अक्टूबर तक दुनिया को नहीं मिल पाएगी रेमडेसिवीर दवा, अमेरिका ने खरीद लिया सारा स्टॉक
नई दिल्ली: चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत, अमेरिका, चीन जैसे कई बड़े देशों में इसकी वैक्सीन पर काम तेजी से चल रहा है, लेकिन बाजार में इसे आने में वक्त लगेगा। इस बीच कोरोना की कारगर दवा रेमडेसिवीर पर अमेरिका से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। जिसके मुताबिक अमेरिका ने दुनिया को सप्लाई होने वाली दवा का सारा स्टॉक खुद ही खरीद लिया है। जिससे अब दूसरे देशों को दो-तीन महीने दवा नहीं मिल पाएगी।
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5 लाख कोर्स की खरीदारी
रेमडेसिवीर नाम की दवा अमेरिका की ही कंपनी गिलीड साइंसेज बनाती है। ये दवा कोरोना मरीज पर 100 प्रतिशत रिजल्ट तो नहीं देती, लेकिन इलाज में काफी कारगर साबित होती है। इसके साइड-इफेक्ट भी कम हैं और ये इलाज के वक्त को भी कम कर देती है। मई में ही ट्रंप प्रशासन ने रेमडेसिवीर के प्रयोग को मंजूरी दी थी। अब अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग ने ऐलान किया है कि सरकार ने रेमडेसिवीर की बड़ी खेफ को खरीद लिया है। इसके तहत 5 लाख से ज्यादा कोर्स अमेरिका को मिलेगा। वहीं 1.2 लाख खुराक गिलीड साइंसेज ने पहले ही अमेरिका को दान करने का ऐलान किया था।
अक्टूबर तक सप्लाई मुश्किल
ऐसे में अब देखा जाए तो जुलाई में होने वाला सारा उत्पादन तो अमेरिका के पास जाएगा। इसके अलावा अगस्त-सितंबर में भी जो उत्पादन होगा, उसका भी 90 प्रतिशत अमेरिका ही खरीदेगा। ट्रंप प्रशासन इसे अमेरिका के लिए बेहतरीन डील बता रहा है। स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक अब ब्रिटेन और यूरोप के लिए अक्टूबर तक रेमडेसिवीर दवा उपलब्ध नहीं होगी। एक वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. एंड्रयू हिल के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम इस मामले में एक अनिवार्य लाइसेंस जारी कर सकता है। जो इस दवा को उन देशों से लाने की अनुमति देगा, जहां उनका उत्पादन होता है, जैसे-भारत और बांग्लादेश।
भारत में भी इस्तेमाल की मंजूरी
जून में रेमडेसिविर दवा को लेकर भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था। जिसमें कोरोना वायरस क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के तहत इमरजेंसी केस में रेमडेसिवीर की मंजूरी दी गई थी। रेमडेसिवीर के इस्तेमाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि शुरुआती चरण में इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह दवा नहीं दी जा सकती है। वहीं कुछ मामलों में डॉक्टर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
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