Coronavirus: यूरोप के देश स्वीडन में 110 की मौत, सरकार का कहना अभी स्कूल, रेस्टोरेंट, बार को बंद करने का सही समय नहीं
स्टॉकहोम। पूरा यूरोप कोरोना वायरस के कहर को झेल रहा है। फ्रांस, स्पेन और इटली का सबसे बुरा हाल है। इटली में आंकड़ा 10,000 के पार हो गया है तो स्पेन में भी करीब छह हजार लोग मारे जा चुके हैं। कोविड-19 के खतरे से लोगों को बचाने के लिए पूरे यूरोप में लॉकडाउन है। मगर यहां एक देश ऐसा भी है जहां पर जिंदगी बिल्कुल सामान्य है। स्वीडन में 92 लोगों की मौत के बाद भी न तो कोई लॉकडाउन है और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का नियम फॉलो कर रहे हैं।
किसी पर कोई पाबंदी नहीं
दुनिया के सबसे शांत देशों में शुमार स्वीडन में कोई भी क्वारंटाइन नहीं और न ही किसी पर कोई पाबंदी लगाई गई है। अब लोगों सवाल उठा रहे हैं कि क्या स्वीडन का रवैया ठीक है और कहीं उसे अपनी इस लापरवाही का खामियाजा तो नहीं भुगतना पड़ सकता है। यूरोप के हर देश में लॉकडाउन के कड़े नियम लागू है। किसी को भी घरों से बाहर निकलने की मंजूरी नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ स्वीडन में स्कूल, किंडरगार्टन, बार, रेस्टोरेंट्स, स्की रिसॉट्र्स से लेकर स्पोर्ट्स क्लब, सैलून और तमाम ऐसी जगहें खुली हैं जहां पर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होती है।
लक्षण के बाद भी ऑफिस में आने की मंजूरी
स्वीडन से सटे डेनमार्क और नॉर्वे में सबकुछ बंद है। यहां पर यूनिवर्सिटीज बंद थीं। शुक्रवार को सरकार की तरफ से नियम कड़े किए गए और उन कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं जहां पर 50 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की संभावना है। स्वीडन में अथॉरिटीज काफी रिलैक्स मूड में हैं। यहां पर अगर किसी में कोविड-19 के लक्षण नजर भी आते हैं तो भी वह काम या फिर ऑफिस में दो दिन बाद बेहतर महसूस होने पर वापस लौट सकता है।
पीएम ने दी है वॉर्निंग
अगर किसी बच्चे के माता-पिता में कोविड-19 के लक्षण हैं तो भी उनके बच्चों को स्कूल आने की मंजूरी है। यह हालात तब हैं जब स्वीडन में पिछले कुछ दिनों से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो चुका है और 110 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 लोग आईसीयू में हैं। प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन ने वॉर्निंग दी है कि आने वाले कुछ हफ्ते और महीने काफी मुश्किल होने वाले हैं।
अभी पाबंदियों के हालात नहीं
इंपीरियल कॉलेज की तरफ से पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि यूनाइटेड किंगडम में 250,000 लोग मारे जा सकते हैं अगर सरकार ने और कड़े उपाय नहीं किए। स्वीडन के सरकारी एपिडोमियोलॉजिस्ट एंडर्स टेगनेल का मानना है कि स्वीडन में अभी ऐसे हालात नहीं हैं कि पाबंदिया लगाई जाएं। हालांकि पब्लिक हेल्थ एजेंसी में उनकी टीम यूके के हालातों को लेकर काफी चिंतित है।