कोरोना वैक्सीन: दुनिया में कितनों का हुआ टीकाकरण, क्या हैं चुनौतियाँ
दुनिया के कई हिस्सों में अब भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच वैक्सीन को लेकर कई देश बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. क्या है स्थिति.
पूरी दुनिया में कोविड-19 के संक्रमण के 11 करोड़ दस लाख से ज्यादा मामले अब तब सामने आ चुके हैं और क़रीब 200 देशों में 24 लाख लोग मारे जा चुके हैं.
अमेरिका, भारत और ब्राज़ील में संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं. इसके बाद चौथे नंबर पर ब्रिटेन और पाँचवे नंबर पर रूस है. इसके बाद कई यूरोपीय देशों का नंबर आता है.
पूरी दुनिया में कुछ ही जगहें ऐसी हैं, जो बची रह गई हैं.
आधिकारिक रूप से संक्रमण का पहला मामला सामने आने के क़रीब एक साल के बाद इस साल जनवरी के आख़िर में संक्रमण का आँकड़ा 10 करोड़ को छू गया.
इस दौरान मरने वालों की संख्या में भी इजाफा होता रहा. लेकिन इसे लेकर जो आधिकारिक आँकड़े मौजूद हैं, वो कई देशों में संभवत: वास्तविक संख्या को नहीं दर्शाते हैं.
सबसे ज़्यादा वैक्सीन कहाँ दी जा रही है?
कोरोना वायरस के कई वैक्सीनों को इस्तेमाल की इजाज़त मिल चुकी है. ये इजाज़त विश्व स्वास्थ्य संगठन या फिर किसी देश या यूरोपीय यूनियन जैसे समूहों ने दी है.
जिन 90 देशों में वैक्सीन दी जा रही है, उनमें से 57 उच्च आय वाले देश हैं, तो 33 मध्यम आय वाले देश हैं. इनमें से कोई भी निम्न आय वर्ग वाला देश नहीं है.
नीचे दिए गए ग्राफिक्स में प्रति 100 लोगों में कितने लोगों को वैक्सीन लगी है, इसे दिखाया गया है. इनमें से ज़्यादा को वैक्सीन की पहली डोज ही लगी है. इस ग्राफिक्स में इस्तेमाल किए गए आँकड़ें 'आवर वर्ल्ड इन डेटा' से लिए गए हैं. यह डेटाबेस ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एक एजुकेशनल चैरिटी के सहयोग से तैयार किया गया है.
अमेरिका और चीन में अब तक सबसे ज्यादा वैक्सीन के डोज पड़े हैं. अमेरिका में जहाँ 6.3 करोड़, तो वहीं चीन में 4.1 करोड़ वैक्सीन की डोज पड़ चुकी है. जबकि ब्रिटेन में 1.8 करोड़ से ज़्यादा लोगों को अब तक वैक्सीन दी जा चुकी है.
लेकिन अगर आबादी के लिहाज से प्रति 100 लोगों पर पड़ने वाली वैक्सीन की बात करें, तो इसमें से सबसे ज़्यादा वैक्सीनेशन करने वाले 10 देशों में इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन शीर्ष पर हैं.
ज़्यादातर देश 60 से ज्यादा उम्र के लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों और अधिक जोखिम वाले लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता दे रहे हैं.
कुछ देशों ने अपनी आबादी की ज़रूरत से अधिक वैक्सीन की खुराक का बंदोबस्त किया है, जबकि निम्न आय वर्ग के देश कोवैक्स नाम से दुनिया भर चलने वाले कार्यक्रम पर वैक्सीन के लिए निर्भर हैं. इस कार्यक्रम का मक़सद दुनिया में हर किसी तक वैक्सीन पहुँचाना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस ऐडहेनॉम ग्रेब्रीयेसोस ने हाल ही में कहा है कि वैक्सीन हम सब की ज़रूरत है, लेकिन उन्होंने साथ में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी भी दी कि, "यह सुनिश्चित होना चाहिए कि सभी लोगों को वैक्सीन और इलाज मिले, फिर चाहे वो ग़रीब हो या अमीर, शहरी हो या ग्रामीण या फिर नागरिक हो या शरणार्थी."
अभी भी संक्रमण के मामले कहाँ ज्यादा हैं?
जब दुनिया भर में लोग वैक्सीन लगने का इंतज़ार कर रहे हैं, तो वहीं ज़्यादा हिस्सों में संक्रमण के मामले या तो कम हो रहे हैं या फिर उसमें स्थिरता आ रही है.
यहाँ हम क्षेत्र के हिसाब से इस हालात का जायजा ले रहे हैं:
यूरोप
ज़्यादातर यूरोपीय देशों में संक्रमण के मामले नीचे की ओर जा रहे हैं. लेकिन फ़्रांस इसका अपवाद है.
फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन, इटली और स्पेन में हाल के हफ़्तों में कोरोना के मामले अपने उच्चतम स्तर पर देखने को मिले हैं. लॉकडाउन की पाबंदियाँ दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में और सख़्त की गई हैं.
उत्तरी अमेरिका
अमेरिका में क़रीब तीन करोड़ संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं और पाँच लाख लोगों की मौत हो चुकी है. यह दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश है.
जनवरी के शुरुआत में यहाँ रिकॉर्ड स्तर पर संक्रमण के मामले सामने आ रहे थे, लेकिन हाल के कुछ हफ़्तों में इसमें बड़ी गिरावट आई है.
कनाडा में अमेरिका की तुलना में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर काफ़ी कम है. लेकिन वहाँ भी ठंड के दिनों में मामलों में इजाफा देखा गया था, लेकिन अब वहाँ प्रतिदिन के मामलों में गिरावट आई है.
एशिया
एशिया शुरुआती दौर में संक्रमण का केंद्र था. 2020 की शुरुआत में चीन से ही इसकी तेज़ी से शुरुआत हुई थी. लेकिन यहाँ यूरोप और उत्तरी अमेरिका की तुलना में मामले कम थे.
पिछले पतझड़ के मौसम में इस क्षेत्र में मामलों में इजाफा देखा गया था, क्योंकि तब भारत में संक्रमण के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई थी.
भारत में अब तक 1.1 करोड़ संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. अमेरिका के बाद सबसे अधिक संक्रमण के मामले यहीं हैं. लेकिन हाल के महीनों में प्रतिदिन आने वाले संक्रमण के मामलों में गिरावट आई है.
मध्य पूर्व
मध्य पूर्व के कई देशों में पिछले 12 महीनों से कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. मध्य पूर्व में ईरान और इसराइल में कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं.
इसराइल में अब संक्रमण के मामलों में गिरावट आ रही है, लेकिन कई दूसरे देशों में मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. इनमें से एक ईरान भी है.
वैक्सीनेशन प्रोग्राम की वजह से इसराइल को अपने यहाँ मामले कम करने में मदद मिल रही है. यहाँ अब तक 70 लाख वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है.
अफ़्रीका
अफ़्रीका में कोरोना के क़रीब 40 लाख मामले दर्ज किए गए हैं और क़रीब एक लाख से अधिक लोगों की इससे मौत हुई है. लेकिन अफ़्रीका के कई देशों में इस महामारी के असल प्रकोप के बारे में पता ही नहीं चल पाया है, क्योंकि वहाँ टेस्टिंग की दर बहुत कम है.
दक्षिण अफ़्रीका में क़रीब 15 लाख मामले सामने आए हैं. आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक़ यह अफ़्रीका का सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश है.
मोरोक्को, इथियोपिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, अल्जीरिया, नाइजीरिया और कीनिया में भी एक लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आए हैं.
अफ़्रीकी देश आम तौर पर अमीर देशों की तुलना में कोरोना की वैक्सीन पाने में कामयाब नहीं हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक मत्सिदिसो मोइती इसे "गंभीर रूप से अन्यायपूर्ण" बताते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन को उम्मीद है कि अफ़्रीकी देशों को वैश्विक कोवैक्स प्रोग्राम के तहत वैक्सीन की खुराक मिलनी शुरू होगी.
लैटिन अमेरिका
लैटिन अमेरिका में कोरोना वायरस के एक वैरिएंट को लेकर चिंता बना हुई है. ये वैरिएंट ब्राज़ील में तेज़ी से फैल रहा है. देश में एक करोड़ से अधिक संक्रमण के मामले आ चुके हैं और यह पूरी दुनिया में मरने वालों की संख्या के हिसाब से दूसरे नंबर पर है.
यह दूसरे दौर के संक्रमण के बीच में है. अर्जेंटीना, कोलंबिया, मैक्सिको और पेरू में 10 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं.
ओशिनिया
ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को कोरोनो को लेकर उनकी कोशिशों की वजह से तारीफ़ मिली है. इन दोनों ही देशों में तुलानात्मक रूप से कम मौतें हुई हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने सोमवार को अपना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया है. पहले सप्ताह में 60,000 वैक्सीन डोज देने का टारगेट है.
कोरोना वायरस का संक्रमण कैसे फैला?
कोविड -19 का सबसे पहला मामला चीन के वुहान शहर में साल 2019 के आख़िर में आया था, लेकिन साल 2020 के शुरुआती महीनों में दुनिया भर में संक्रमण के मामले तेज़ी से फैले.
11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक वैश्विक महामारी घोषित किया.
महामारी की घोषणा तब की जाती है, जब कोई संक्रमण वाली बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में एक ही वक़्त पर दुनिया के कई हिस्सों में फैल रही हो.
इन आँकड़ों के बारे में
इस रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए आँकड़े कई स्रोतों से लिए गए हैं. इसमें जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूरोपीय सेंटर फ़ॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल, राष्ट्रीय सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या से संबंधी आँकड़ों को शामिल किया गया है.
जब हम अलग-अलग देशों के आँकड़ों की तुलना करते हैं, तब ये बात दिमाग़ में रखे जाने की ज़रूरत है कि सभी सरकारें एक ही तरीक़े से कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों के आँकड़ों को नहीं रिकॉर्ड कर रही हैं. इससे अलग-अलग देशों के आँकड़ों की तुलना एक पैमाने पर करने में मुश्किल आती है.
जो दूसरे कारक हैं, जिन्हें इस तुलना में शामिल किया जाना चाहिए, वो हैं सभी देशों की जनसंख्या का आकार, उस देश में मौजूद बुजुर्गों की संख्या या फिर किसी ख़ास देश में सघन आबादी वाले क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या. इसके अलावा अलग-अलग देशों में महामारी अलग-अलग चरणों में भी हो सकती है.