कोरोना का खौफ: अब चीन के दूसरे शहर में लगा कुत्ते-बिल्ली के मांस पर प्रतिबंध
नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस के दोबारा फैलने से हड़कंप है। पिछली बार वुहान के सीफूड मार्केट से ही कोरोना फैला था। इसलिए चीनी सरकार अब कुत्ते बिल्ली के मांस को लेकर पहले से सचेत है। झुहाई चीन का दूसरा ऐसा शहर है जहां कुत्ते-बिल्ली के मांस बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके पहले शेन्झेंग शहर में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया गया था। चीन के लोग ऐसे-ऐसे जीव जंतुओं के मांस खाते हैं जिसके बारे में आम भारतीय लोग सोच भी नहीं सकते। कोरोना की महामारी चीन के इसी विस्मयकारी मांसाहार के कारण फैली है। वुहान का सीफूड मार्केट 16 हजार वर्गमीटर में फैला है जहां 300 से अधिक दुकाने हैं। इन दुकानों में 112 जीव जंतुओं और समुद्री जीवों का मांस मिलता है। इनमें कुत्ता, बिल्ली, सांप, चमगादड़, गीदड़, भेड़िया गधा, बिज्जू (बिल में रहने वाला जीव जो जमीन में गड़ा मुर्दा खाता है), कांटेदार चूहा, ऑक्टोपस, मगरमच्छ के मांस भी शामिल हैं। जब दिसम्बर में यहां कोरोना फैला था तब माना गया था कि चमगादड़ और सांप का मांस वायरस का जरिया बने थे। इसलिए अब चीन ने कुत्ते-बिल्ली के मांस पर प्रतिबंध लगाया है। चीन के कृषि विभाग ने हाल ही इस बात की घोषणा की है कि अब कुत्ता को पशुधन की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।
काफी समय से होता रहा है डॉग मीट फेस्टिवल का आयोजन
चीन के जिस झुहाई शहर में प्रतिबंध लगा है वह गुआंगडोंग प्रांत का हिस्सा है। गुआंगशी राज्य के एक शहर यूलिन में तो डॉग मीट फेस्टिवल का आयोजन होता रहा है। इस तरह का उत्सव करने वाला चीन दुनिया का अकेला देश है। यूलिन समुद्र तट पर अवस्थित है। यहां गर्मियों में एक उत्सव शुरू होता है जिसमें लोग कुत्ते बिल्ली को मार कर खाना शुरू कर देते हैं। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है। यूलिन शहर में इसी दिन लोग डॉग मीट फेस्टिवल मनाते हैं। उस समय दुकानों में भी कुत्ते का मांस खूब बिकता है। 2010 में इस उत्सव के समय दस दिन में ही 15 हजार कुत्ते मार दिये गये थे। तब एनिमल राइट्स से जुड़े संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इस विरोध के कारण कुत्तों को मारने की संख्या तीन हजार पर आ गयी। कई बार पालतू कुत्तों को भी चुरा कर मार दिया जाता है। हैरानी की बात ये हैं कि यूलिन के लोग लीची के साथ कुत्ते के मांस को बड़े चाव से खाते हैं। यहां के लोगों की मान्यता है कि कुत्ते का मांस, लीची और शराब के सेवन से वे सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे। कोरोना के फैलने से पहले चीन में कुत्ता को पशुधन माना जाता था। कोरोना फैलने से पहले यहां के लोग आमदनी बढ़ाने के लिए कुत्ता पालते थे। चिकेन और मटन की तरह कुत्ते का मांस चीन में बहुत लोकप्रिय है।
एनिमल राइट्स संगठन खुश
चीन में कुत्ते-बिल्ली के मांस पर प्रतिबंध (झुहाई और शेन्झेंग) को एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। जीव-जंतुओं की रक्षा से जुड़े संगठन चीन में पशुओं की हत्या के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं। लेकिन चीन की सरकार ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। यहां जीवों को गाजर-मूली की तरह काट खाते हैं लोग। लेकिन अब जब कोरोना ने सबक सिखाया है तो उनकी जिभ पर लगाम लगा है। चीन में मांसाहार की पसंद और बढ़ती प्रवृत्ति से दुनिया को हैरानी होती रही है। चमगादड़ और सांप का मांस भी पसंदीदा भोजन हो सकता है, यह जान कर हैरानी होती है। चीनी लोगों की यह पसंद दुनिया के लिए विनाशकारी बन गयी। जीवरक्षा संगठनों ने चीन सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है क्यों कि यह न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि जानवरों के भी लाभकारी है।
इतना मांस खाओगे तो भुगतेगा कौन ?
ह्यूमेन सोसाइटी इंटेरनेशनल संस्था के मुताबिक हर साल करीब तीन करोड़ कुत्ते मांस के लिए मार दिये जाते हैं। इस संस्था के डॉक्टर पीटर ली के मुताबिक हर साल चीन में एक करोड़ कुत्तों और 40 हजार बिल्लियों को मांस खाने के लिए मार दिया जाता है। चीन में मांस की बढ़ती खपत से सरकार भी चिंतित रही है। 2016 में चीन सरकार ने ग्लोबल वार्मिंग की बढ़ती चुनौतियों को देख कर तय किया था कि अब हर नागरिक को एक दिन में 40 से 75 ग्राम ही मांस खाना है। तब चीन ने कुल मांस खपत को आधा करने का लक्ष्य रखा था। इसके प्रचार प्रसार के लिए हॉलीवुड स्टार आर्नोल्ड श्वाजनेगर और प्रसिद्ध निर्देशक जेम्स कैमरन की सेवाएं ली गयीं थीं। लेकिन इन कोशिशों का कुछ खास असर नहीं हुआ। तीन साल बाद ही चीन ने इसका खामियाजा भुगत लिया।
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