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कोरोनाः क्या बीसीजी का टीका बचा सकता है वायरस से?

बीसीजी का टीका 1921 में टीबी की रोकथाम के लिए तैयार किया गया था लेकिन अब वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि क्या ये कोरोना से लड़ने में भी कारगर है.

By जेम्स गैलाघर
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बीसीजी
Getty Images
बीसीजी

ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने एक टेस्ट शुरु किया है जिसमें देखा जा रहा है कि क्या बीसीजी वैक्सीन की मदद से कोरोना संक्रमितों की जान बचाई जा सकती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सेटर में चल रहे वैक्सीन के ट्रायल में करीब 1000 लोग हिस्सा लेने वाले हैं.

यह वैक्सीन 1921 में विकसित की गई थी. इसे टीबी की रोकथाम के लिए तैयार किया गया था लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से बचाव में भी कारगर साबित हो सकती है.

लाखों लोगों ने बचपन में भले ही ये टीका लिया हो लेकिन फिर भी उन्हें इसे लेने की ज़रूरत पड़ेगी. इस वैक्सीन को इस तरह बनाया गया है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधी क्षमता को एक ख़ास संक्रमण से बचाव के लिए तैयार करता है.

लेकिन इसका इम्यून सिस्टम पर इतना व्यापक प्रभाव पड़ता है कि उसे देखकर लगता है कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से भी हमारे शरीर को बचा सकता है. कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में भी यह प्रभावी साबित हो सकता है.

बीसीजी का असर

इससे पहले हुए क्लीनिकल ट्रायल में यह पता चला कि बीसीजी का टीका पश्चिम अफ्रीका के देश गिनी बिसाउ में नवजातों में मृत्यु दर को 38 फ़ीसद तक कम करने में कामयाब रहा है. मृत्यु दर में यह कमी बीसीजी टीके की वजह से निमोनिया और सेप्सीस के मामले कम होने की वजह से आयी.

दक्षिण अफ्रीका में इस टीके से जुड़े अध्ययन से पता चला कि इसके असर की वजह से नाक, गले और फेफड़े के संक्रमण में 73 फ़ीसद की कमी आयी. नीदरलैंड में बीसीजी की वजह से येलो फ़ीवर वायरस के शरीर में कम होने के प्रमाण मिले हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सेटर मेडिकल स्कूल के प्रोफ़ेसर जॉन कैंपबेल ने बीबीसी को बताया,"वैश्विक पैमाने पर यह काफी अहम हो सकता है. भले ही हम यह मान कर चलें कि यह कोविड के ख़िलाफ़ उस तरह से कारगर नहीं साबित होगा लेकिन यह जब तक कोविड की वैक्सीन नहीं तैयार हो जाती या फिर उसका कोई इलाज नहीं खोज लिया जाता तब तक के लिए यह राहत देने वाला साबित हो सकता है."

बीसीजी को लेकर ब्रिटेन में चल रहा ट्रायल एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन का हिस्सा है. ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्पेन और ब्राज़ील जैसे देशों में भी 10000 लोगों पर ये ट्रायल चल रहा है.

ट्रायल के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों और देखभाल में लगे उन लोगों को विशेष तौर पर ध्यान में रखा गया है जिन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण होने की आशंका सबसे अधिक है. इसलिए अगर ये वैक्सीन प्रभावी होता है तो शोधकर्ताओं को इसके असर के बारे में फ़ौरन पता चल पाएगा.

एक्सेटर के डॉ. सैम हिल्टन ट्रायल में हिस्सा ले रहे हैं क्योंकि उन्हें कोरोना होने की आशंका किसी और की तुलना में अधिक है.

कोरोना के असर को कम करेगा

बीसीजी टीका
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बीसीजी टीका

उन्होंने बीबीसी से कहा, "बीसीजी कोरोना के दौरान आपको ज़्यादा बीमार नहीं पड़ने देगा, इसकी प्रबल संभावना दिखती है. इसलिए मैं इसे ख़ुद के लिए एक बचाव के तौर पर देखता हूं. इस वजह से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि मैं इस जाड़े में भी काम पर जा सकूँगा."

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम ग्रेबियेसस ने लैंसेट में एक लेख लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि बीसीजी वैक्सीन में वो क्षमता है कि वो "बीमारी की वैक्सीन नहीं खोजे जाने तक उसके असर को कम करने वाले उपाय के तौर पर भारपाई कर सके. कोविड-19 और भविष्य में आने वाली दूसरी महामारियों से मुक़ाबला करने को लेकर यह कारगर होगा."

हालांकि बीसीजी लंबे वक्त के लिए कोई समाधान नहीं देती है.

ब्रिटेन में 2005 के बाद से बीसीजी के टीके का प्रयोग नियमित तौर पर नहीं हुआ है. इसकी वजह यह है कि वहाँ टीबी के मामले बहुत कम हैं.

इसके अलावा यह वैक्सीन इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी और श्वेत रक्त कोशिका विकसित करने के लिए नहीं तैयार करता है जबकि ये दोनों ही कोरोना वायरस से मुकाबला करने में कारगर साबित होते हैं.

कोरोना में दूसरी वैक्सीन का इस्तेमाल

वैक्सीन
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वैक्सीन

लेकिन अभी भी मुख्य उद्देश्य विशेष तौर पर सिर्फ़ कोरोना से सीधे तौर पर निपटने वाली वैक्सीन की तलाश करना ही है.

ऐसी दस वैक्सीन क्लीनिकल रिसर्च के अंतिम चरण में हैं. इसमें से एक वैक्सीन यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड ने तैयार की है.

ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन ग्रुप के प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने बीबीसी को बताया, "ज़्यादातर वैक्सीन इस तरह से तैयार की जाती हैं कि वो जिस रोगाणु के लिए तैयार की गई हैं, उसके ख़िलाफ़ इम्यून सिस्टम को मज़बूत करें. लेकिन एक बेहतर इम्यून सिस्टम तैयार करने के लिए उस विशेष रोगाणु के अलावा दूसरे रोगाणुओं से मुक़ाबला करने की भी क्षमता विकसित करनी होती है ताकि भविष्य में भी वो कारगर रहे."

वो कहते हैं, "समस्या यह है कि आज मैं यह नहीं बता सकता कि आप दूसरे वैक्सीन का इस्तेमाल कोरोना से बचने के लिए कैसे कर सकते हैं या नहीं, क्योंकि इसे लेकर हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है."

BBC Hindi
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English summary
Corona: Can the BCG vaccine protect against viruses?
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