कोरोना वायरस में आए म्यूटेशन ने बढ़ाई चिंता, वैक्सीन का असर कर सकता है कम
वैज्ञानिकों के अनुसार ये म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में है और इसका शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और संभवत: वैक्सीन के असर पर पड़ सकता है.
जापान के सरकारी टेलीविज़न चैलन एनएचके ने कहा है कि बीते महीने जापान के टोक्यो अस्पताल में कोरोना वायरस के लिए जिन लोगों का टेस्ट हुआ है उनमें से 70 फीसदी लोगों में जो कोरोना वायरस का वेरिएंट पाया गया है उसमें एक नया म्यूटेशन देखा गया है.
रिपोर्ट के अनुसार ये म्यूटेशन वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को कम कर सकता है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार E484K नाम के इस म्यूटेशन को कई वैज्ञानिक "ईक" कह रहे हैं.
मार्च में टोक्यो मेडिकल एंड डेन्टल युनिवर्सिटी मेडिकल अस्पताल के जिन लोगों का कोरोना टेस्ट हुआ है उनमें से प्रत्येक 14 में से 10 में वायरस का "ईक" म्यूटेशन पाया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों में ये म्यूटेशन देखा गया है उनमें से किसी से कोई विदेश यात्रा नहीं की है या इस म्यूटेशन वाले वेरिएंट से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए थे.
जापान में जुलाई में ओलंपिक शुरू होने वाले है जिससे पहले जापान कोरोना वायरस की एक और लहर का सामना कर रहा है. ऐसे में वायरस में आए इस नए म्यूटेशन को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यहां रविवार को संक्रमण के 2702 नए मामले दर्ज किए गए थे. जापान में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 4.82 लाख मामले दर्ज किए गए हैं. यहां कोरोना वायरस अब तक 9,221 लोगों की जान ले चुका है.
E484K म्यूटेशन क्या है?
मेडिकल जर्नल बीएमजे के अनुसार E484K म्यूटेशन की पहचान पहले दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वायरस वेरिएंट में की गई थी. यहां B1353 कोरोना वायरस वेरिएंट के अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन हाल में वायरस का एक और B117 वेरिएंट भी देखा गया है.
ब्राज़ील के नए कोरोना वायरस वेरिएंट में भी ये म्यूटेशन देखा गया है. हाल के दिनों में ये म्यूटेशन ब्रिटेन के कोरोना वायरस B117 वेरिएंट में भी पाया गया है.
पत्रिका के अनुसार ये म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में है और इसका शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और संभवत: वैक्सीन के असर पर पड़ सकता है.
कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि B117 वेरिएंट में आया ये म्यूटेशन वायरस के वैक्सीन से "बच कर निकलने में" यानी वैक्सीन लगने के बाद भी इसके असर से बचने में हो सकता है. मतलब है कि ये म्यूटेशन वैक्सीन लगने के बाद भी फिर से व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर रवि गुप्ता के अनुसार "वैक्सीनेशन के बाद शरीर में वायरस को ख़त्म करने के लिए जो एंटीबॉडी बनती हैं, ये म्यूटेशन, B117 वेरिएंट पर इन एंटीबॉडी का असर थोड़ा कम हो सकता है. हालांकि इसका असर बहुत अधिक होगा ये कहा नहीं जा सकता इसलिए लोगों को वैक्सीन दी जानी ज़रूरी है."
"जैसा कि दूसरे वेरिएंट में देखा गया है B117 वेरिएंट में और म्यूटेशन होते जाएंगे ऐसे में हमें नेक्स्ट जेनेरेशन वैक्सीन के बारे में सोचना चाहिए जो इन नए वेरिएंट से निपटने में कारगर साबित हो."
सीडीसी के अनुसार जनवरी 2021 मे ब्रिटेन में विशेषज्ञों ने पाया कि अन्य वेरिएंट की तुलना में B117 वेरिएंट के मौत का जोखिम अधिक हो सकता है. हालांकि सीडीसी का कहना था कि इसकी पुष्टि के लिए अभी और शोध की ज़रूरत है.