Covid Vaccine: चीन ने दिखाई थी बेशर्मी जिसके बाद बांग्लादेश ने बढ़ाया भारत की तरफ हाथ
Covid Vaccine: ढाका। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों के बीच एक बात बहुत आम है चीन कुछ भी फ्री नहीं देता। यानि चीन कितना ही किसी का दोस्त बनने का दिखावा करे लेकिन जब आपकी जरूरत के समय किसी मदद की बात आती है तो उसके बदले में वह कुछ वसूल लेता है। भले ही वह उसके पड़ोसी देश ही क्यों न हों। चीन ने ऐसी ही बेशर्मी कोविड वैक्सीन को लेकर बांग्लादेश के साथ दिखाई है जिसके बाद ढाका ने वैक्सीन के लिए नई दिल्ली का रुख किया।
बांग्लादेश ने चीन से शुरू की थी बात
बांग्लादेश ने पहले चीन से ही कोरोना वैक्सीन को लेकर बात शुरू की थी और यह काफी हद तक आगे भी बढ़ी थी लेकिन इसी बीच चीन ने बेशर्मी दिखाते हुए बांग्लादेश से वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का खर्च शेयर करने को कहा। चीन से ऐसी हरकत की बांग्लादेश को उम्मीद नहीं थी। इसके बाद बांग्लादेश ने अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद साथी भारत का रुख किया है।
पिछले दिनों ही भारत ने वैक्सीन मैत्री के तहत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की 20 लाख डोज बांग्लादेश को गिफ्ट की थी। इसके साथ ही बांग्लादेश को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ 3 करोड़ की डोज के अनुबंध की अनुमति भी दी। बांग्लादेश को वैक्सीन की डोज भेजकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वो वादा पूरा किया था जो उन्होंने 17 दिसम्बर को एक वर्चुअल सम्मेलन में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ किया था। दोनों देश कोविड वैक्सीन को लेकर कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं जिसमें फेज-3 ट्रायल, वितरण और उत्पादन और बांग्लादेश में वैक्सीन को पहुंचाया जाना शामिल है।
श्रीलंका और नेपाल को भी चीनी वैक्सीन पर शक
इसके साथ ही श्रीलंका और नेपाल के नेतृत्व ने भी भारतीय वार्ताकारों के सामने चीन की वैक्सीन को लेकर शंका जाहिर की है। भारतीय वैक्सीन की मांग सिर्फ पड़ोसी देशों से ही नहीं बल्कि सुदूर बारबाडोस से भी आई है जहां के प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 2 लाख वैक्सीन की मांग की थी जिसमें आधी खुराक खरीदने की बात कही थी। भारत सरकार ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।
ढाका में मौजूद कूटनीतक चैनल के हवाले से ये पता चला है कि चीनी पिछले साल अक्टूबर में शेख हसीना सरकार के साथ कोरोनावैक वैक्सीन को लेकर एक करार करना चाह रहे थे। इसकी एक प्रमुख शर्त यह थी कि बांग्लादेश को क्लिनिकल ट्रायल में आए खर्च को शेयर करना होगा। जब बांग्लादेश ने ट्रायल का खर्च शेयर करने से इनकार कर दिया तो चीनी कंपनी सिनोवॉक ने कहा कि बांग्लादेश को इससे छूट नहीं दी जा सकती है जब ऐसी ही शर्त उन देशों के लिए भी रखी गई है जहां पर क्लिनिकल ट्रायल किया गया है और वैक्सीन पहुंचाई जाने वाली है।
30 लाख कॉमर्शियल डोज पहुंच चुकी ढाका
इसके बाद ही ढाका तेजी से आगे बढ़ा और SII के साथ गठजोड़ किया और मोदी सरकार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 30 मिलियन खुराक की व्यावसायिक आपूर्ति की सुविधा प्रदान की। वाणिज्यिक आपूर्ति की तीन मिलियन खुराक पहले ही ढाका में उतर चुकी हैं।
चीन से झटका लगने के बाद ढाका ने तेजी के साथ भारत का रुख किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और मोदी सरकार से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 3 करोड़ डोज की खरीद के लिए मंजूरी ली। इसमें से 30 लाख डोज बांग्लादेश पहुंच चुकी है।
भारत पहले ही कोरोना वायरस वैक्सीन की 50 लाख डोज पड़ोस के सात देशों में पहुंचा चुका है। भूटान पहला देश था जहां भारत ने वैक्सीन भेजी थी जबकि हाल ही में 22 जनवरी को मॉरीशस को वैक्सीन की डोज भेजी थी।
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