कोरोना वायरस: 'चीन नहीं चाहता कि कोरोना की वैक्सीन अमरीका या इंग्लैंड में पहले बने'
अमरीकी सीनेटर रिक स्कॉट ने चीन पर वैक्सीन बनाने के काम में रुकावट पैदा करने का आरोप लगाया है.
कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में अमरीका और चीन के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है.
एक अमरीकी सीनेटर ने चीन पर वैक्सीन बनाने के काम में रुकावट पैदा करने का आरोप लगाया है. सीनेटर रिक स्कॉट ने अपने एक बयान में कहा कि चीन, पश्चिमी देशों में वैक्सीन तैयार करने के काम को प्रभावित कर रहा है.
उन्होंने कहा कि इस बात के सुबूत उनके खुफ़िया समुदाय से मिले हैं. हालांकि उन्होंने इससे जुड़ी कोई भी जानकारी साझा नहीं की.
चीन ने इस बीच वायरस के ख़िलाफ़ की गई अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए एक दस्तावेज़ जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में अमरीका को बीते चार जनवरी को ही सूचित कर दिया था.
चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस संक्रमण अब दुनिया भर में फैल चुका है. दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के लगभग 70 लाख मामले हैं. वहीं मरने वालों की संख्या भी चार लाख से अधिक है.
अमरीकी सांसद ने क्या कुछ कहा?
रिपब्लिकन पार्टी के फ्लोरिडा से सांसद रिक सशस्त्र सेवा, होमलैंड सुरक्षा समिति और कई दूसरी समीतियों के सदस्य हैं. उन्होंने अपने आरोप के बारे में बीबीसी के एंड्र्यू मार शो से बात की. उन्होंने कहा, "हमें जल्दी से जल्दी वैक्सीन इजाद करने की ज़रूरत है."
उन्होंने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें कुछ ऐसे सुबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि चीन वैक्सीन बनाने के काम को या तो नुकसान पहुंचाना चाहता है या फिर वैक्सीन इजाद करने के हमारे प्रयास को धीमा कर देना चाहता है."
स्कॉट ने दो बार यह बात ज़ोर देकर कही. उन्होंने कहा, "चीन ये नहीं चाहता है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन हम बनाएं या फिर इंग्लैंड या यूरोप में यह पहले बने. उन्होंने अमरीका और दुनिया के दूसरे लोकतंत्रों के लिए विरोधी बनने का फ़ैसला किया है."
स्कॉट अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक रहे हैं. जब उनसे उनके आरोपों के पीछे के साक्ष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "सुबूत खुफ़िया समुदाय और सशस्त्र सेवा की तरफ़ से मिले थे."
उन्होंने कहा कि वो इन बातों चर्चा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा, "इंग्लैंड और अमरीका सबसे पहले वैक्सीन बनाने वाले हैं, हम इसे शेयर भी करने जा रहा हैं. चीन इसे शेयर नहीं करने जा रहा."
क्या है पृष्ठभूमि?
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनका प्रशासन लगातार चीन की आलोचना करते आ रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अपनाए गए गए चीन के तरीक़े की ट्रंप कई बार आलोचना कर चुके हैं. कई मौकों पर तो राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना वायरस को चाइना वायरस तक कहा है.
अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि उनके पास इस बात के पूरे सुबूत हैं कि कोरोना वायरस चीन की लैब में तैयार हुआ है. उन्होंने कई बार यह दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर के लैब में तैयार हुआ. चीन के वुहान शहर में ही कोरोना वायरस संक्रमण के पहले मामले सामने आए थे.
वहीं दूसरी ओर अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी कहा था कि इस बात को साबित करने के लिए अमरीका के पास पर्याप्त सुबूत हैं. हालांकि चीन ने अमरीका के हर दावे को सिरे से ख़ारिज ही किया है.
फ़ाइव आईज़ खुफ़िया गठबंधन ने भी कहा है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं. इस ख़ुफ़िया गठबंधन में ब्रिटेन और अमरीका भी शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का रुख ऐसा ही रहा है. लेकिन बात सिर्फ़ वायरस तक सीमित नहीं है. अमरीका और चीन के बीच विवाद की एक वजह विश्व स्वास्थ्य संगठन भी है.
ट्रंप ने आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ् संगठन कोरोना वायरस के संक्रमण को शुरू में फैलने से रोकने में नाकाम रहा. डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन की कठपुतली है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन से नाता तोड़ने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा था, "हमने WHO में व्यापक सुधार का अनुरोध किया था लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रहे. आज से हम विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपना नाता तोड़ रहे हैं. अमरीका इन फंडों को वैश्विक पब्लिक हेल्थ में लगाएगा. WHO पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में है जबकि वो अमरीका की तुलना में बहुत मामूली फंड देता है."
इसके बाद चार जून को अमरीका के यातायात विभाग की ओर से कहा गया कि अमरीका चीन आने जाने वाली उड़ानों को 16 जून से रोक देगा.
उन्होंने कहा कि ये क़दम चीन के अमरीकी उड़ानों को चीन में प्रवेश की अनुमति न देने के जवाब में उठाया जा रहा है.
इसके अलावा अमरीका और चीन के बीच लंबे वक़्त से चल रहा व्यापार-युद्ध भी इसकी पृष्ठभूमि में है ही.
लेकिन चीन के ओर की कहानी क्या है?
हालांकि अबी तक ख़ासतौर पर स्कॉट के आरोप को लेकर चीन की ओर से कोई बयान नहीं आया है लेकिन जारी किये गए नए दस्तावेज़ के माध्यम से चीन ने अपनी कार्रवाई को स्पष्ट करने की कोशिश ज़रूर की है.
चीन का दावा है कि उसने चार जनवरी को ही अमरीका को कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में सूचित कर दिया था. ये वो वक़्त था जब संक्रमण इस क़दर नहीं फैला था. यानी शुरुआती वक़्त था.
इसके साथ ही चीन ने एक टेलीफ़ोन ब्रीफ़िग को भी इसमें शामिल किया है. यह टेलीफ़ोन ब्रीफिंग चीनी सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंसन के प्रमुख और उनके अमरीकी समकक्ष के बातचीत से जुड़ी है.
चीन का कहना है कि इन दस्तावेज़ को तैयार करने मेंपारदर्शिता रखी गई है और जिम्मेदारी से तैयार किया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के प्रयासों की सराहना की है और कहा है कि चीन ने वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने और धीमा करने में मदद की.
इसके साथ ही चीन का विदेश मंत्रालय यह दावा करता है कि ट्रंप प्रशासन अमरीका में उपजे महामारी के संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ऐसे आरोप लगाता है.
लेकिन वैक्सीन का क्या?
दुनिया भर में दर्जनों समूह वैक्सीन इजाद करने के काम में लगे हुए हैं. और कुछ क्लीनिकल ट्रायल कर रहे हैं.
पहले मानव परीक्षण का डेटा सकारात्मक दिखाई दिया, जिसमें मरीज़ के शरीर में ऐसे एंटीबॉडी बने जो वायरस को बेअसर करते हैं.
हालांकि अभी यह कोई नहीं जानता है कि ये कितना प्रभावी होगा.
हो सकता है कि वैक्सीन को तैयार होने में साल भर का समय लगे वहीं कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि साल 2021 की शुरुआत तक वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी. लेकिन गारंटी किसी बात की नहीं है.