अमेरिका में भेदभाव: Covid Vaccine पाने में काले और लैटिन अमेरिकी पीछे, फाउची बोले- गोरों पर ही न हो फोकस
Covid Vaccination in America: वाशिंगटन डीसी। दुनिया में अमेरिका ने भले ही सबसे पहले कोरोना वायरस को लेकर वैक्सीनेशन शुरू किया लेकिन वहां पर वैक्सीन के वितरण में भारी भेदभाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका से आ रही रिपोर्ट में ये पाया है कि अश्वेत लोगों को वैक्सीन के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अब इन दावों पर अमेरिका महामारी विभाग के डायरेक्टर डॉ. एंथोनी फाउची ने भी मुहर लगा दी है। डॉ. फाउची ने कहा है Covid-19 टीकाकरण केवल मध्य वर्गीय श्वेत लोगों (middle class white people) पर केंद्रित नहीं रहना चाहिए।
फाउची ने एक सवाल के जवाब में कहा "मुझे लगता है कि एक चीज के बारे में हमें सावधान रहने की जरूरत है, हम शुरू से ही नहीं चाहते हैं कि जिन लोगों को वैक्सीन दी जा रही है उनमें अधिकांश मिडल क्लास व्हाइट लोग हों।"
काले
लोगों
तक
पहुंच
नहीं-
फाउची
काले
लोगों
के
बारे
में
बात
करते
हुए
फाउची
ने
कहा
"आप
वास्तव
में
इस
उन
लोगों
के
लिए
उपलब्ध
कराना
चाहते
हैं
जिन्हें
इसकी
जरूरत
है।
आप
हर
किसी
के
लिए
इस
पाना
चाहते
हैं
लेकिन
आप
ऐसी
स्थिति
नहीं
चाहते
है
कि
जिन्हें
वास्तव
में
इसकी
जरूरत
है
उनका
पता
न
चले।
ऐसे
लोग
अपनी
कमजोर
आर्थिक
स्थिति
के
साथ
जहां
रहते
हैं
वहां
टीका
उपलब्ध
नहीं
है।"
अमेरिका में रहने वाले काले और लैटिन अमेरिकी लोगों में वैक्सीन प्राप्त करने की दर गोरे लोगों के मुकाबले कम है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आवाज उठाने वालों ने इसके लिए संघीय सरकार और अस्पतालों पर समान वितरण को सही से लागू करने को लेकर आलोचना की है।
गोरे
लोगों
को
ज्यादा
वैक्सीन
सीएनएन
ने
अमेरिका
के
14
राज्यों
में
वैक्सीन
पाने
वाले
लोगों
के
डेटा
का
विश्लेषण
किया
जिसमें
भारी
असमानता
मिली
है।
गोरे
लोगों
में
वैक्सीन
पाने
की
दर
काले
और
लैटिन
अमेरिकी
लोगों
की
तुलना
में
दोगुनी
है।
विश्लेषण में पाया गया कि गोरे लोगों की 4 प्रतिशत आबादी कोविड वैक्सीन प्राप्त कर चुकी है जो कि काले लोगों की आबादी से 2.3 गुना ज्यादा है जबकि लैटिन अमेरिकी लोगों से 2.6 गुना ज्यादा है। काले लोगों में 1.9 प्रतिशत को वैक्सीन मिली है वहीं लैटिन अमेरिकी समुदाय में 1.8 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो पाया है।
अमेरिका में पिछले साल दिसम्बर में ही कोरोना वायरस वैक्सीन का टीकाकरण शुरू किया गया था। शुरुआत में फाइजर की वैक्सीन को अनुमति दी गई लेकिन बाद में मॉडर्ना को भी टीकाकरण की मंजूरी मिल गई थी।
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