कोरोना: गांजे से क्या सचमुच संक्रमण का इलाज हो सकता है?-रियलिटी चेक
कनाडा, इसराइल और ब्रिटेन समेत कई देशों में ये पता लगाने के लिए ट्रायल चल रहा है कि क्या गांजा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में फ़ायदेमंद हो सकता है.
कोरोना वायरस महामारी के बारे में बहुत सारी फ़र्जी और गुमराह करने वाली जानकारियों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. बीबीसी ने उन दावों की पड़ताल की जो पिछले हफ़्ते सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा शेयर किए गए.
फ़र्जी 'वायरस ब्लॉकर’ बैज
दुनिया भर में कुछ बैज बेचे जा रहे हैं और दावा किया जा रहा है कि ये कोरोना वायरस संक्रमण से सुरक्षा देंगे. इन्हें 'वायरस ब्लॉकर’ बैज कहा जा रहा है.
रूस के बाज़ारों में ऐसे बैज धड़ल्ले से बिकते देखे गए हैं. इनमें से कुछ पर सफ़ेद क्रॉस के निशान बने हुए हैं. इनकी ये कहकर मार्केटिंग की गई कि ये कोरोना वायरस को रोक देंगे. यहां तक कि हाल ही में डूमा प्रांत में हुई एक बैठक में कुछ रूसी सांसद भी ये बैज पहने देखे गए.
अमरीका के फ़ेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) ने चेताया है कि ऐसे बैज से एक तरह का ब्लीचिंग पदार्थ (क्लोरीन डाइऑक्साइड) निकलता है जो हानिकारक होता है. एफ़डीए ने बैज की वजह कोविड-19 से सुरक्षा के दावों को भी 'फ़र्जी’ बताया है.
बीबीसी ने रूसी सांसद आंद्रेई स्विंस्तोव से पूछा कि उन्होंने ये 'वायरस ब्लॉकर’ बैज क्यों पहना है. स्विंस्तोव ने जवाब में कहा कि उन्हें ये नहीं मालूम कि ये बैज वाक़ई असर करता है या नहीं लेकिन ये भी सच है कि वो अब तक बीमार नहीं पड़े हैं. उन्होंने कहा, “मैं अदरक चबाता हूं. मैं विटामिन सी लेता हूं. इंटरनेट पर जो भी बकवास सलाहें मिलती हैं, मैं वो सब करता. क्या पता, इनसे वाक़ई कुछ सुरक्षा मिलती हो.”
हाल में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव को भी ऐसा ही बैज पहने देखा गया था. पिछले हफ़्ते उन्होंने स्वीकार किया था कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और अस्पताल में हैं.
नॉटिंगघम यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और बायोकेमिस्ट डॉक्टर वेन कार्टर कहते हैं कि ऐसे बैज कोरोना वायरस से कोई सुरक्षा नहीं दे सकते क्योंकि ये मुख्य रूप से “छींक और खांसी के ज़रिए निकलने वाली थूक के कणों से फैलता है.”
गांजे से कोरोना का इलाज?
हज़ारों लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसे लेख शेयर किए हैं जिनमें दावा किया गया है कि गांजे से कोविड-19 संक्रमण का इलाज हो सकता है. इनमें से कई लेखों के शीर्षक भ्रामक और गुमराह करने वाले हैं.
ये सच है कि कनाडा, इसराइल और ब्रिटेन समेत कई देशों में ये पता लगाने के लिए ट्रायल चल रहा है कि क्या गांजा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में फ़ायदेमंद हो सकता है.
औषधीय गांजे से संक्रमण की अवधि कम करने में मदद मिली है और हो सकता है कि इसे 'साइटोकाइन स्टॉर्म’ के इलाज में भी मदद मिले. 'साइटोकाइन स्टॉर्म’ कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों में देखने को मिलता है.
लेकिन ये सभी ट्रायल अभी शुरुआती स्टेज में हैं इसलिए अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी. अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगा कि गांजे से कोरोना वायरस संक्रमण का प्रभावी इलाज हो सकता है.
कनाडा के एक अध्ययन पर आधारित ऐसे ही लेख को फ़ेसबुक ने "आंशिक रूप से ग़लत जानकारी देने" की वजह से चिह्नित किया है. इस रिसर्च के एक लेखक ने भी 'पोलिटी फ़ैक्ट’ वेबसाइट से कहा कि लेख के शीर्षक में ये दावा करना कि गांजे से कोरोना वायरस का संक्रमण रुक सकता है, 'कुछ ज़्यादा ही है.’
पिछले कुछ वर्षों में गांजे से कई बीमारियों का इलाज करने को लेकर प्रयोग हुए हैं. इसके मिलेजुले नतीजे आए हैं और लोगों की इसमें काफ़ी दिलचस्पी भी है.
कैसे पैदा हुआ वायरस?
चीन की सरकारी मीडिया में हाल ही में एक वीडियो आया था जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस की सूचना सबसे पहले चीन में मिली इसका मतलब ये नहीं वायरस वहीं उपजा हो.
वीडियो में इटली के एक वैज्ञानिक के उस इंटरव्यू का ज़िक्र किया गया जो उन्होंने एक अमरीकी रेडियो चैनल को दिया था. वैज्ञानिक ने इंटरव्यू में कहा था कि उत्तरी इटली में नवंबर में ही निमोमिया के कई अजीब से मामले देखने को मिले थे. इसका मतलब ये हो सकता है कि चीन में संक्रमण फैलने से पहले वायरस इटली में मौजूद रहा हो.”
बीबीसी के चीनी मीडिया विश्लेषक केरी ऐलेन कहते हैं, “मई की शुरुआत से ही चीन में ऐसी रिपोर्टों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिनमें कहा गया है कि हो सकता है कोरोना वायरस चीन में पैदा न हुआ हो.”
वायरस कहां पैदा हुआ, इस बारे में अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए इसकी जेनेटिक जानकारी जुटाने और ये पता लगाने की ज़रूरत है कि इसने समय के साथ अपना रूप कैसे बदला.
बाज़ेल यूनिवर्सिटी में मॉलिक्युलर एपिडेमियोलॉजिस्ट (महामारी विशेषज्ञ) डॉक्टर एमा हॉडक्रॉफ़्ट कहती हैं कि यूरोप और अमरीका में मिले कोरोना वायरस के सैंपल से यह स्पष्ट है कि ये चीन में मिले वायरस से ही आया है. लेकिन चीन में इस वायरस के कई बदले हुए रूप भी हैं.
डॉक्टर एमा कहती हैं, “संक्षेप में कहें तो अभी कोई ऐसा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जिससे साबित हो सके कि वायरस चीन की बजाय कहीं और पैदा हुआ था.”
कोरोना मरीज़ों की 'सामूहिक हत्या’ का दावा
पिछले हफ़्ते यमन के सूचना मंत्री मुअम्मर अल-एरयानी ने ट्वीट किया था कि हूती विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाकों में कोविड-19 के मरीज़ों की सामूहिक हत्या की 'कुछ रिपोर्ट्स’ हैं.
उन्होंने कहा कि ठीक तरह टेस्ट और इलाज के बिना ही कुछ मरीज़ों की हत्या की जा रही है. हालांकि हूती विद्रोहियों ने इन आरोपों से इनकार किया है कि उन्होंने गंभीर रूप से संक्रमित या संदिग्ध कोविड-19 मरीज़ों की हत्या की है.
एक सरकारी प्रवक्ता ने 'सामूहिक हत्या’ के दावों की जांच कराए जाने की मांग भी की है.
हूती विद्रोही पिछले पांच वर्षों से यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार से लड़ रहे हैं. दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर प्रोपागैंडा फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं.
अब तक ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे यमन में कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों की 'सामूहिक हत्या’ के दावे को सच माना जा सके.
यमन में गृह युद्ध, बीमारियों और कुपोषण की वजह से अब तक एक लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
(इस रिपोर्ट में एलिस्टर कोलमैन, ओल्गा रॉबिन्सन, रेचल श्रॉर और विताली शेवचेंको ने सहयोग किया.)