पाकिस्तान का दौरा करने से 17 साल तक क्यों कतराती रहीं क्रिकेट टेस्ट टीमें?
पाकिस्तान में क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने 17 साल बाद पहुंची इंग्लैंड की टीम. किन किन विदेशी टीमों ने पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था.
अंतरराष्ट्रीय खेल के मैदान पर चरमपंथी हमलों के बहुत कम मिसालें हैं.
सबसे पहला, और शायद सबसे बड़ा ऐसा हादसा 1972 के म्युनिख ओलिंपिक्स के दौरान हुआ था जब चरमपंथियों ने 11 एथलीटों का कत्ल कर दिया था. इस वाक़ये ने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था.
इसके बाद खेल के आयोजनों में सुरक्षा बढ़ा दी गई और स्टेडियम या टीम जहां ठहरती थी ऐसी जगहों पर भी पहरा बढ़ा दिया गया और बिना जांच के आम आदमी के आने जाने पर रोक लग गई.
शायद इसलिए भी कि खेल के मैदान पर चरमपंथी हमले पर रोक लगाई जा सकी. लेकिन ये सिलसिला साल 2008 में पाकिस्तान में टूट गया जब एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को गोलियों का निशाना बनाया गया.
लाहौर के गद्दाफ़ी स्टेडियम से थोड़ी ही दूर लगभग सात मिनटों तक चले चरमपंथी हमले ने दसियों बरस क्रिकेट टीमों को पाकिस्तान आने से रोके रखा.
पाकिस्तान से कन्नी काटने वाली टीमों में इंग्लैंड भी रही जिसने हाल ही में व्हाइट बॉल क्रिकेट के लिए पाकिस्तान का दौरा किया और अब 17 साल के बाद उनकी टीम टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेगी.
आखिरी बाद इंग्लैंड ने 2005 में पाकिस्तान की धरती पर टेस्ट क्रिकेट खेला था.
इंज़माम उल हक़ की कप्तानी में पाकिस्तान की टीम ने माइकल वॉन की इंग्लिश टीम को 3 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 2-0 से हरा दिया था.
लेकिन उसके बाद अब तक किसी भी इंग्लैंड की टीम ने पाकिस्तान में टेस्ट क्रिकेट खेलने की हिम्मत नहीं की क्योंकि पाकिस्तान को क्रिकेट के लिए सुरक्षित जगह नहीं समझा जाने लगा.
एक दशक से भी ज्यादा समय तक ना सिर्फ इंग्लैंड की टीम, बल्कि दुनिया की कोई भी क्रिकेट टीम पाकिस्तान में सुरक्षा कारणों से खेलने से मना करती रही.
उससे पहले भी कई बार विदेशी टीमों ने पाकिस्तान का दौरा रद्द किया था. जरा देखते हैं किन कारणों ने पाकिस्तानी क्रिकेट को अंधियारी गली में धकेल दिया.
श्रीलंकाई टीम पर क़ातिलाना हमला
तीन मार्च, 2009 को श्रीलंका की टीम लाहौर में अपने होटल से गद्दाफ़ी स्टेडियम दूसरा टेस्ट मैच खेलने के लिए निकली. टीम के खिलाड़ी और दूसरे सदस्य एक प्राइवेट बस में सवार थे.
उनके पीछे एक मिनी वैन में मैच के अंपायर सफर कर रहे थे. मेज़बान पाकिस्तानी टीम इस कारवां से पांच मिनट पीछे चल रही थी.
लाहौर के लिबर्टी चौक से जैसे ही खिलाड़ियों और मैच अधिकारियों का ये कारवां गुजरा कि वहां छुपे बैठे लगभग 12 चरमपंथियों ने हमला बोल दिया.
चरमपंथी एक-47, आरपीजी, ग्रेनेड और दूसरे ख़तरनाक हथियारों से लैस थे.
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक पहले श्रीलंका की बस के टायरों पर गोलियों बरसाई गईं और फिर बस के अंदर सवार खिलाड़ियों को निशाना बनाने की कोशिशों की गई.
बस के ऊपर एक रॉकेट भी छोड़ा गया लेकिन उसका निशाना चूक गया और वो पास के एक खंबे से जा टकराया. बस के नीचे ग्रेनेड बम भी डाला गया, लेकिन बस उसके आगे निकल गई.
श्रीलंका के कप्तान महेला जयवर्द्धने ने बताया था, “गनमैन ने पहले बस के टायरों को निशाना बनाया और फिर बस के अंदर गोलियां बरसाई. हम सब बस के फ्लोर पर कूद के लेट गए ताकि सीधे निशाने से बच सकें. कम से कम पांच खिलाड़ियों और हमारे असिस्टेंट कोच को चोट लगी.”
खिलाड़ियों को लगी गोलियों के बारे में तब कुमार संगाकारा ने बतायाथा कि 'उन्हें कंधे पर गोली की शार्पनेल लगी है जबकि अजंता मेंडिस को गर्दन और सर में चोट आई है, लेकिन हम ठीक हैं.'
वहीं थिलन समरवीरा को पैर में गोली का छर्रा लगा था , जबकि थरंगा पारानाविताना को सीने में गोली का टुकड़ा लगा.
पीछे वैन में आ रहे अंपायरों की टोली में टीवी अंपायर अहसान रज़ा को भी हमले मे चोट लगी.
लेकिन खैरियत ये रही की बस के ड्राइवर मे गाड़ी नहीं रोकी और गद्दाफी स्टेडियम पहुंच कर ही दम लिया.
हेलीकॉप्टर से टीम को सुरक्षित एयरबेस पर पहुंचाया गया
समरवीरा और पारानाविताना को गंभीर चोट लगी थी और उन्हें जल्द ही इलाज की ज़रूरत थी.
माहौल इतना अफ़रा तफ़री का था कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने एयरपोर्ट तक के सफर के लिए सड़क का रास्ता सही नहीं समझा और पाकिस्तानी आर्मी की एक हेलिकॉप्टर में इन खिलाड़ियों को एयरपोर्ट पहुंचाया गया.
अगली फ्लाइट से श्रीलंकाई टीम को कोलंबो पहुंचाया गया जहां घायल खिलाड़ियों को अस्पताल में भर्ती किया गया.
हमले के अंश सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गए थे और बाद में पूरी दुनिया ने उस हादसे को टीवी पर देखा.
इस हमले में 6 पाकिस्तानी पुलिसमैन और 2 नागरिक मारे गए. दूसरा टेस्ट मैच बगैर कोई गेंद डाले रद्द कर दिया गया.
सितंबर 11 के बाद कीवी टीम ने किया इनकार
अमरीका में सितंबर 2001 में हुए हमलों में भी हमलावरों के तार पाकिस्तान से जुड़े मिले थे.
हमलों के बाद सबसे पहले न्यूज़ीलैंड की टीम ने पाकिस्तान का दौरा करने से मना कर दिया.
बाद में वेस्ट इंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया को भी पाकिस्तान में क्रिकेट खेलना था लेकिन दोनों ही टीमों ने पाकिस्तान में खेलने से मना कर दिया.
एक नया रास्ता निकाला गया – न्यूट्रल वेन्यू का. पाकिस्तान ने ये दौरे कोलंबो और शारजाह को अपना 'घरेलू मैदान’ बना कर खेला.
टीम होटल के बाहर बम विस्फोट
न्यूज़ीलैंड ने दौरे को स्थगित किया था और एक साल बाद फिर कीवी टीम पाकिस्तान पहुंची.
मई 2002 की गरमियों में न्यूज़ीलैंड की टीम कराची के मशहूर शेराटन होटल में ठहरी थी.
लेकिन होटल के ठीक बाहर एक भीषण बम विस्ऱोट ने टीम को दहला दिया.
इस बार जो न्यूज़ीलैंड की टीम देश से निकली तो लंबे समय तक वापस नहीं आई.
बेनज़ीर की हत्या से सहमे कंगारू
दिसंबर 2007 में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की रावलपिंडी में एक चरमपंथी हमले में हत्या कर दी गई.
इस हाई प्रोफ़ाइल मर्डर से पाकिस्तानी क्रिकेट को भी बड़ा नुकसान हुआ.
सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया ने अगले साल मार्च में होने वाले दौरे पर आने से मना कर दिया और बाद में कई टीमों ने भी ऐसा ही किया.
बाद में आईसीसी का भी मानना था कि पाकिस्तान में क्रिकेट शुरू करने के लिए वहां के हालात पूरी तरह से बदलने चाहिए.
सुरक्षा कारणों से कई दौरे रद्द
इसके बाद सुरक्षा का हवाला देते हुए आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी सहित कई द्विपक्षीय दौरे रद्द किए गए.
2008 के चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पहले 5 देशों ने आने से मना किया जिससे टूर्नामेंट को 2009 के लिए पोस्टपोन कर दिया गया.
लेकिन बाद में पाकिस्तान से मेजबानी छीन ली गई.
इस बीच 2008 में ही वेस्ट इंडीज़ की पुरुष और महिला टीम ने भी पाकिस्तानी दौरे से मना कर दिया.
मुंबई हमलों के बाद भारत ने दौरे को किया मना
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए चरमपंथी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने से मना कर दिया.
भारत के मना करने पर पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने किसी तरह से श्रीलंका को दौरा करने के लिए राज़ी किया.
लेकिन जिस तरह श्रीलंकाई टीम पर ही आतंकवादी हमला हुआ उसने पूर्व पाकिस्तानी कप्तान इंज़माम उल हक को भी ये कहने से मजबूर कर दिया कि 'ना जाने अब कब और कौन सी टीम पाकिस्तान का दौरा करेगी.'
इन आतंकी घटनाओं की वजह से लगभग 10 साल किसी टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया.
लगभग 11 साल बाद श्रीलंका की टीम ने ही पाकिस्तान में खेलकर इस चक्र को तोड़ा.
श्रीलंका के अलावा जिम्बाब्वे, वेस्टइंडीज़, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों ने भी वहां वनडे और टी20 खेलना शुरू किया है.
और अब 17 बाद इंग्लैड की टीम वहां एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट खेलेगी, जिससे पाकिस्तान में खुशी की लहर है.
हाल ही में पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफ़्रीदी ने पाकिस्तान के टीवी चैनल को इंटरव्यू में बताया कि 'अंतरराष्ट्रीय टीम के दौरे ना करने से पाकिस्तानी क्रिकेट का किस तरह बुरा हाल हो रहा था.'
उन्होंने कहा, “हमारे मैदान शादी के हॉल में तब्दील होने लगे थे. हम अपने ग्राउंड्स पर खेलना चाहते थे, हम ग्राउंड पर अपने फ़ैंस को मिस कर रहे थे, वो पाकिस्तानी क्रिकेट के लिए बहुत बुरा वक्त था.”
ऐसा लगता है कि उस बुरे वक्त से पाकिस्तानी क्रिकेट धीरे धीरे उबरना शुरू कर चुकी है.
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