यूरोप पहुंचने से पहले ही नॉर्वे में दस्तक दे चुका था कोरोना, रिपोर्ट में सामने आए चौकाने वाले खुलासे
ओस्लो, 27 जनवरी। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ पिछले 2 वर्ष से अधिक समय से दुनिया जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। कोविड-19 का पता सबसे पहले साल 2019 के अंत में चीन में चला था, इसके बाद धीरे-धीरे महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चल रही जांच में चौकाने वाली बात सामने आई है। रिसर्च में संकेत मिले हैं कि यूरोप में संक्रमण के पहले मामले का पता चलने से पहले ही नॉर्वे में कोविड-19 ने दस्तक दे दी थी।

अकर्सस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (आहुस) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल ही में यूरोप में पहले मामले का पता चलने से एक महीने पहले नॉर्वे में दिसंबर 2019 में कोविड -19 के खिलाफ एंटीबॉडी पाई थी। शोधकर्ताओं ने खोज को 'बहुत आश्चर्यजनक' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह नई खोज दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के इतिहास को बदल सकती है। 31 दिसंबर, 2019 को चीन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने हुबेई प्रांत के वुहान में निमोनिया के मामलों के एक ग्रुप की सूचना दी और अंत में इसे कोरोना वायरस के रूप में पहचाना गया।
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इसके बाद, यूरोप में पहला कोविड-19 मामला 27 जनवरी, 2020 को पता चला। जबकि वायरस उसी वर्ष 24 फरवरी तक नॉर्वे में नहीं फैला था। हालांकि शोधकर्ताओं द्वारा की गई खोज उसी अवधि के संबंधित है जब चीन में पहला कोविड केस पाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं की टीम ने कई लोगों से इकट्ठा किए गए खून के नमूनों में कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी की खोज की। फिर पहली तिमाही में गर्भवती महिलाओं से नमूने लिए गए। टीम के मुताबिक लिए गए 6,520 नमूनों में से 98 में एंटीबॉडी का पता चला है। इससे संकेत मिलते हैं कि विदेशी लोग इससे पहले ही संक्रमित हो चुके थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि हाल के निष्कर्ष बताते हैं कि संक्रमण दुनिया के बड़े हिस्से में जितना हमने सोचा था, उससे पहले ही फैल चुका था।