कोरोना वायरस: मानव शरीर इस संक्रमण से कैसे लड़ रहा है?
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस बात की पहचान कर ली है कि मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस का मुक़ाबला कैसे करती है. यह शोध नेचर मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया है कि चीन समेत कई देशों में लोगों के कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने की ख़बरें आने लगी हैं.
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस बात की पहचान कर ली है कि मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस का मुक़ाबला कैसे करती है. यह शोध नेचर मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
इस शोध में कहा गया है कि चीन समेत कई देशों में लोगों के कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने की ख़बरें आने लगी हैं. ऐसे में सोधकर्ताओं ने यह पता करने का प्रयास किया गया कि आख़िर मानव शरीर का सुरक्षा तंत्र इस वायरस से कैसे लड़ता है और कैसे उसे हराता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध का मकसद उन कोशिकाओं के काम के बारे में पता लगाना था जो इस वायरस को टक्कर दे रही हैं. उनका मानना है कि इससे इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी.
चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण 159 से अधिक देशों तक पहुंच चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायरस से संक्रमित 1,84,976 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है जबकि 7,500 मौतें भी दर्ज की गई हैं.
इस शोध में शामिल प्रोफ़ेसर कैथरीन केडज़िएर्स्का के मुताबिक़, यह एक बेहद महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि हमें पहली बार शोध से यह पता चल पा रहा है कि हमारा शरीर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कोरोना वायरस से कैसे लड़ता है.
मेलबर्न के पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी के शोधकर्ताओं के इस काम की दूसरे कई शोधकर्ताओं ने भी तारीफ़ की है. एक शोधकर्ता ने इसे एक बड़ी सफलता बताया है.
- कोरोना वायरस का बढ़ता ख़तरा, कैसे करें बचाव
- कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना क्यों ज़रूरी है?
- कोरोना: मास्क और सेनेटाइज़र अचानक कहां चले गए?
- अंडे, चिकन खाने से फैलेगा कोरोना वायरस?
- कोरोना वायरस: बच्चों को कोविड-19 के बारे में कैसे बताएं?
- कोरोना वायरस: संक्रमण के बाद बचने की कितनी संभावना है
- कोरोना वायरस का कहर बरपा तो संभल पाएगा भारत?
शोध में क्या मिला?
एक ओर जहां कोरोनावायरस के संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं वहीं बहुत से लोगों ने इसके संक्रमण से मुक्ति भी पाई है.
शोधकर्ताओं का कहना है संक्रमण हुए कई लोगों को क्वारेंटीन किया गया था लेकिन अब वो स्वस्थ होकर अपने घर लौटे हैं. ये अपने आप में बताता है कि मानव शरीर का रोग रक्षा प्रणाली को इससे लड़ना आता है.
वो मानते हैं कि अभी तक इस पर विशेष तौर पर ध्यान नहीं दिया गया था.
अपने शोध के बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहला मौक़ा है जब रिसर्च के माध्यम से चार प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की पहचान की गई है, जो कोविड 19 से लड़ने में सक्षम पायी गईं.
इन कोशिकाओं का पता एक संक्रमित महिला की जांच से किया गया. उन्हें मामूली-मध्यम संक्रमण था और उसे इसके अलावा दूसरी कोई भी बीमारी नहीं थी.
चीन के वुहान शहर की एक महिला को संक्रमण के बाद ऑस्ट्रेलिया के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. भर्ती कराये जाने के 14 दिनों के भीतर वो पूरी तरह स्वस्थ हो गईं.
प्रोफ़ेसर केडज़िएर्स्का ने बीबीसी को बताया कि उनकी टीम ने इस महिला की विस्तृत जांच की. उनकी जांच के केंद्र में इस महिला का इम्यून सिस्टम था. टीम ने अपनी जांच में यह पता लगाने की कोशिश की कि इस महिला का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस के संक्रमण पर किस तरह की प्रतिक्रिया करता है.
वो बताती हैं "तीन दिन पूर्व जब महिला की स्थिति में सुधार आने लगा तो उसके खून के बहाव में कुछ विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं को देखा गया. ये कुछ उसी तरह की वही कोशिकाएं थीं जो इंफ़्लूएंज़ा के मरीज़ों में ठीक होने से पहले दिखाई देती हैं."
यह कैसे मददगार है?
स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नॉलजी में हेल्थ साइसेंस के डीन प्रोफ़ेसर ब्रूस थॉम्पसन के मुताबिक़, ये शोध वायरस को पहचानने में मदद कर सकता है.
प्रोफ़ेसर ब्रूस के मुताबिक़, जब आपको यह पता होता है कि विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं कब होंगी तो आपको ये पता लगाने में आसानी होती है कि आप इस वायरस और उसका काम करने के तरीके की पहचान करने के कितने क़रीब हैं.
ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट का कहना है कि इस खोज से कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने की दिशा में तेज़ी आएगी और जल्द से जल्द लोगों को इलाज मुहैया हो पाएगा.
प्रोफ़ेसर केडज़िएर्स्का का कहना है कि उनकी टीम का अगला क़दम यह पता करना होगा कि जिन मामलों में संक्रमण काफी अधिक था उस समय प्रतिरक्षा प्रक्रिया क्यों कमज़ोर हो गई या क्यों नाकामयाब रही.
उन्होंने कहा कि अब यह समझना ज़रूरी है कि जिन लोगों की मौत हुई उनके शरीर में किस चीज़ की कमी थी या क्या कमी थी या फिर क्या सिर्फ़ उन्हीं लोगों की मौत हुई जिन्हें कोई घातक बीमारी थी? अगर ये बातें स्पष्ट हो जाएगी तो यह समझना भी आसान हो जाएगा कि लोगों को सुरक्षित कैसे बचाया जाए.
इस शोध के बाद से इस सेंटर (पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी) को सरकार की ओर से तो अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी ही गई है साथ ही दुनिया के सबसे धनी लोगों में शुमार जैक मा ने भी सेंटर को अनुदान दिया है.