कोरोना वायरस जिनके लिए यूं है वरदान
कोरोना वायरस से अब तक 300 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, दुनिया भर के देशों में इस वायरस से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वायरस चीनी शहर वुहान के समुद्री जीवों को बेचने वाले बाज़ार से निकला है. ये बाज़ार जंगली जीवों जैसे सांप, रैकून और साही के अवैध व्यापार के लिए चर्चित था.
कोरोना वायरस से अब तक 300 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
वहीं, दुनिया भर के देशों में इस वायरस से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वायरस चीनी शहर वुहान के समुद्री जीवों को बेचने वाले बाज़ार से निकला है.
ये बाज़ार जंगली जीवों जैसे सांप, रैकून और साही के अवैध व्यापार के लिए चर्चित था.
इन जानवरों को पिंजड़े में रखा जाता था और इनका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों और दवाइयों के रूप में किया जाता था.
लेकिन ख़ूबे प्रांत पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से इस बाज़ार पर भी प्रतिबंध लग गया है.
चीन दुनिया में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जहां ये व्यापार वैध और अवैध ढंग से चलाया जाता है.
चीन ने लगाया प्रतिबंध
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं.
ये भी कहा जा रहा है कि ये वायरस इंसानों में आने से पहले किसी अन्य जानवर में गया होगा, जिसकी पहचान अब तक नहीं की जा सकी है.
चीन में कुछ जानवरों को उनके स्वाद की वजह से खाया जाता है. वहीं, कुछ जानवरों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं में किया जाता है.
चीन के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे रेस्त्रां हैं जहां पर बैट सूप यानी चमगादड़ का सूप परोसा जाता है. इन सूप के कटोरों में आपको एक साबुत चमगादड़ मिलता है.
कई सूपों में बाघ के अंडकोष और पाम सिवेट के शरीर के अंग शामिल होते हैं.
भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश महंगे रेस्त्राओं में पाई जा सकती है.
जानवरों को बेचने वाले कुछ बाज़ारों में चूहे, बिल्लियां, सांप समेत कुछ दुर्लभ चिड़ियों की प्रजातियां भी बेची जाती हैं.
चीन में जानवरों के व्यापार पर जांच करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था से जुड़े एक इंवेस्टिगेटर बताते हैं, "चीन में 'येवै' का विचार (चीनी भाषा में इस शब्द का अनुवाद जंगली टेस्ट होता है) घर-घर में बोला जाने वाला टर्म है जो कि चीन में सांस्कृतिक रूप से एडवेंचर, साहस, खोजी प्रकृति और विशेषाधिकार को बताता है."
जानवरों के अंगों से बनी पारंपरिक चीनी दवाओं के इस्तेमाल को लेकर माना जाता है कि जानवरों के अंगों में कई बीमारियां जैसे कि पुरुष नपुंसकता, आर्थराइटिस और गठिया जैसे रोगों को दूर करने की क्षमता होती है.
विलुप्त होने का ख़तरा
चीन में पेंगोलिन जानवर के कवच की मांग ज़्यादा होने की वजह से चीन में ये जानवर लगभग विलुप्त हो चुका है.
अब दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी ये सबसे ज़्यादा शिकार किया जाने वाला जानवर बन चुका है.
चीनी दवाओं में गेंडे के सींग का अत्यधिक इस्तेमाल होता है और इस चलन की वजह से गेंडा भी एक संकटग्रस्त जानवर बन चुका है.
चीन में ये सब तब हो रहा है जबकि लोगों को पता है कि 70 फ़ीसदी नए वायरस जानवरों, विशेषत: जंगली जानवरों से आए हैं.
कोरोना वायरस ने एक बार फिर चीन में जंगली जानवरों के धड़ल्ले से चल रहे व्यापार को सबके सामने ला दिया है. वन्यजीव संरक्षण संस्थाए इसकी लगातार आलोचना करती हैं. क्योंकि इस व्यापार के चलते जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं.
कोरोना वायरस फैलने के बाद चीनी सरकार ने वन्य जीवों के व्यापार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके.
लेकिन वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस कोशिश में है कि इस मौक़े का इस्तेमाल इस व्यापार को पूरी तरह से रोकने में किया जाए.
क्या चीन वन्य जीव संरक्षकों की बात सुनेगा?
क्या कोरोना वायरस के संक्रमण से वन्यजीवों के अवैध व्यापार रोकने के लिए किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को बल मिलेगा और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाले ख़तरों को टाला जा सकेगा?
विशेषज्ञों की मानें तो ये बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है और ऐसा होना लगभग असंभव जान पड़ता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, ख़तरनाक वायरस सार्स और मर्स भी चमगादड़ों से आए थे.
लेकिन वे भी इंसानों में आने से पहले सिवेट कैट और ऊंटों से होकर आए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण एवं खाद्य सुरक्षा विभाग से जुड़े डॉ. बेन इमबारेक ने बीबीसी को बताया, "हम उन वन्य जीवों की प्रजातियों के संपर्क और उनके प्राकृतिक आवास में पहुंच रहे हैं जिनका हमसे पहले कोई संबंध नहीं था. ऐसे में हम नई बीमारियों का सामना कर रहे हैं जो कि पहले इंसानों में नहीं देखी गई हैं. ये बीमारियों ज्ञात वायरसों, बैक्टीरिया और परजीवियों में भी नहीं देखी गई हैं."
हाल में किया गया एक विश्लेषण बताता है कि ज़मीन पर चलने वाले हड्डीधारी वन्यजीवों की कुल 32 हज़ार प्रजातियों में से 20 फ़ीसदी प्रजातियों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में वैध और अवैध ढंग से ख़रीदा-बेचा जा रहा है.
इसका मतलब ये हुआ कि स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसर्पों और उभयचरों की 5,500 से ज़्यादा प्रजातियों की ख़रीद-फरोख़्त जारी है.
दुनिया में जानवरों का अवैध व्यापार 20 अरब डॉलर का है. और ये ड्रग्स, मानव तस्करी और नक़ली सामान के बाद चौथे नंबर पर आता है.
क्या ये ख़तरे की घंटी है?
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने अपने बयान में कहा है, "इस स्वास्थ्य संकट को एक ख़तरे की घंटी के रूप में लिया जाना चाहिए ताकि संकटग्रस्त जानवरों को पालतू बनाने और उनके अंगों को खाद्य पदार्थों के रूप में और औषधीय गुणों के चलते उनके दोहन को रोका जा सके."
हालांकि, चीनी सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये प्रतिबंध फौरी तौर पर रहेगा.
चीन की तीन सरकारी संस्थाओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा है, "सभी प्रजातियों के वन्य जीवों को पालने, एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने और बेचने पर इस घोषणा से लेकर राष्ट्रीय महामारी की स्थिति ख़त्म होने तक प्रतिबंध लगाया जाता है."
चीन ने इसी तरह का प्रतिबंध साल 2002 में सार्स वायरस के फैलने पर लगाया था.
लेकिन संरक्षको के मुताबिक़, इस बैन के कुछ महीनों बाद ही चीन में वन्य जीवों का व्यापार धड़ल्ले से होने लगा.
बढ़ाई गई सुरक्षा
साल 2020 के सितंबर महीने में चीन जैविक विविधता सम्मेलन के नाम से एक वैश्विक बैठक आयोजित करने जा रहा है जिसमें प्राकृतिक और जैविक संसाधनों पर चर्चा की जाएगी.
बीते साल जारी हुई एक अंतर-सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़, मानव इतिहास में पहली बार दस लाख प्रजातियों पर विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है.
कोरोना वायरस के फैलने के बाद चीन के सरकारी मीडिया में छपी संपादकीय लेख जानवरों और उनके अंगों को लेकर जारी अनिंयत्रित व्यापार की निंदा करते नज़र आए हैं.
चीन में जानवरों के व्यापार को लेकर जांच करने वाली संस्था इन्वॉयरनमेंट इंवेस्टिगेशन एजेंसी से जुड़े डेबी बैंक्स बताते हैं, "इस इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं जिससे वन्य जीवों के पालन, प्रजनन, पालतू बनाए जाने और मांस के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सके."
विशेषज्ञ मानते हैं कि एविएन इंफ्लूएंजा और बर्ड फ़्लू की वजह से कई जंगली पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिली है.
विशेषज्ञ हाथियों को विलुप्तीकरण से बचाने के अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से चीन में लगाए गए हाथी दांत पर प्रतिबंध को एक सफलता के रूप में देखते हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, चीन जंगली जानवरों और उनके शरीर के अंगों का सबसे बड़ा बाज़ार है, ऐसे में वह ऐसे प्रतिबंध का लागू करके इस मुहीम का नेतृत्व कर सकता है.
लेकिन जानवरों से जुड़े उत्पादों पर नियमन और प्रतिबंध सिर्फ चीन नहीं वैश्विक स्तर पर लगना जरूरी है.