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टिकटॉक पर वीडियो डालने वाली लड़कियों को इस देश ने जेल भेज दिया

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इन लड़कियों को रिहा करने की मांग की है.

By सैली नबील
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मवादा अल अधम
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मवादा अल अधम

हाल में ही दो साल के लिए जेल में डाल दी गईं एक सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर मवादा अल अदम की बहन रहमा कहती हैं, "हम बेहद शॉक में थे. उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था. मेरी बहन कोई अपराधी नहीं है. वे केवल मशहूर होना चाहती थीं."

22 साल की यूनिवर्सिटी छात्र मवादा को मिस्र के पारिवारिक मूल्यों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था.

टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर मशहूर गानों पर फैशनेबल कपड़े पहनकर लिप-सिंक करते नाचते हुए के वीडियो पोस्ट करने की वजह से उन्हें पिछले साल मई में गिरफ्तार कर लिया गया था. अभियोक्ता ने उनके वीडियोज को अभद्र माना था.

रहमा ने बताया, "मेरी मां अब बमुश्किल अपने बिस्तर से उठ पाती है. वे हर वक्त रोती रहती हैं. कई दफा वे रात में जाग जाती हैं और पूछती हैं कि क्या मवादा घर वापस आ गई हैं."

'टिकटॉक वाली लड़कियां'

हनीन होसाम
Getty Images
हनीन होसाम

मवादा उन पांच युवा लड़कियों में से एक हैं जिन्हें एक जैसी जेल की सजा दी गई है. इसके अलावा इन पर करीब 20,000 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है. इन पांचों को टिकटॉक वाली लड़कियां कहा जाता है. इनमें एक अन्य सोशल मीडिया स्टार हनीन होसाम भी शामिल हैं. बाकी तीन लड़कियों के नाम नहीं दिए गए हैं.

रहमा का कहना है कि उनकी बहन कई मशहूर फैशन ब्रैंड्स के लिए सोशल मीडिया पर मॉडलिंग करती थी. वे कहती हैं, "वे केवल बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी थीं. वे एक अदाकारा बनना चाहती थीं."

एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, अभियोजन अधिकारियों ने सबूत के तौर पर मवादा की 17 फोटोज का इस्तेमाल किया और बताया कि ये फोटोज अभद्र हैं. मवादा का कहना है कि ये फोटो उनके पिछले साल उनके चोरी हुए फोन से लीक हुई हैं.

मवादा क्यों?

Image from Mwadas Instagram account
Instagram/mawada_eladhm
Image from Mwadas Instagram account

17 अगस्त को अपील होनी है और रहमा को उम्मीद है कि उनकी बहन की कम से कम सजा घटा दी जाएगी.

वे गुस्से में पूछती हैं, "वही क्यों? कई अभिनेत्रियां बेहद खुले तरीके से कपड़े पहनती हैं. कोई उन्हें छूता भी नहीं है."

उनके वकील अहमद बहकिरी के मुताबिक, शुरुआती फैसला आने के बाद मवादा बेहोश हो गई थीं.

वे कहते हैं, "जेल कोई उपाय नहीं है. भले ही उनके कुछ वीडियोज हमारे सामाजिक नियमों और परंपराओं के खिलाफ क्यों न हों. जेल से अपराधी पैदा होते हैं. अधिकारियों को पुनर्वास पर ध्यान देना चाहिए."

अभिव्यक्ति की आजादी

मवादा अल अदम
Getty Images
मवादा अल अदम

मिस्र मुस्लिम बहुसंख्या वाला देश है. यहां रूढ़िवादी समाज है और ईजिप्ट के कुछ लोग इन टिकटॉक वीडियोज को अश्लील मानते हैं.

बचाव करने वालों के व्यवहार को अनुचित कहकर उनकी आलोचना की जाती है. अन्य लोगों का कहना है कि लड़कियां केवल मौजमस्ती कर रही थीं और उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए.

मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन लड़कियों को रिहा करने की मांग की है. इनका मानना है कि ये गिरफ्तारियां अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की दिशा में उठाया गया एक और कदम है और इसके जरिए सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है.

2014 में जबसे सेना समर्थित राष्ट्रपति अब्दल फतह सीसी सत्ता में आए हैं, तब से स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन राज्य की सख्त नीतियों की आलोचना करते आ रहे हैं.

ये कार्यकर्ता दसियों हजार राजनीतिक कैदियों की बात करते हैं जिनमें उदारवादी, इस्लामिस्ट्स, पत्रकार और मानव अधिकार वकील शामिल हैं.

राष्ट्रपति ने जोर दिया है कि मिस्र में जमीर वाला कोई भी कैदी नहीं है. साथ ही अधिकारी मानव अधिकार रिपोर्ट्स की साख पर सवाल उठाते हैं.

लिंगभेद

मवादा अल अदम
Instagram/mawada_eladhm
मवादा अल अदम

एक एनजीओ ईजिप्टियन कमीशन फॉर राइट्स एंड फ्रीडम्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मोहम्मद लोट्फी कहते हैं, "महिलाओं को सोशल मीडिया पर केवल सरकार के निर्देशों के हिसाब से चलने की आजादी है." यह एनजीओ इन लड़कियों की रिहाई की मांग कर रहा है.

लोट्फी का मानना है कि यह केस सीधे तौर पर लैंगिक भेदभाव का मामला है. वे कहते हैं, "लड़कियों पर आरोप है कि उन्होंने ईजिप्ट के पारिवारिक मूल्यों को तोड़ा है, लेकिन किसी ने भी आज तक इन मूल्यों को परिभाषित नहीं किया है."

महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाले मुज्न हसन इस बात से सहमत हैं. वे कहते हैं, "यह बेहद लिंग-आधारित मामला है जो कि राज्य की पितृसत्तात्मक सोच को दिखाता है."

लोट्फी कहते हैं कि भले ही इन लड़कियों को छोड़ दिया जाए, लेकिन युवा लड़कियों में एक डर का संदेश भेज दिया गया है.

वे कहते हैं, "अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि आप अपनी मनमर्जी से कुछ भी कह या कर नहीं सकते हैं."

हाल के महीनों में सरकारी अभियोक्ताओं ने ऐसे कई बयान जारी किए हैं जिनमें 'डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के हमारे युवाओं के सामने मौजूद खतरों' को रेखांकित किया गया है. अभियोक्ताओं ने पेरेंट्स से अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए कहा है.

वर्ग और प्रभाव

मवादा अल अदम
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मवादा अल अदम

मवादा के टिकटॉक पर 30 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 16 लाख है. कुछ आलोचकों का कहना है कि अधिकारी लड़कियों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं.

कुछ सोशल मीडिया यूजर्स को लगता है कि कहीं इन इनफ्लूएंसर्स को इस वजह से तो अरेस्ट नहीं किया गया क्योंकि ये सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं और इनके कोई बड़े संपर्क नहीं हैं.

इनका तर्क है कि ऊंचे सामाजिक दर्जे वाली दूसरी लड़कियां सोशल मीडिया पर बिना किसी डर के इसी तरह से व्यवहार करती हैं.

लोट्फी कहते हैं, "उच्च दर्जे की लड़कियां आमतौर पर सत्ता से नजदीकी रखने वाले परिवारों से होती हैं. ऐसे में इनके सरकार विरोधी राय जाहिर करने के आसार नहीं होते हैं."

एमनेस्टी इंटरनेशऩल के मिडल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका के एक्टिंग रीजनल डायरेक्टर लिन मालूफ कहते हैं, "महिलाओं की ऑनलाइन निगरानी करने की बजाय सरकार को महिलाओं के खिलाफ होने वाली सेक्शुअल और जेंडर आधारित हिंसा को रोकने पर जोर देना चाहिए."

BBC Hindi
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English summary
Country Egypt has sent girls to jail for putting a video on Tiktok
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