डोकलाम विवाद के बाद भारत आएगा चीनी सेना का प्रतिनिधिदल, जिनपिंग और मोदी की मीटिंग में बनी थी सहमति
चीन का एक प्रतिनिधिमंडल इस वर्ष भारत का दौरा करेगा और इस प्रतिनिधिमंडल में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के बॉर्डर ट्रूप्स के भी लोग शामिल होंगे। चीन की ओर से इसका ऐलान किया गया है।
बीजिंग। चीन का एक प्रतिनिधिमंडल इस वर्ष भारत का दौरा करेगा और इस प्रतिनिधिमंडल में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के बॉर्डर ट्रूप्स के भी लोग शामिल होंगे। चीन की ओर से इसका ऐलान किया गया है। पिछले वर्ष डोकलाम में हुए विवाद के बाद पहला मौका है जब पीएलए के अधिकारी भारत आएंगे। भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष डोकलाम विवाद के बाद हर तरह की रक्षा वार्ता को सस्पेंड कर दिया गया था। जून 2017 में शुरू हुआ यह विवाद अगस्त 2017 में जाकर खत्म हो सका था।
डोकलाम के बाद चर्चा बंद थी
दोनों देशों की सेनाएं सिक्किम में स्थित डोकलाम में 72 दिनों तक आमने-सामने थीं। डोकलाम पर भूटान अपना हक जताता है लेकिन यह चीन इस बात को मानने से इनकार कर देता है। 28 और 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इनवाइट पर चीन गए थे। दोनों नेताओं के बीच वुहान में एक अनौपचारिक मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में ही ऐलान किया गया था कि दोनों देशों की सेनाओं को बॉर्डर पर शांति और स्थायित्व कायम करने के लिए 'रणनीतिक दिशा निर्देश' जारी किए जाएंगे।
भारत और चीन अहम पड़ोसी
पीएलए के भारत दौरे पर अभी चर्चा जारी है। पीएलए के प्रवक्ता रेन ग्यूओकियांग ने कहा कि अभी दोनों देशों के बीच इस दौरे को लेकर सलाह-मशविरा जारी है। उन्होंने बताया कि पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रतिनिधियों का एक दल भारत जाएंगे। उन्होंने बताया कि अलग-अलग स्तर पर सीमा से संबधित विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा और दोनों देश बॉर्डल इलाके में नियंत्रण और मैनेजमेंट को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा सेनाओं के बीच भरोसा कैसे कायम किया जाए इस पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ही एशिया के बड़े देश हैं और एक-दूसरे के लिए अहम पड़ोसी हैं। चीन भारत के साथ मिलिट्री-टू-मिलिट्री संबंधों को आगे बढ़ाने को काफी महत्व देता है।
सेनाओं का दिशा-निर्देश देंगे मोदी-जिनपिंग
जिनपिंग और मोदी के बीच अप्रैल में हुई मुलाकात के दौरान डोकलाम जैसे तनाव से बचने का उपाय तलाशा गया है। दोनों नेताओं के बीच डोकलाम विवाद के बाद यह पहली मुलाकात थी और दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर भी मुलाकात के दौरान चर्चा की।दोनों नेताओं ने इस बात को माना कि भारत और चीन के बीच स्थित बॉर्डर के आसपास के क्षेत्र में शांति कायम रखना बहुत जरूरी है। मोदी और जिनपिंग ने शांति बरकरार रखने के लिए और सेनाओं के बीच संपर्क को मजबूत करने, भरोसे और आपसी समझ को बढ़ाने के लिए रणनीतिक निर्देश जारी करने का फैसला किया है। जिनपिंग और मोदी दोनों ने इस बात का समर्थन किया है कि एक विशेष प्रतिनिधि के जरिए इस विवाद को एक तार्किक आपसी हल तलाशना चाहिए।