कोरोनाः मिनटों में आ जाएगा टेस्ट का नतीजा - WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक नए टेस्ट को मील का पत्थर बताया है. क्या है ये नया टेस्ट?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोविड19 की पहचान करनेवाले एक नए टेस्ट से ग़रीब और साधारण आय वाले देशों में संक्रमण का पता लगाने की क्षमता बहुत तेज़ी से बढ़ सकती है.
संगठन ने ये बात ऐसे समय कही है जब दुनिया भर में कोरोना वायरस से मारे गए लोगों की संख्या दस लाख को पार कर चुकी है.
अमरीका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक़ इनमें से आधे से ज़्यादा मौतें केवल अमरीका, ब्राज़ील, भारत और मेक्सिको में हुई हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने इसे 'दिमाग़ को सुन्न' करने वाला बताया है.
इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक नए टेस्ट की बात की है. उसका कहना है कि इस टेस्ट का ख़र्च केवल पांच डॉलर या लगभग साढ़े तीन सौ रूपए है और इससे ऐसे देशों को फ़ायदा हो सकता है जहां स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है और प्रयोगशालाएं भी कम हैं.
संगठन के अनुसार इस टेस्ट को विकसित करने वाली कंपनी के साथ जो करार हुआ है उसके मुताबिक़, कंपनी छह महीने के भीतर 12 करोड़ टेस्ट करवा पाएगी.
'मील का पत्थर'
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस टेस्ट को 'मील का पत्थर' बताया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेडरोस का कहना है कि यह 'नया', आसानी से ले आ-ले जा सकने वाला और इस्तेमाल में आसान टेस्ट घंटों के बजाय कुछ मिनटों में ही नतीजा दे देता है. यह नतीजा देने में सिर्फ़ 15 से 20 मिनट का वक़्त लेता है.
दवाई निर्माता कंपनी ऐबोट एंड एसडी बायोसेनर ने बिल और मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर 12 करोड़ टेस्ट्स तैयार करने पर सहमति दी है.
इस समझौते का फ़ायदा दुनिया के 133 देशों को होगा जिसमें लैटिन अमरीका के भी कई देश शामिल हैं जो फ़िलहाल इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हैं.
पत्रकारों से बातचीत में डॉ टेडरोस ने कहा, "परीक्षण के लिहाज़ से और ख़ासतौर पर उन इलाक़ों में जो बुरी तरह प्रभावित हैं, यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी."
उन्होंने कहा, "इस टेस्ट से ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में लोगों की जांच हो सकेगी. यह उन इलाक़ों और देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा जहां परीक्षण करने के लिए प्रयोगशालाओं समेत प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है."
और क्या-क्या हुआ है?
- नीदरलैंड्स में कोरोना संक्रमण को देखते हुए नए प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं. इनके अनुसार, किसी घर में, एक बार में तीन से ज़्यादा मेहमानों के लिए अनुमति नहीं होगी. बार और रेस्त्रां रात में दस बजे तक ही खुले रहेंगे और जिन लोगों को संक्रमण का सबसे अधिक ख़तरा है उनके लिए ख़रीदारी का समय तय किया जाएगा.
- कई यूरोपीय देशों में भी नए नियमों को लागू किया गया है. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में रहने वाले क़रीब दस लोग सिर्फ़ स्कूल और काम के लिए ही अपने इलाक़े से दूसरे इलाक़े जा सकेंगे. पब्लिक पार्क बंद रहेंगे. फ्रांस के 12 इलाक़ों में (जिनमें पेरिस भी शामिल है) बार रात दस बजे से लेकर सुबह छह बजे तक बंद रहेंगे. वहीं ब्रसेल्स में कैफ़े और बार को रात 11 बजे तक ही खोलने की अनुमति है.
- ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में होटल क्वारंटीन सिस्टम के कारण 768 लोगों की संक्रमण से मौत हो गई और क़रीब 18,418 लोग संक्रमित हो गए. यह बात एक जांच में सामने आई है.
- भारत में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़कर 60 लाख के पार पहुंच गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति अभी और भयावह हो सकती है क्योंकि आने वाले महीनों में कई त्योहार हैं.
- कीनिया में मंगलवार से पब खोलने की अनुमति दे दी गई है. लेकिन कीनिया के राष्ट्रपति ओहुरु केन्याता ने रात्रि-कर्फ़्यू को और 60 दिनों के लिए बढ़ा दिया है. साथ ही अभी यहां स्कूल भी बंद ही रहेंगे.
- चीन की राजधानी बीजिंग में मेडिकल व्हिसिलब्लोवर्स (मेडिकल से जुड़ी किसी जानकारी को सबसे पहले देने वाले या चेतावनी जारी करने वाले) की सुरक्षा के लिए रविवार को एक नया क़ानून पारित किया गया. यह क़ानून वुहान के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ ली वेनलियांग के मामले को ध्यान में रखकर बनाया गया है. कोरोना वायरस की शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान शहर से ही हुई थी.
- अमरीका में कोरोना वायरस संक्रमण एक बार फिर भयानक रूप ले सकता है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अध्ययने के आधार पर ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सर्दियों में कोरोना वायरस का प्रकोप एक बार फिर गंभीर रूप ले सकता है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सर्दियों में अमरीका के 21 राज्य एकबार फिर संक्रमण के बुरे दौर से गुज़र सकते हैं. अमरीका दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश है. अमरीका में 70 लाख से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले हैं और अब तक दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
- सऊदी अरब ने घोषणा की है कि नवंबर में होने वाला G20 सम्मेलन वर्चुअली ही आयोजित किया जाएगा. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण यह फ़ैसला लिया गया है.