कोरोना वायरस: टेस्ट को लेकर ट्रंप के दावों की हक़ीकत क्या है- फ़ैक्ट चेक
कोरोना वायरस को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप आए दिन नए- नए दावे कर रहे हैं. एक नया दावा करते हुए उन्होंने कहा है कि अमरीका ने किसी भी अन्य देश के मुक़ाबले कोरोना वायरस के ज़्यादा टेस्ट किए हैं. इस मामले में अमरीका दक्षिण कोरिया से भी आगे निकल गया है. बीबीसी ने इस दावे के साथ-साथ ट्रंप के कोरोना वायरस से जुड़े अन्य हालिया बयानों की हक़ीक़त क्या है
कोरोना वायरस को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप आए दिन नए- नए दावे कर रहे हैं.
एक नया दावा करते हुए उन्होंने कहा है कि अमरीका ने किसी भी अन्य देश के मुक़ाबले कोरोना वायरस के ज़्यादा टेस्ट किए हैं.
इस मामले में अमरीका दक्षिण कोरिया से भी आगे निकल गया है.
बीबीसी ने इस दावे के साथ-साथ ट्रंप के कोरोना वायरस से जुड़े अन्य हालिया बयानों की हक़ीक़त क्या है और इन दावों में कितना दम है ये जानने की कोशिश की.
दावे और सच्चाई
पहला दावा- बुधवार को ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, ''मुझे पता चला है कि अमरीका कोरोना का सबसे ज़्यादा टेस्ट करने वाला देश बन गया है. पिछले आठ दिनों में हमने उतने टेस्ट किए हैं जितने दक्षिण कोरिया ने आठ हफ्तों में किए हैं.''
Just reported that the United States has done far more “testing” than any other nation, by far! In fact, over an eight day span, the United States now does more testing than what South Korea (which has been a very successful tester) does over an eight week span. Great job!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) March 25, 2020
पड़ताल- हालिया आंकड़ों के मुताबिक़ अमरीका में 3,59,161 लोगों का टेस्ट किया गया है. वहीं कोरिया सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक़ दक्षिण कोरिया में बुधवार तक 357,896 टेस्ट किए गए हैं.
यानी कुल टेस्ट के मामले में अमरीका दक्षिण कोरिया से कम अंतर से आगे है.
लेकिन आबादी के लिहाज़ से अमरीका दक्षिण कोरिया से अब भी काफ़ी पीछे है. अमरीका की कुल आबादी 37 करोड़ है, जबकि दक्षिण कोरिया की कुल आबादी 5.1 करोड़ है.
इस हिसाब से अमरीका ने एक हज़ार लोगों में एक शख़्स की औसत से टेस्ट कराया है. वहीं दक्षिण कोरिया में हर 150 लोगों में से एक का टेस्ट किया गया है.
ऐसे में कोरिया बाक़ी देशों के मुकाबले काफ़ी बेहतर और आगे है.
अमरीका और दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला जनवरी महीने में एक ही दिन सामने आया था.
टेस्टिंग किट की कमी
मार्च में व्हाइट हाउस ने माना कि देश में टेस्टिंग किट की कमी है. साथ ही कई अस्पतालों से भी इस तरह की कमी की ख़बरें सामने आईं. हालांकि ये सही है कि हालिया दिनों में अमरीका में कोरोना टेस्ट की संख्या में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है.
दूसरा दावा: 9 मार्च को ट्रंप ने बयान दिया, ''पिछले साल 37 हज़ार अमरीकी सामान्य फ्लू से मर गए लेकिन कुछ भी बंद नहीं हुआ. ज़िंदगी और अर्थव्यवस्था चलते रहने का नाम...इस बारे में सोचिए.''
पड़ताल: अमरीका के सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के मुताबिक़ पिछली सर्दियों यानी अक्तूबर 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक 26,339 से 52,664 संख्या के बीच लोगों की मौत फ्लू से हुई है. इस रेंज का औसत 34 हज़ार है.
हालांकि कोरोना वायरस जैसा फ्लू किसी भी अन्य फ़्लू से काफ़ी तेज़ी से फैलता है. साथ ही इसके लिए किसी भी वैक्सीन का उपलब्ध ना होगा इसे और भी ख़तरनाक बनाता है.
सामान्य फ़्लू से मृत्युदर 0.1 फ़ीसदी होती है लेकिन कोरोना के लिए ये दर बहुत ज़्यादा है.
कोरोना की दवा का दावा
तीसरा दावा: राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना वायरस की दवा को लेकर दावा किया- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एज़िथ्रोमाइसिन के कॉम्बिनेशन को अमरीका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अप्रूव कर दिया है.
HYDROXYCHLOROQUINE & AZITHROMYCIN, taken together, have a real chance to be one of the biggest game changers in the history of medicine. The FDA has moved mountains - Thank You! Hopefully they will BOTH (H works better with A, International Journal of Antimicrobial Agents).....
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) March 21, 2020
पड़ताल: ट्रंप के इस बयान के बाद 21 मार्च को ही अमरीका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की.
इस रिपोर्ट में सीडीसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए एफ़डीए ने कोई दवा अब तक अप्रूव नहीं की है.
रिपोर्ट में ये भी साफ़ लिखा है कि क्लोरोक्विन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवाओं के कुछ नकरात्मक असर भी हैं. इनके इस्तेमाल के साथ कुछ मरीज़ों को खास सलाह दी जानी चाहिए. इनके इस्तेमाल से किडनी फ़ेल होने औऱ दिल से जुड़ी परेशानियों की संभावना रहती है.
हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका सहित कई देशों में कोविड-19 के मरीज़ों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत में भी आईसीएमआर ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को तय शर्तों के साथ इस्तेमाल करने की बात कही है.
सीडीसी का कहना है कि अमरीका में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के कुछ क्लीनिकल टेस्ट की योजनाएं तैयार हैं और जल्द ही ये प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
तीनों ही दावों में ट्रंप ने या तो आधी जानकारी दी है या तो ग़लत दावे पेश किए हैं.