COVID-19:डॉक्टर या हेल्थ वर्कर नहीं, यहां ऐसे जॉब वालों को है ज्यादा खतरा
नई दिल्ली- इंग्लैंड और वेल्स में कोरोना वायरस से जितने लोगों की मौत हुई है, उनके आंकड़ों के विश्लेषण से जो बात सामने आई है, उससे पता चला है कि इस जानलेवा बीमारी ने किस जॉब में लगे लोगों का अपना शिकार ज्यादा बनाया है। ये बात सब जानते हैं कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है और उन्हें हम फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर का नाम देते हैं। लेकिन, इंग्लैंड के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स के आंकड़ों ने दूसरी ही तस्वीर पेश की है। वहां जिन लोगों की कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौत हुई है, उनमें सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर और दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा है।
कम कुशल पेशे में लगे लोग ज्यादा हो रहे शिकार
इंग्लैंड के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स ने सोमवार को जो आंकड़े जारी किए हैं, उसमें ये बात सामने आई है कि कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे ज्यादा उन लोगों की जान गई है, जो सबसे कम कुशल पेशे में अपना योगदान दे रहे हैं। वहां के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगर 1,00,000 पुरुषों की इस बीमारी के चलते मौत का आंकलन करें तो उनमें 225 लोग इसी तरह के रोजगार में लगे पाए जाएंगे। कुल मिलाकर इस बीमारी से लड़ रहे वॉरियर्स में डॉक्टरों, नर्सों या किसी दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के मुकाबले उन लोगों की मौत ज्यादा हो रही है, जो बाकी सहयोगी कामों में दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस विश्लेषण में 20 अप्रैल तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। एक बात और है कि महिलाओं के मुकाबले ऐसे लोगों में मरने वालों की संख्या पुरुषों की ज्यादा है। मसलन, 1,00,000 पुरुषों में अगर 23.4 की मौत होती है तो यह आंकड़ा महिलाओं में सिर्फ 9.6 होता है।
मरने वालों में सिक्योरिटी गार्ड की संख्या ज्यादा
इस विश्लेषण में पुरुषों को लेकर जो छानबीन की गई है, उसमें ये बात सामने आई है कि इंग्लैंड में सबसे ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड्स का काम कर रहे लोगों की मौत हो रही है। अब तक वहां जितने लोगों की मौत हुई है, उसमें सबसे ज्यादा 63 पेशे से सिक्योरिटी गार्ड थे। ये संख्या प्रति 1,00,000 मौत के आधार पर 45.7 होती है। इसके बाद क्रमश: टैक्सी ड्राइवर और ड्राइवर (36.4/1,00,000), बस और कोच ड्राइवर (26.4/1,00,000), शेफ या रसोइये (25.9/1,00,000) और फिर सेल्स और रिटेल (19.8/1,00,000) के काम में जुटे कर्मचारियों का है। यानि वहां फ्रंटलाइन में रहते हुए भी डॉक्टरों या हेल्थ केयर वर्करों की मौत इन छोटे-मोटे जॉब में लगे लोगों की तुलना में ज्यादा नहीं हो रही है। इसकी वजह मोटे तौर पर यह भी हो सकती है कि वह पूरी तरह से सुरक्षा के उपायों के साथ कोरोना का सामना कर रहे होते हैं। जबकि, बाकी पेशे के लोग शायद धोखे से इसके चपेट में ज्यााद आ जाते हैं। ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स ने महिलाओं की जॉब को लेकर अलग से कोई विस्तृत विश्लेषण नहीं किया है।
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मौत के आंकड़े बढ़ने पर बदल सकता है विश्लेषण
हालांकि, ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स ने कहा है कि उसके नतीजों से दावे के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि मौतों की वजहों में लोगों के पेशों का ही बड़ा रोल है। क्योंकि, इसमें मरने वालों की मौत का उनके जातीय समूहों और रहने के स्थानों के साथ वर्गीकरण नहीं किया गया है। इसलिए अगर मौत के आंकड़े बढ़ेंगे तो उसका विश्लेषण बदल भी सकता है। बता दें कि रविवार तक यूनाइटेड किंगडम के अस्पतालों में 31,855 लोगों की मौत कोविड-19 बीमारी के चलते हो चुकी है। वैसे रिपोर्ट में यह भी गया है कि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की कमी वहां शुरू से एक समस्या रही है और जो कोरोना योद्धा दिन-रात घर से लेकर बाहर तक सहयोगी सेवाओं में लगे हुएं हैं, उन्हें इसके लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और हो सकता है कि ओएफएनएस का जो विश्लेषण आया है, उसकी एक वजह ये भी हो सकती है।
मरने वालों में 65 साल से ऊपर के लोग ज्यादा
ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स ने 24 अप्रैल तक की मौत के आंकड़ों का एक अलग विश्लेषण भी किया है, जिसमें ये बात सामने आई है कि वहां 27,356 मौतों में से 24,009 लोगों की उम्र 65 साल या उससे ज्यादा थी। इसमें 43 फीसदी लोग (10,410) की उम्र तो 85 वर्ष से भी अधिक थी।
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