों की अरेंज मैरिज कराने में मदद करता है, ताकि "फ्री बॉर्न" के साथ रिश्ता जोड़ने के बाद उनके दिल को टूटने से बचाया जा सके.

एक अमीर परिवार से आने वाली 70 वर्षीय ओगादीनामा के पति नैनीजी के संरक्षक हैं. वो कहती हैं, "जब लोगों को कुछ काम होता है तो वो आपके पास आते हैं."

"लेकिन जब आपके बच्चे उन्हीं लोगों के बच्चों से शादी करना चाहते हैं तो वो शिकायत करते हैं कि आप ओसु हैं."

"मिक्स्ड कपल" की शादी करवाने के लिए आर्कबिशप ओबिना लोगों की आलोचना झेलते हैं.

वो कहते हैं, "मुझे कुछ जोड़ों की रक्षा करना पड़ती है, ताकि वो अपने मां-बाप और रिश्तेदारों की हिंसा का शिकार ना बनें."

ओगादीनामा, जिन्होंने मुझे अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अपने उपनाम का उपयोग नहीं करने के लिए भी कहा, वो बताती हैं कि जब उन्होंने लगभग 10 साल पहले राजनीतिक पद के लिए दावेदारी की थी, तो उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा था.

कई लोगों ने पिटिशन चलाई कि वो चुनाव लड़ने के लिए "योग्य" नहीं हैं - और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय नेता, जो योरूबा थे, उनके लिए उनका समर्थन करना मुश्किल हो गया.

"उन्होंने मुझे साफ कहा - इग्बो लोगों का कहना है कि तुम्हें कोई वोट नहीं करेगा."

मडुवागु के इफेटासियोस समूह में उनके साथ अब चार लोग काम करते हैं और दर्जनों वॉलिंटियर हैं.

उनकी कोशिशें धीमी और मुश्किल हैं, लेकिन इन मुट्ठी भर लोगों ने अपने समुदायों में असमानता को ख़त्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

वो कहती हैं कि शुरू में वो तब हैरान रह गई थीं जब सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी कोशिशों का विरोध किया.

वो कहती हैं, "अपने संदेश को फैलाने के लिए मुझे कई सारे इग्बो समूहों में शामिल होना पड़ा और उनमें से कईयों ने मुझे अपमानित किया और कहा कि उनकी परंपरा बरकरार रहेगी."

ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते
BBC
ग़ुलामों के वंशज जो अपनी पसंद से शादी नहीं कर सकते

नॉलिवुड फैक्टर

मडुवागु कहती हैं कि आज के पढ़े लिखे लोग भी इन पुरानी परंपराओं को मानते हैं तो इसकी एक वजह अफ्रीकी साहित्य भी है. वो दिवंगत नाइजीरियाई लेखक चिनुआ अचेबे की थिंग्स फॉल अपार्ट की मिसाल देती हैं.

अचेबे इग्बो थे जिन्होंने 1958 के अपने क्लासिक में ओसु के बारे में लिखा था.

"वो फ्रीबॉर्न से कभी शादी नहीं कर सकता...वो फ्रीबॉर्न की जमघट में शामिल नहीं हो सकता, और फ्रीबॉर्न उसकी की छत के नीचे पनाह नहीं ले सकते...और जब वो मरेंगे तो उन्हें बुरी ताक़तों के जंगल में दफनाया जाएगा."

मडुवागु को चिंता है कि दुनिया भर में इस नोवल को अपने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में पढ़ने वाले नाइजीरियाई छात्र अनजाने में ओसु को लेकर पारंपरिक मान्यताओं को अपना लेंगे.

वो कहती हैं, "अगर नाइजीरियाई बच्चों की हर पीढ़ी ओसु के बारे में ये पढ़ेगी, तो आपको नहीं लगता ये उनकी सोच को प्रभावित करेगी."

ये भेदभाव ख़त्म करने की वकालत करने वाले एनुगू राज्य के एक एंग्लिकन बिशप एलिसियस एग्बो के अनुसार, "नॉलीवुड भी इसमें एक भूमिका निभाता है."

नाइजीरियाई फिल्मों के अपने टीवी चैनल हैं, जिनमें काफी लोकप्रिय अफ्रीका मैजिक भी शामिल है.

बिशप एग्बो कहते हैं, "जिन मान्यताओं को हम अंधविश्वास मानते थे, वो अब फिर से सच्चाई की तरह हमारे सामने आ रहे हैं, क्योंकि अफ्रीका मैजिक पर हम यही देख रहे हैं. वो इसे हमारी संस्कृति के हिस्से के रूप में पेश करते हैं, लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि इसका समाज पर क्या असर होगा."

लेकिन हाल में दुनिया भर में हुए ब्लैक लाइव्स मैटर प्रदर्शनों के चलते मडुवागु को उम्मीद है कि और भी इग्बो लोग अपने रवैये को बदलने के लिए प्रेरित होंगे.

मडुवागु कहती हैं, "अफ्रीकियों को अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए कि उनकी अपनी मातृभूमि पर क्या हो रहा है."

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English summary
Descendants of slaves whom people do not want to marry
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