Covid 19: महामारी के चलते दुनिया में भुखमरी दोगुनी हो सकती है: संयुक्त राष्ट्र
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार COVID-19 की वजह से आर्थिक क्षेत्र में आई गिरावट इस वर्ष में दुनिया में तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगभग दोगुनी हो सकती है। यानी महामारी से दुनिया भर में भूखमरों की संख्या 26.5 करोड़ पहुंच सकती है।
मंगलवार को अपनी एक नई रिपोर्ट में डब्लूएफपी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल पर्यटन राजस्व, प्रेषण राजस्व, यात्रा और अन्य प्रतिबंधों से हुए नुकसान के प्रभाव से लगभग 1.3 करोड़ से अधिक लोगों को भूख से पीड़ित होने की आशंका है।
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जिनेवा में एक ब्रीफिंग में डब्ल्यूवीएफपी के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान, मूल्यांकन और निगरानी के प्रमुख आरिफ हुसैन ने कहा कि "Covid-19 संभावित रूप से उन लाखों लोगों के लिए विनाशकारी है, जो पहले से ही एक ऐसी समस्याओं में घिरे हुए हैं।
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बकौल आरिफ हुसैन, "हम सभी को एक साथ आने की जरूरत है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी। कहने का अर्थ है कि वैश्विक लागत बहुत अधिक होगी, कई अपना जीवन खो देंगे तो अधिकांश अपनी आजीविका गंवा देंगे।
हुसैन ने कहा कि पहले ही रोजाना कमाई करके खाने वाले लोगों को उनकी संपत्ति बेचने से रोकने के लिए जल्दी कार्य करना महत्वपूर्ण था, क्योंकि ऐसे में उनके लिए फिर से आत्मनिर्भर होने में कई साल लग सकते हैं।
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DRC में 20 लाख बच्चे कुपोषित हैं: यूनिसेफ
कुछ मामलों में जैसे कि जब किसान अपनी हल या बैलों को बेचते हैं, तो आने वाले वर्षों के लिए खाद्य उत्पादन पर इसका असर पड़ सकता है। ये वे लोग थे जिनके बारे में हम चिंतित थे, जो COVID19 महामारी से पहले ठीक थे, लेकिन अब नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वो बहुत कम या बिना किसी सरकारी सुरक्षा वाले देशों में रहने वाले लोगों के बारे में वास्तव में अधिक चिंतित" थे।
UN की 5 चरणों की तीसरी श्रेणी में तीव्र भोजन व आजीविका संकट है
संयुक्त राष्ट्र की पांच चरणों की तीसरी श्रेणी में तीव्र भोजन और आजीविका का संकट है, जिसका अर्थ है भोजन की पहुंच का गंभीर अभाव और सामान्य कुपोषण से ऊपर। जबकि श्रेणी 5 का अर्थ है सामूहिक भुखमरी। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने भौगोलक रूप से बढ़ती जरूरतों को आंकड़ा नहीं दिया है, लेकिन कहा कि अफ्रीका के सबसे अधिक हिट होने की संभावना है।
इस साल सहायता कार्यक्रमों के लिए 10- 12 अरब डॉलर की जरूरत होगी
हुसैन ने कहा कि डब्ल्यूएफपी को उम्मीद है कि पिछले साल के रिकॉर्ड 8.3 अरब डॉलर के मुकाबले इस साल अपने सहायता कार्यक्रमों के लिए 10- 12 अरब डॉलर की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि बढ़ती जरूरतों की प्रत्याशा में यूएन आने वाले महीनों में खाद्य भंडार को पूर्व स्थिति में लाने की योजना बना रहा है।
पिछले साल दुनिया के 55 देशों में 13.5 करोड़ लोग तीव्र खाद्य संकट था
डब्ल्यूएफपी और अन्य भागीदारों द्वारा खाद्य संकट पर मंगलवार को पेश की गई चौथी वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट में पाया गया कि कोरोनो वायरस संकट के फैलने से पहले पिछले साल ही खाद्य असुरक्षा ही बढ़ रही थी। इसमें पाया गया कि 55 देशों में 13.5 करोड़ लोग पिछले साल तीव्र खाद्य संकट या एकमुश्त मानवीय आपात स्थितियों की स्थिति में थे।
खाद्य संकट में फंसे लोगों की संख्या 10 फीसदी बढ़कर 12.3 करोड़ हुई
चार वर्षों में संकलित रिपोर्ट में 20 लाख से अधिक लोगों की वृद्धि इसे रिकॉर्ड स्तर तक ले जाती है। मौजूदा और पिछले साल की रिपोर्ट में 50 देशों की तुलना में खाद्य संकट में फंसे लोगों की संख्या लगभग 10 फीसदी बढ़कर 12.3 करोड़ तक पहुंच गई है। यह वृद्धि संघर्ष, आर्थिक झटके और मौसम संबंधी घटनाओं मसलन सूखे के कारण हुई थी। यमन और दक्षिण सूडान में संघर्ष के वर्षों में आबादी के आधे से अधिक लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है।
दक्षिण सूडान में पहले भी 5 लाख से अधिक लोग भुखमरी से परेशान थे
अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी दक्षिण सूडान में COVID-19 से पहले भी "पांच लाख से अधिक लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे, उनमें से कुपोषित 17 लाख महिलाएं और बच्चे जीवित रहने के लिए पूरी तरह से खाद्य सहायता पर निर्भर थे।
लॉकडाउन में यात्रा प्रतिबंधों ने सहायता सेवाओं की डिलीवरी प्रभावित की
रिपोर्ट कहती है कि कोरोनो वायरस के चलते लागू किए गए यात्रा प्रतिबंधों ने सहायता सेवाओं की डिलीवरी को बुरी तरह बिगाड़ दिया है, जिससे भुखमरी तेजी से और बढ़ी है। अब उन लोगों की संख्या देख रहे हैं, जो आने वाले महीनों में कुपोषण और खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं।