दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट पर असर नहीं करेगी Covid Vaccine- ब्रिटेन के वैज्ञानिक
लंदन। Vaccine Effect on Coronavirus New Variant: ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि कोरोना वायरस को लेकर दी जा रही वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका में हाल ही मिले नए वैरिएंट पर बेअसर रह सकती है। ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नये वैरिएण्ट का पता चला है जो पहले की अपेक्षा अधिक संक्रामक है। अब तक यह वायरस कई देशों में फैल चुका है। भारत में अभी तक ब्रिटेन में मिले वैरिएण्ट के 58 मामले मिल चुके हैं।
ब्रिटेन में अधिकारियों ने कहा था कि कोविड-19 का टीकाकरण नये वैरिएण्ट को भी रोकने में असरदार होगा वहीं सोमवार को ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री मैट हैन्कॉक ने कहा था कि उन्हें इस बात को लेकर चिंता है कि दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन पर ये वैक्सीन असरदार नहीं हो सकती है।
दिसम्बर
में
नए
स्ट्रेन
का
चला
था
पता
18
दिसम्बर
को
दक्षिण
अफ्रीका
में
स्वास्थ्य
अधिकारियों
ने
जानकारी
दी
थी
कि
कोरोना
वायरस
SARS-Cov-2
का
नया
वैरिएण्ट
देश
के
तीन
राज्यों
में
तेजी
से
फैल
रहा
है।
दक्षिण
अफ्रीका
ने
इस
वैरिएण्ट
को
501Y.V2
नाम
दिया
था।
अब
तक
ये
वैरिएण्ट
कई
देशों
में
फैल
चुका
है।
नए वैरिएण्ट पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। इनमें बॉयोएनटेक के सीईओ उगर साहीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर जॉन बेल भी इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि नए वैरिएण्ट पर वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है जिसके बारे में 6 सप्ताह बाद ही कुछ कह पाना सम्भव होगा। इसके पहले उगर साहीन ने कहा था कि एक बार वैक्सीन तैयार होने के बाद अगर वायरस म्यूटेट होता है तो म्यूटेशन के खिलाफ वैक्सीन बनाना बहुत कठिन नहीं होता है और छह सप्ताह में वैक्सीन को तैयार किया जा सकता है।
अब
तक
18
लाख
मौत
दुनिया
भर
में
कोरोना
वायरस
महामारी
के
चलते
18
लाख
से
अधिक
लोगों
की
मौत
हो
चुकी
है।
कई
विकसित
देशों
ने
कोरोना
महामारी
के
खिलाफ
टीकाकरण
अभियान
शुरू
कर
दिया
है।
अभी
तक
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
अमेरिका
की
फाइजर,
मॉडर्ना,
ऑक्सफोर्ड
यूनिवर्सिटी
की
एस्ट्राजेनेका,
के
साथ
ही
रूसी
स्पुतनिक-V
और
चीनी
कम्पनी
सिनोफॉर्म
की
वैक्सीन
को
मंजूरी
मिल
चुकी
है।
इसके
साथ
ही
60
और
वैक्सीन
कतार
में
हैं।