क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना वायरस: आपका 'अशिष्ट' व्यवहार बचा सकता है लाखों की जान

कोरोना वायरस हमारी इंसानियत का इम्तिहान ले रहा है. हम सामाजिक प्राणी हैं मगर इस बीमारी ने हमारी स्वाभाविक गतिविधियों को जानलेवा कमज़ोरी में बदल दिया है. हमें अपनी पुरानी दिनचर्या और आदतों को अब नई आदतों और तौर-तरीकों से बदलना होगा. हमें अपने आचरण को इस महामारी के हिसाब से ढालना होगा. तो हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए? 

By मार्क ईस्टन
Google Oneindia News
कोरोना वायरस
Getty Images
कोरोना वायरस

कोरोना वायरस हमारी इंसानियत का इम्तिहान ले रहा है. हम सामाजिक प्राणी हैं मगर इस बीमारी ने हमारी स्वाभाविक गतिविधियों को जानलेवा कमज़ोरी में बदल दिया है.

हमें अपनी पुरानी दिनचर्या और आदतों को अब नई आदतों और तौर-तरीकों से बदलना होगा. हमें अपने आचरण को इस महामारी के हिसाब से ढालना होगा.

तो हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए? आज जब कोरोना के कारण हाथ मिलाना और गले लगना असामाजिक माना जा रहा है, तब भी हम कैसे सामाजिक रह सकते हैं?

सामान्य दौर में जब कोई बेचैन होता था या परेशान होता था तो उसे छूकर, थपथपाकर दिलासा दिया जाता था. मगर अब सामान्य दौर नहीं है. छूना आज सबसे ख़तरनाक काम बन गया है.

जिस किसी चीज़ के संपर्क में हम आ रहे हैं या कोई और आ रहा है, वह चीज़ वायरस की संवाहक हो सकती है. ऐसे में ज़रूरी है कि इस ख़तरनाक वायरस को फैलने का मौक़ा ही न दिया जाए.



आप बचा सकते हैं लाखों ज़िंदगियां

एनएचएस इंग्लैंड के मेडिकल डायरेक्टर का कहना है, "आपके जीवन का यह वो दौर है जब आपका एक क़दम किसी और की ज़िंदगी बचा सकता है."

कोरोना वायरस
Getty Images
कोरोना वायरस

हो सकता है कि हाथ धोने जैसा एक मामूली काम भी किसी एक की, दो की, पचास की या फिर हज़ारों की ज़िंदगी बचा ले. हाथ धोते वक्त हमें इस बात को याद रखना चाहिए.

बदले हुए हालात में हमें ऐसे काम करने की आदत डालनी पड़ रही है जो अशिष्ट या अभद्र माने जाते हैं. मगर सोशल डिस्टैंसिंग यानी बाक़ी लोगों से कम से कम दो मीटर दूर खड़े होना, उनसे हाथ न मिलाना, दोस्त के गले न लगना... ये सब हमारे दौर के नए शिष्टाचार हैं और हमें इन्हें जल्द अपनाना होगा.

इस महामारी के दौरान हमारा व्यवहार ही लाखों लोगों की क़िस्मत का फ़ैसला करेगा. इसलिए ब्रितानी सरकार जब योजना बनाती है तो बिहेवियरल साइंस को केंद्र में रखती है.



व्यक्तिवाद नहीं, समूहवाद अपनाएं

इंसानों के लिए अच्छी बात यह है कि विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत सारे लोग समाज के लिए कुछ अच्छा करने की सोच रखते हैं. बिहेवियरल साइंस के उप-समूह ने ब्रितानी मंत्रियों को सलाह दी है कि जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, उनमें 'बड़े पैमाने का कोई दंगा' होने की आशंका कम ही है.

कोरोना वायरस
PA Media
कोरोना वायरस

कई बार समाज बिखरता है. कई बार डर के कारण ऐसा होता है, मगर कई बार बेवकूफ़ी भरी सोच और लालच के कारण भी. जब लोग अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं और दुनिया बहुत ख़तरनाक नज़र आने लगती है तो डर बढ़ता चला जाता है.

इसी कारण लोग अमासाजिक होकर सामान जमा कर रहे हैं. व्यवहार विज्ञानी प्रोफडेसर पॉविस के शब्दों में 'स्वार्थी बनकर खरीदारी कर रहे हैं.'

बिहेवियरल साइंटिस्ट्स सरकार से कह रहे हैं कि लोगों के बीच 'समूहवाद' की भावना का प्रसार किया जाए. सलाह दी गई है कि 'सभी संदेशों में अपने समुदाय के बारे में सोचने की याद दिलाने के लिए कहा गया है ताकि लोगों को अहसास हो कि हम मिलकर इसका सामना कर रहे हैं.'

यह कहा जा रहा है कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश कोरोना वायरस को इसलिए नियंत्रित कर पा रहे हैं क्योंकि वहां पर पश्चिमी देशों की तरह व्यक्तिवाद की संस्कृति कम है.

कोरोना वायरस
Getty Images
कोरोना वायरस

इसी कारण ब्रितानी प्रधानमंत्री को पब और रेस्तरां बंद करने का ऐलान करते हुए कहना पड़ा कि 'मैं जानता हूं कि कितना मुश्किल दौर है ये और ब्रितानी लोगों की आज़ादी भरी प्रवृति के कितने प्रतिकूल है.'

साइंटिफ़िक कमेटी के एक सदस्य का कहना है कि यह वायरस दुनिया के सभी देशों के लिए 'सामाजिक पूंजी' की तरह है जो समुदायों को आपस में जोड़कर रखने के लिए गोंद की तरह काम कर रहा है.

इसी कारण लोग एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं, चंदा दे रहे हैं और सोशल मीडिया तक में एक-दूसरे को लेकर चिंता जता रहे हैं.



समाजिक पूंजी जुटाएं

जो लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे, उनके पास मौक़ा है कि वे इस 'समाजिक पूंजी' को जमा करें. अपने पड़ोसियों की मदद करें, जो भी काम करें, दूसरों का ख़्याल रखते हुए करें.

ब्रितानी वित्त मंत्री ने कहा भी कि जब यह दौर ख़त्म होगा और हम इस दौर को याद करेंगे तो चाहेंगे कि हमारे द्वारा किए गए और हमारे लिए किए गए नेकी भरे काम ही याद आएं.

एक्शन फॉर हैपीनेस नाम की एक संस्था ने कैलंडर बनाया है ताकि लोग शांत रहें, समझदारी बरतते रहें और दया भाव से भरे रहें.

इसमें सुझाया गया है, "दूसरों की मदद के लिए नेकी के तीन काम करें, भले ही वे कितने भी छोटे क्यों न हो."

अन्य सलाहों में अपने क़रीबियों को फ़ोन करने और उनकी बातें सुनने के लिए कहा गया है. साथ ही उन तीन लोगों को शुक्रिया कहना है जिनके आप किसी बात के लिए आभारी हैं. पॉज़िटिव खबरें ढूंढनी है और उन्हें बाकियों के साथ साझा करना है.

कोरोना वायरस
Getty Images
कोरोना वायरस

बिहेवियरल साइंस कहती है कि अपने नेताओं पर यक़ीन हो तो बेचैनी और चिंता कम होती है. इससे समाज को बिखरने से रोकने में भी मदद मिलती है. एक एक्सपर्ट कहते हैं, "अगर लोगों के बीच यह धारणा बने कि सरकार जनता का ख्याल रखने के लिए सही क़दम नहीं उठा रही तो इससे तनाव बढ़ सकता है."



दूसरों की सोचें

हमें अब अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. अगर ज़रूरी सामान के लिए दुकान जाना पड़े तो ख़्याल रखना है कि ख़ुद भी संक्रमित नहीं होना है और न ही संक्रमण का संवाहक बनना है.

जिन्हें काम के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है, उन्हें भी ध्यान से हर काम करना है. जिस भी चीज़ को छूएं, ध्यान से छूएं- हैंडल, चाबी, सिक्के, क्रेडिट कार्ड, कंप्यूटर कीबोर्ड, माउस और मग वगैरह.

यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम ख़ुद के लिए, परिवार के लिए और पूरे समाज के लिए ख़तरा कम करें. यह बीमारी हमारी इंसानियत का इम्तिहान ले रही है. बाक़ियों के लिए हमारी चिंता, हमारा सम्मान और प्यार ही इसे हरा पाएगा.

अगले कुछ महीने हमारे समाज की मज़बूती का इम्तिहान लेंगे. यह इम्तिहान इतना कड़ा होगा कि अभी तक हमारे जीवनकाल में ऐसा कभी नहीं हुआ. हम सभी की ज़िम्मेदारी युद्ध के समय में आने वाली ज़िम्मेदारियों से भी बढ़कर है.

अब हमारा आचरण कैसा रहेगा, इसी के आधार पर आने वाली पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन करेंगी.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Coronavirus: Your 'rude' behavior can save millions of lives
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X