चीन की धमकी को दरकिनार कर ताइवान पहुंचा चेक रिपब्लिक का डेलीगेशन
नई दिल्ली- चीन ने ताइवान को दबाने की पूरी कोशिशें की हैं, लेकिन उसकी कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। इसबार उसे चेक रिपब्लिक ने तगड़ा तमाचा जड़ दिया है। चीन ने बार-बार उसे मना किया था कि वह ताइवान के साथ किसी भी तरह से कूटनीतिक संबंध बढ़ाने की कोशिश ना करे। लेकिन, चेक रिपब्लिक के राष्ट्रपति के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले वहां के सीनेट के स्पीकर पूरे दल-बल के साथ ना केवल ताइवान पहुंच गए हैं, बल्कि वो 6 दिनों तक कई स्तर पर बातचीत भी करेंगे और दोनों देशों के संबंधों को एक दिशा देकर भी लौटेंगे। चेक रिपब्लिक के स्पीकर ने साफ संदेश देते हुए चीन से कह दिया है कि एकबार उसकी बातों में आने का मतलब होगा कि बार-बार उसकी ओर से अड़ंगा लगना, जो कि उनके राष्ट्र को हरगिज मंजूर नहीं है।
ताइवान में चेक रिपब्लिक से गच्चा खा गया चीन
चीन के भारी विरोध के बावजूद रविवार को चेक रिपब्लिक का एक डेलीगेशन वहां के सीनेट के स्पीकर मिलोस विस्त्रसिल की अगुवाई में ताइवान पहुंच गया। 6 दिनों की इस यात्रा के दौरान ये डेलीगेशन दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिशें करेगा। मिलोस विस्त्रसिल अपने साथ 89 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल लेकर ताइपेई पहुंचे हैं। यह प्रतिधिनिधिमंडल रविवार सुबह 11 बजे ताइवान के ताओयुआन इंटरनेशनल एयर पोर्ट पर प्राग से डायरेक्ट चार्टर फ्लाइट से पहुंचा, जिसने वहां से शनिवार दोपहर में उड़ान भरी थी। चेक रिपब्लिक के इस डेलीगेशन का ताइवान पहुंचना इसीलिए बहुत ज्यादा अहम है, क्योंकि वहां के सीनेट के अध्यक्ष राष्ट्रपति के बाद सबसे बड़ा आधिकारिक पद होता है। इससे भी बड़ी बात ये है कि ताइवान आने वाले विस्त्रसिल चेक रिपब्लिक के अबतक के सबसे बड़े अधिकारी हैं।
चीन की धौंस को दिखाया ठेंगा
लेकिन, चीन को चेक रिपब्लिक के सीनेट स्पीकर और उनके डेलीगेशन की यह ताइवान यात्रा बहुत ही ज्यादा खटक रही है, क्योंकि वह ताइवान को अपना इलाका मानता है और किसी भी देश के उसके साथ आधिकारिक संबंधों को वह उसे स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता की तरह समझता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक विस्त्रसिल ने साफ किया है कि वह चीन के किसी भी दबाव में नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि, 'आप किसी का नौकर बनना स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि अगर आप एकबार मान लेंगे तो ऐसा मान लिया जाएगा कि आप हर बार मानेंगे।' प्राग से रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि ताइवान यात्रा का मकसद लोकतंत्र का समर्थन करना और चेक कंपनियों के लिए आर्थिक फायदा लेकर आना है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यात्रा का मकसद चेक रिपब्लिक के पूर्व और दिवंगत राष्ट्रपति वैक्लव हवेल की भावनाओं का सम्मान करना है।
चेक रिपब्लिक ने उठाई थी ताइवान को यूएन में जगह देने की मांग
गौरतलब है कि चेक रिपब्लिक के पूर्व राष्ट्रपति हवेल ने यूनाइटेड नेशन की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ पर 1995 में ताइवान को उसका सदस्य बनाने के समर्थन में आवाज उठाई थी। उन्होंने 1990 में ताइवान के पूर्व और दिवंगत राष्ट्रपति ली तेंग-हुई से भी मुलाकात की थी। तब उन्होंने चेक रिपब्लिक की यात्रा की थी। विस्त्रसिल के साथ डेलीगेशन में प्राग के मेयर ज्डेनेक ह्रिब और वहां के राजनीति, कारोबार, विज्ञान और संस्कृति क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं। ये लोग 4 सितंबर तक ताइवान में रहेंगे।
ताइवान के बड़े अधिकारियों से होगी मुलाकात
इस यात्रा के दौरान चेक सीनेट के स्पीकर ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और दूसरे बड़े अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। उनका लेजिस्लेटिव यूआन और ताइपेई स्थित चेंग्ची यूनिवर्सिटी में भाषण का भी कार्यक्रम है। उन्हें वहां के लेजिस्लेचर से एक डिप्लोमेसी मानक पदक भी मिलना है। इस तरह से वह किसी देश के संसद के पहले प्रमुख होंगे, जिसके साथ ताइवान का कोई कूटनीतिक संबंध नहीं है। इस पदक की शुरुआत 2007 में की गई थी।
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