विश्व पर कोरोना का कहर: 10 महीने में 1 मिलियन लोगों की मौत, 3 करोड़ से अधिक 'नए गरीब'
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए आज भी कई देशों के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने में दिन-रात लगे हुए हैं। कोरोना वायरस को अस्तित्व में आए करीब 10 महीने हो चुके हैं, इस दौरान महामारी ने दुनिया भर में 10 लाख से अधिक लोगों मौत का ग्रास बना दिया है। कोविड-19 के चलते सिर्फ लोगों की मौत ही नहीं हो रही बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक महामारी की वजह से विश्व में 3 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गए हैं।
गौरतलब है कि भारत समेत दुनिया भर में कोरोना वायरस का तांडव जारी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी से वास्तविक मृत्यु दर आने वाले समय में दोगुनी हो सकती है क्योंकि दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने की संभावना है। अमेरिका को लेकर ऐसी चेतावनी दी जा रही है कि वहां सर्दियों में होने वाली मौतों और गंभीर बीमारियों का आंकड़ा बढ़ सकता है। वहीं जर्मनी ने संक्रमण में वृद्धि की चेतावनी दी और मास्को ने अस्थायी अस्पताल वार्डों को फिर से खोल दिया।
कोरोना
की
वजह
से
गरीब
हुए
लोग
इस
बीच
कोरोना
वायरस
के
चलते
आर्थिक
नुकसान
होने
की
वजह
से
विश्व
में
गरीबों
की
संख्या
बढ़ती
दिख
रही
है।
विश्व
बैंक
के
अनुसार
महामारी
के
कारण
पूर्वी
एशिया
में
'नए
गरीब'
और
प्रशांत
क्षेत्र
में
38
मिलियन
से
अधिक
लोगों
के
गरीबी
रेखा
के
नीचे
पहुंचने
की
आशंका
है।
विश्व
बैंक
की
माने
तो
महामारी,
नियंत्रण
के
उपायों
और
वैश्विक
मंदी
की
वजह
से
अनुमान
के
मुताबिक
2020
में
इस
क्षेत्र
की
विकास
दर
0.9
प्रतिशत
रह
सकती
है
जो
कि
1967
के
बाद
सबसे
कम
है।
वहीं,
महामारी
की
वजह
से
20
वर्षों
में
पहली
बार
गरीबी
बढ़ेगी।
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सर्दियों
में
घातक
हो
सकते
हैं
परिणाम
अमेरिका
में
अब
तक
सबसे
अधिक
200,000
मौतें
कोरोना
से
वजह
से
हो
चुकी
हैं।
वहीं
ब्राजील
और
भारत
ने
मिलकर
200,000
से
अधिक
मौतों
का
आंकड़ा
दिया
है।
दुनिया
भर
में
मार्च
और
अप्रैल
में
स्पाइकिंग
के
बाद
से
दैनिक
मौतों
की
संख्या
में
वृद्धि
में
सुधार
हुआ
है,
जिससे
चिकित्सा
देखभाल
और
बीमारी
के
इलाज
के
तरीकों
में
मदद
मिली
है।
लेकिन
जैसा
कि
यूरोप
और
उत्तरी
अमेरिका
में
सर्दियों
और
फ्लू
के
मौसम
से
आगे
बढ़ता
है,
कोविड
-19
घातक
परिणाम
फिर
से
बढ़
सकते
हैं।